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HAL ने भारतीय सेना को सौंपा पहला लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर, जानिए इसकी Fire Power

भारतीय सेना को अपना पहला लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर आधिकारिक तौर पर मिल गया है. हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने सेना को यह हेलिकॉप्टर सौंपा. अब सेना इनकी तैनाती जोधपुर में पाकिस्तान सीमा के पास करेगी. तैनाती 3 अक्टूबर 2022 को होने की संभावना है. जानिए इससे सेना को कैसे फायदा होगा.

ये है वो लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर जो HAL ने भारतीय सेना को सौंपा है. (फोटोः ADGPI Indian Army) ये है वो लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर जो HAL ने भारतीय सेना को सौंपा है. (फोटोः ADGPI Indian Army)
ऋचीक मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 29 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 6:55 PM IST

हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने देश में निर्मित स्वदेशी लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर (Light Combat Helicopter - LCH) को 29 सितंबर 2022 को भारतीय सेना (Indian Army) को सौंपा. HAL ने आर्मी एविएशन कॉर्प्स (Army Aviation Corps) के डायरेक्टर जनरल को सौंपा. आर्मी इसे कहां तैनात करेगी. इसका खुलासा फिलहाल तो नहीं किया गया है. लेकिन 3 अक्टूबर को जोधपुर स्थित बेस पर इस घातक हेलिकॉप्टर की एक स्क्वॉड्रन तैनात होने वाला है. आइए जानते हैं कि इससे क्या फायदा होगा? 

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आर्मी एविएशन कॉर्प्स के डायरेक्टर जनरल को LCH के कागज देते HAL अधिकारी. (फोटोः ADGPI Indian Army)

LCH का स्क्वॉड्रन जोधपुर पर तैनात होने से पाकिस्तान सीमा की निगरानी आसान हो जाएगी. आतंकी घुसपैठ रुकेगी. इससे पहले भारतीय सेना ने कुछ महीनों पहले बेंगलुरु में इस हेलिकॉप्टर का स्क्वॉड्रन बनाया था. बाद में इसे चीन की सीमा के पास मौजूद एयरबेस पर भी तैनात किया जाएगा. सेना 95 LCH और खरीदेगी. इनकी सात यूनिट्स बनाई जाएंगी. जिन्हें सात अलग-अलग पहाड़ी इलाकों पर तैनात किया जाएगा. 

LCH में दो लोग बैठ सकते हैं. यह 51.10 फीट लंबा, 15.5 फीट ऊंचा है. पूरे साजो सामान के साथ इसका वजन 5800 KG रहता है. 700 किलोग्राम वजन के हथियार लगाए जा सकते हैं. यह अधिकतम 268 किमी प्रतिघंटा की गति से उड़ सकता है. इसकी रेंज 550 किलोमीटर हैं. एक बार में यह लगातार 3 घंटे 10 मिनट उड़ सकता है. अधिकतम 6500 फीट की ऊंचाई तक जा सकता है. 

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LCH की बॉडी और रोटर यानी पंखों पर गोलियों का असर नहीं होगा. इसकी धातु खास है. (फोटोः IAF)

लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर को ध्रुव (Dhruv) हेलिकॉप्टरों से ही विकसित किया गया है. इसकी जरुरत 1999 में करगिल युद्ध के दौरान महसूस हुई थी. यह हेलिकॉप्टर भारत के हर इलाके में उड़ान भरने की क्षमता रखता है. सियाचिन हो या फिर 13 हजार से लेकर 15 हजार फीट ऊंचे हिमालय के पहाड़ हों. या फिर रेगिस्तान या जंगल. 

लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर्स पर एक 20 MM की M621 कैनन या फिर नेक्स्टर टीएचएल-20 टरेट गन लग सकती है. चार हार्डप्वाइंट्स में रॉकेट, मिसाइल या बम फिट किए जा सकते हैं. जैसे इसमें 4x12 FZ275 LGR यानी लेज़र गाइडेड रॉकेट तैनात किए जा सकते हैं. ये हवा से सतह और हवा से हवा में मार करने में सक्षम होते हैं. हवा से हवा में मार करने वाली 4x2 मिस्ट्रल मिसाइल लगा सकते हैं. 4x4 ध्रुवास्त्र एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल. इनके अलावा क्लस्टर म्यूनिशन, अनगाइडेड बम और ग्रैनेड लॉन्चर लगाए जा सकते हैं.  

इस हेलिकॉप्टर में लगे एवियोनिक्स से दुश्मन छिप नहीं सकता. न ही हमला कर सकता है. ये पहले ही दुश्मन टारगेट को दिखा देता है. राडार एंड लेजर वॉर्निंग सिस्टम लगा है. शैफ और फ्लेयर डिस्पेंसर भी हैं, ताकि दुश्मन की मिसाइलों और रॉकेटों को फेल किया जा सके. एलसीएच हेलिकॉप्टरों के आने से पुराने Mi-35 और Mi-25 हेलिकॉप्टरों को हटाया जा सकेंगे. ये दोनों ही हेलिकॉप्टर रूस ने बनाए थे. इनका एक स्क्वॉड्रन खत्म कर दिया गया है. उनकी जगह अपाचे हेलिकॉप्टर तैनात हुए हैं.  

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