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वैज्ञानिकों ने लैब में बना ली सूरज से निकलने वाली गर्म लहर, देख कर हो जाएंगे हैरान

सूरज से निकलने वाली गर्म प्लाज्मा लहर यानी Solare Flares को वैज्ञानिकों ने लैब में तैयार कर लिया. सूरज से निकलने वाली प्लाज्मा लहरों की लंबाई लाखों-करोड़ों किलोमीटर होती है. लेकिन लैब में इस लहर की लंबाई एक सामान्य केले के आकार की थी. इन लहरों की स्टडी से सूरज से संबंधित खुलासे होंगे.

लैब के अंदर एक गैस चैंबर को आयोनाइज्ड करके उसमें सौर लहर बनाई गई. (फोटोः बेलन लैब/कालटेक) लैब के अंदर एक गैस चैंबर को आयोनाइज्ड करके उसमें सौर लहर बनाई गई. (फोटोः बेलन लैब/कालटेक)
aajtak.in
  • पासाडेना,
  • 14 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 4:26 PM IST

सौर लहरें (Solar Flares) सूरज की सतह से निकलने वाली भयावह गर्म प्लाज्मा की लहरें होती हैं. सूरज इन्हें उगलता रहता है. ये इतनी बड़ी होती हैं कि पूरे एक ग्रह को कई बार पका दें. लेकिन पहली बार वैज्ञानिकों ने लैब में मिनी सौर लहरें बनाईं. ये लहरें एक लंचबॉक्स में फिट हो सकती हैं. इनका आकार एक केले के बराबर था. 

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सौर लहरें सूरज की पहली परत यानी गर्म प्लाज्मा या फिर आयोनाइज्ड गैस की वजह से बनती हैं. इन लहरों से बनने वाले घेरे को कोरोना लूप्स (Corona Loops) कहते हैं. ये लूप्स सूरज की ताकतवर ग्रैविटी की वजह से पैदा हो रही मैग्नेटिक फील्ड की वजह से आकार लेती हैं. कई बार ये वापस सूरज की तरफ चली जाती हैं. कई बार अंतरिक्ष में. 

ऐसे निकलती है सौर लहर सूरज की सतह से. यही सौर लहर अब लैब में बनाई गई है. (फोटोः NASA)

सौर लहरों से ही कोरोनल मास इजेक्शन (CMEs) होता है. जो धरती पर आकर नॉर्दन लाइट्स बनाता है. या फिर तीव्रता ज्यादा हुई तो सैटेलाइट को डैमेज कर देता है. जैसे पिछले साल SpaceX के 40 स्टारलिंक सैटेलाइट्स को बर्बाद कर दिया था. सीएमई तेजी से आगे बढ़ने वाला मैग्नेटाइज्ड प्लाज्मा होता है. जिसके अंदर उच्च तीव्रता वाले कण होते हैं. साथ में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन भी लेकर चलते हैं. 

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कोरोनल मास इजेक्शन की वजह से पृथ्वी पर जियोमैग्नेटिक तूफान आते हैं. इतने सौर लहरों को देखने के बाद भी वैज्ञानिक ये नहीं तय कर पाए कि कोरोना लूप्स कैसे बनेंगे. वह भी पूरा सर्किल बनाते हुए. यह स्टडी हाल ही में Nature Astronomy में प्रकाशित हुई है. जिसे किया है कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (Caltech) के वैज्ञानिकों ने. इन लोगों ने अपने लैब में ही कोरोना लूप्स बना लिए. 

ऊपर की A, B, C फोटो में असली सूरज से निकली सौर लहर है. नीचे की तस्वीरों लाल रंग में दिख रही हैं लैब में बनाई गई सौर लहर. दोनों में आपको एक जैसी चीजें दिख रही हैं. (फोटोः यांग झांग/कालटेक)

वैज्ञानिकों ने गैस से भरे हुए एक मैग्नेटाइज्ड चेंबर में दो इलेक्ट्रोड लगाए. इलेक्ट्रिसटी से गैस आयोनाइज्ड हो गई. इसके बाद दोनों इलेक्ट्रोड्स के बीच प्लाज्मा का बहाव दिखने लगा. वह भी लगातार. थोड़ी देर बाद चैंबर में बना बहाव सौर लहर बनकर बाहर निकलने का प्रयास करने लगा. यह लहर 8 इंच की थी. करीब 10 माइक्रोसेकेंड्स तक ही टिकी थी. 

इस इसकी तस्वीर लेने के लिए खास तरह के कैमरे लगाए गए थे. जो हर सेकेंड 1 करोड़ फ्रेम तस्वीरें कैप्चर कर रहा था. तेजी से कोरोनल लूप बनी लेकिन फिर टूट गई. यह एक रस्सी की तरह दिख रही थी. कालटेक के ग्रैजुएट स्टूडेंट और इस स्टडी के प्रमुख शोधकर्ता यांग झांग ने बताया कि यह किसी रस्सी के टुकड़े को चीरने जैसा था. 

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यांग ने बताया कि हर टुकड़े के अंदर कई छोटे-छोटे रेशे थे. इसी तरह से प्लाज्मा लूप्स भी काम करती हैं. ये रस्सी जैसे ढांचे ही हो सकता है कि सौर लहरों को जन्म देती हों. लैब में ये लूप स्थिर थी लेकिन जैसे ही वो अत्यधिक ऊर्जा से ओवरलोड हुई वो टूट गईं. टूटने से पहले उनके ऊपर एक कॉर्क-स्क्रू जैसा किंक दिखाई पड़ा. 

इसी किंक की वजह से प्लाज्मा लूप के ऊपरी हिस्से टूट आई है. उसने पूरे लूप को तोड़ डाला. सौर लहरों की जो तस्वीरें आती हैं, उसमें भी ऐसे ही किंक दिखाई पड़ते हैं. इन्हीं की वजह से गोलाकार दिखने वाले कोरोनल लूप्स टूटकर पृथ्वी पर जियोमैग्नेटिक तूफान लाते हैं. 

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