
वैज्ञानिकों ने को हाल ही में एक नया एक्सोप्लैनेट (Exoplanet) मिला है. लेकिन जब से खगोलविदों को इस ग्रह के आकार और प्रकार के बारे में जानकारी मिली है, वे हैरान हो गए हैं. इस ग्रह का नाम है HD-114082b. यह एक नया ग्रह है जिसका आकार बृहस्पति जितना बड़ा है. इसको मापने के बाद, वैज्ञानिकों को पता चला है कि गैस ग्रह निर्माण से जुड़े दो मॉडल में से किसी से भी इस ग्रह के गुण मेल नहीं खाते हैं. यानी ये ग्रह अपनी उम्र के हिसाब से बहुत भारी है और इसका निर्माण कैसे हुआ ये अभी भी पहेली है.
जर्मनी में मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर एस्ट्रोनॉमी के एस्ट्रोफिजिसिस्ट ओल्गा ज़खोज़ाय (Olga Zakhozhay) का कहना है कि मौजूदा मॉडल से तुलना करें तो, गैस जायंट HD-114082b की उम्र अभी केवल 1.5 करोड़ साल है, जो युवा ग्रह होने के नाते दो से तीन गुना ज्यादा घना है.
एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिड़िक्स जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक, HD-114082b करीब 300 प्रकाश-वर्ष दूर है. यह अब तक खोजे गए सबसे कम उम्र के एक्सोप्लैनेट्स में से एक है. इसके गुणों को समझने से हम यह जान सकते हैं कि ग्रह कैसे बनते हैं. यह वो प्रक्रिया है जिसे अभी तक पूरी तरह से समझा नहीं गया है.
एक एक्सोप्लैनेट को व्यापक तौर पर समझने के लिए दो तरह के डेटा की ज़रूरत होती है- ट्रांज़िट डेटा (Transit data) और रेडियल वेलोसिटी डेटा (Radial velocity data). जब किसी तारे के चारों तरफ चक्कर लगाने वाला एक्सोप्लैनेट उसके सामने से गुजरता है, तो तारे की रोशनी जिस तरह कम होती है, ट्रांज़िट डेटा उसी का एक रिकॉर्ड है. अगर हम तारे की चमक जानते हैं, तो उस मंद होती रोशनी से एक्सोप्लैनेट के आकार का पता चल सकता है. जबकि एक्सोप्लैनेट के गुरुत्वाकर्षण टग के जवाब में एक तारा जितना लड़खड़ाता है, उसका रिकॉर्ड रेडियल वेलोसिटी डेटा होता है. अगर हम तारे का द्रव्यमान जानते हैं, तो इसके डगमगाने का आयाम हमें एक्सोप्लैनेट का द्रव्यमान बता सकता है.
इसका द्रव्यमान बृहस्पति से 8 गुना ज्यादा है
शोधकर्ताओं ने करीब चार सालों तक HD-114082 का रेडियल वेलोसिटी डेटा इकट्ठा किया. ट्रांज़िट डेटा और रेडियल वेलोसिटी डेटा का इस्तेमाल करके शोधकर्ताओं ने पता लगाया कि HD-114082b का रेडियस बृहस्पति ग्रह के समान है, लेकिन इसका द्रव्यमान बृहस्पति से 8 गुना ज्यादा है. इसका मतलब यह है कि एक्सोप्लैनेट का घनत्व (Density) पृथ्वी से करीब दोगुना है और बृहस्पति के घनत्व का लगभग 10 गुना है.
खगोलविद नहीं जानते कि ये बना कैसे
इस युवा एक्सोप्लैनेट के आकार और द्रव्यमान का मतलब यह है कि इसके एक विशालकाय चट्टानी ग्रह होने की ज्यादा संभावना नहीं है. इसके लिए पृथ्वी के रेडियस का 3 गुना और पृथ्वी के द्रव्यमान का 25 गुना होना ज़रूरी है. चट्टानी एक्सोप्लैनेट्स में घनत्व की सीमा बहुत कम होती है. इस सीमा के ऊपर, ग्रह सघन हो जाता है और इसका गुरुत्वाकर्षण, हाइड्रोजन और हीलियम के स्थाई वातावरण को बनाए रखना शुरू कर देता है. HD-114082b इन मापदंडों से बहुत ज्यादा आगे है, जिसका मतलब यह है कि यह एक गैस जायंट है. लेकिन खगोलविद यह नहीं समझ पाए हैं कि यह बना कैसे.
MPIA के खगोलशास्त्री राल्फ लॉन्हार्ट (Ralf Launhardt) का कहना है कि हमें लगता है कि यह विशाल ग्रह दो संभावित तरीकों से बना हो सकता है. इन दोनों तरीकों को 'कोल्ड स्टार्ट' या 'हॉट स्टार्ट' कहा जाता है. कोल्ड स्टार्ट में माना जाता है कि एक्सोप्लैनेट कंकड़ से कंकड़ जुड़कर बना होगा. जबकि हॉट स्टार्ट को डिस्क अस्थिरता के रूप में भी जाना जाता है और ऐसा तब होता है जब डिस्क में घूमता हुआ अस्थिर क्षेत्र, गुरुत्वाकर्षण में कोलैप्स हो जाता है. इसके बाद जो पिंड बनता है वो पूरी तरह से बना हुआ एक एक्सोप्लैनेट होता है, जिसमें कोई चट्टानी कोर नहीं होता, जहां गैसें सबसे ज्यादा गर्म रहती हैं.
शोधकर्ताओं का कहना है कि HD-114082b के गुण हॉट स्टार्ट मॉडल में फिट नहीं होते. इसका कोर अलग ही तरह का है. लॉन्हार्ट कहते हैं कि हम अभी से हॉट स्टार्ट की अवधारणा को त्याग नहीं सकते. हम केवल इतना कह सकते हैं कि हम अभी भी विशाल ग्रहों के निर्माण को ठीक तरह से नहीं समझ पाए हैं.