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बिजली गिरने से पहले उसे खींच लेते हैं ये रॉड्स, इस देश में लाइफ सेविंग तकनीक की सफल टेस्टिंग

आसमान से बिजली गिरती है, इमारत के ऊपर लगी रॉड से टकराकर सीधे जमीन में चली जाती है. ब्राजील में एक ऐसी तकनीक की टेस्टिंग की जा रही है, जिसमें लाइटनिंग टकराने से पहली ही खींचकर धरातल में भेज दी जाएगी. ताकि किसी तरह का नुकसान न हो. वैज्ञानिकों ने इस प्रयोग की हाई-स्पीड तस्वीरें भी ली हैं.

ये है हाई-स्पीड वीडियो कैमरा से ली गई तस्वीर, जिसमें रॉड्स से डिस्चार्ज निकलते दिख रहे हैं. (फोटोः मार्सेलो साबा/डिएगो रहामोन) ये है हाई-स्पीड वीडियो कैमरा से ली गई तस्वीर, जिसमें रॉड्स से डिस्चार्ज निकलते दिख रहे हैं. (फोटोः मार्सेलो साबा/डिएगो रहामोन)
aajtak.in
  • साओ पाउलो,
  • 29 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 10:52 AM IST

आसमान से गिरने वाली बिजली से इमारतों और लोगों को बचाने के लिए छतों पर रॉड्स लगाए जाते हैं. आमतौर पर इनका काम होता है बिजली गिरने पर उन्हें जमीन के अंदर पहुंचा देना, ताकि किसी तरह का नुकसान न हो. ब्राजील के वैज्ञानिकों ने बिजली को गिरने से पहले खींचकर जमीन में पहुंचाने की तकनीक विकसित की है. 

हैरानी की बात ये है कि आकाशीय बिजली गिरने से ठीक पहले ये रॉड्स आसमान की तरफ इलेक्ट्रिक डिस्चार्ज फेंकते हैं. इन डिस्चार्ज से आकाशीय बिजली आकर्षित होती है. वह इससे टकराकर सीधे जमीन पर चली जाती है. ऐसी घटना एक मिलिसेकेंड्स से भी कम समय में होती है. इनकी तस्वीर लेना कठिन है. ऐसे में वैज्ञानिकों ने हाई-स्पीड Video कैमरा लगाया. 

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यहां आप उन इमारतों को देख सकते हैं, जिनके ऊपर रॉड्स लगाए गए थे. (फोटोः जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स)

ब्राजीलियन वैज्ञानिकों ने साओ पाउलो शहर के उत्तर-पूर्व में स्थित साओ जोस डोस कैंपोस रिहायशी इमारतों पर इलेक्ट्रिक रॉड्स लगाए थे. वहां पर वैज्ञानिकों ने सिर्फ 450 फीट दूर हाई-स्पीड Video कैमरा लगाए. ताकि रॉड की तरफ आसमान में फेंके गए इलेक्ट्रिकल डिस्चार्ज और बिजली के मिलने की तस्वीर ली जा सके. ली भी गई. 

ब्राजील की रॉड्स खींच लेती है आकाशीय बिजली

नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस रिसर्च के सीनियर रिसर्चर मार्सेलो एमएफ साबा ने बताया कि हमनें 31 इलेक्ट्रिकल डिस्चार्ज रिकॉर्ड किए, जो आसमानी बिजली को अट्रैक्ट करती हुई दिखीं. आसमान में मौसम बदलते ही ये रॉड्स एक्टिव हो जाती हैं. ये आकाश से आने वाली निगेटिव चार्ज्ड बिजली को तत्काल पॉजिटिव बनकर खींच लेता है. वह भी तब जब बिजली उस पर सीधे गिर भी नहीं रही होती है. यह लोगों को बचाने का एक बेहतरीन तरीका है. 

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इस निगेटिव इमेज में रॉड्स से ऊपर निकलते हुए डिस्चार्ज दिख रहे हैं. (फोटोः जियोफिजिकिल रिसर्च लेटर्स) 

18वीं सदी में फ्रैंकलिन ने किया रॉड का अविष्कार

आमतौर पर ये रॉड्स तांबे या एल्यूमिनियम की होती हैं. जिनका अविष्कार 18वीं सदी में बेंजामिन फ्रैंकलिन ने की थी. साओ जोस डोस कैंपोस में वैज्ञानिकों ने जो कैमरा लगाया, उसने हर सेकेंड 40 हजार तस्वीरें लीं. इस कैमरे ने साफ तस्वीरें लीं. साथ में स्लो-मोशन वीडियो बनाया. इस स्टडी को जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित किया गया है. 

ग्रीस में लेजर मारकर बदली थी बिजली की दिशा

कुछ महीनों पहले ग्रीस में वैज्ञानिकों ने लेजर से आसमान में रैपिड फायरिंग करके आकाशीय बिजली की दिशा बदल दी थी. इस प्रयोग से यह बात स्थापित हो गई है कि इमारतों पर लगने वाले लाइटनिंग रॉड्स की जगह अब लेजर बीम का इस्तेमाल भी किया जा सकता है. इससे आकाशीय बिजली गिरने से जानमाल का नुकसान नहीं होगा. हालांकि यह प्रयोग अभी पूरी तरह से विकसित होने में समय लगेगा. 

पिछले साल अमेरिका में दिखा था मेगाफ्लैश

पिछले साल अमेरिका में वैज्ञानिकों ने 768 किलोमीटर लंबी आकाशीय बिजली को रिकॉर्ड किया था. इसे मेगाफ्लैश नाम दिया गया था. क्योंकि ये दुनिया की सबसे लंबी बिजली थी. यह जब चमकी तो टेक्सास से लेकर मिसिसिपी तक देखी गई. वैज्ञानिकों ने इसे एक सैटेलाइट के जरिए रिकॉर्ड किया था. इसकी पुष्टि वर्ल्ड मेट्रोलॉजिकल ऑर्गेनाइजेशन (WMO) ने भी किया है. अच्छी बात ये है कि दोनों ही मेगाफ्लैश ने धरती को नहीं छुआ था. नहीं तो बड़ी आपदा आ सकती थी. 

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