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God of Chaos... धरती के पास से गुजरते ही भूकंप के झटके खाने लगेगा ये एस्टेरॉयड

सिर्फ पांच साल और. धरती की तरफ आ रहा God of Chaos एस्टेरॉयड धरती के बगल से गुजरेगा. लेकिन अपनी पृथ्वी का भी एक सुरक्षाकवच है. जो उसे भी झटका देगा. पृथ्वी की ग्रैविटी उस एस्टेरॉयड की सतह पर भयानक भूकंप लाएगा. भूस्खलन पैदा करेगा. उस पत्थर से सिर्फ धरती को खतरा नहीं, बल्कि उसे खुद भी है.

गॉड ऑफ केओस यानी एपोफिस एस्टेरॉयड धरती के बगल से गुजरेगा. टक्कर काफी बाद में हो सकती है. (प्रतीकात्मक फोटोः गेटी) गॉड ऑफ केओस यानी एपोफिस एस्टेरॉयड धरती के बगल से गुजरेगा. टक्कर काफी बाद में हो सकती है. (प्रतीकात्मक फोटोः गेटी)
आजतक साइंस डेस्क
  • नई दिल्ली,
  • 04 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 12:18 PM IST

क्या होता है जब कोई वस्तु आपके बगल से तेजी से गुजरती है. इतनी तेजी कि वो आपके बाल उड़ा दे. संतुलन बिगाड़ दे. कुछ ऐसी ही घटना पांच साल बाद होने वाली है. जब 'God of Chaos' नाम का एस्टेरॉयड धरती के बगल से फ्लाई करेगा. दूरी काफी कम होगी. इसका असर धरती और उस पत्थर दोनों पर पड़ेगा. 

यह वही एपोफिस एस्टेरॉयड है, जिसे लेकर ISRO चीफ डॉ. एस. सोमनाथ ने चेतावनी दी थी कि ये खतरनाक है. साल 2029 में  यह एस्टेरॉयड धरती से टकराएगा नहीं. लेकिन बगल से गुजरेगा. असल में धरती की ग्रैविटी की वजह से एपोफिस की शक्ल छिल जाएगी. उसे काफी चोट पहुंचेगी. भूकंप के झटके महसूस होंगे. उसकी सतह पर भूस्खलन होगा.  

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एपोफिस नाम मिस्र के देवता Apep के नाम पर रखा गया है. ये देवता वहां पर अराजकता का स्वामी माना जाता है. एस्टेरॉयड एपोफिस 1230 फीट चौड़ा है. यह करीब साढ़े तीन फुटबॉल मैदान के बराबर है. धरती से इसकी टक्कर साल 2068 में धरती से टकरा सकता है. लेकिन उससे पहले यह दो बार धरती के पास से निकलेगा. एक तो 13 अप्रैल 2029 में. तब ये धरती से मात्र 32 हजार km दूर से निकलेगा. 

धरती से टकराया तो पूरा एशिया हो जाएगा साफ

इस एस्टेरॉयड की दूसरी यात्रा साल 2036 में होगी. इसरो का अंदाजा है कि 1230 फीट बड़ा एस्टेरॉयड अगर धरती से टकराता है तो वह पूरे एशिया को खत्म कर सकता है. एस्टेरॉयड की टक्कर वाली जगह से चारों तरफ करीब 20 km के इलाके में सामूहिक संहार हो जाएगा. किसी तरह के जीव-जंतुओं की आबादी नहीं बचेगी.  

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1230 फीट यानी कितना बड़ा एस्टेरॉयड?

एपोफिस तीन फुटबॉल स्टेडियम, आईएनएस विक्रमादित्य, मोटेरा वाले दुनिया के सबसे नरेंद्र मोदी क्रिकेट स्टेडियम के बराबर है. इसकी खोज साल 2004 में की गई थी. जब अंतरिक्ष में घूमने वाला कोई पत्थर सूरज की गर्मी से रास्ते में थोड़ा बदलाव करता है तो उसे यार्कोवस्की प्रभाव कहते हैं. इससे एस्टेरॉयड की दिशा और गति बदलती है. जिससे एस्टेरॉयड के रास्ते में आने वाली चीजों के लिए खतरा बढ़ जाता है.  

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क्या पक्का टक्कर होगा या नहीं? 

इसरो, नासा और यूरोपियन स्पेस एजेंसी समेत दुनियाभर के वैज्ञानिक एस्टेरॉयड एपोफिस के रास्ते, गति और इससे होने वाले नुकसान का आकलन कर रहे हैं. वैज्ञानिकों ने कहा कि धरती से इसके टकराने का चांस 1.50 लाख में एक बार ही है. लेकिन इसकी सही जानकारी 2029 के फ्लाइबाय के बाद होगी. क्योंकि तब ज्यादा बेहतर गणना हो सकेगी. जब वह धरती से मात्र 32 हजार किलोमीटर की दूरी से निकलेगा.

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