Advertisement

Hell Planet: हीरे के कोर वाला 'नारकीय ग्रह' खुद हो रहा है तबाही का शिकार

आपने नरक के बारे में तो सुना होगा, पर क्या आप जानते हैं कि वह है कहां? आज एक ऐसे ग्रह के बारे में बात करेंगे, जो अगर नरक नहीं है, तो उससे कम भी नहीं है. यहां बादलों से लावा बरसता है, पिघली हुई धातुओं के महासागर हैं और इस ग्रह का कोर हीरों से भरा है.

यह ग्रह सूर्य की तरफ खिच रहा है (Photo: NASA) यह ग्रह सूर्य की तरफ खिच रहा है (Photo: NASA)
aajtak.in
  • वॉशिंगटन,
  • 10 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 10:02 AM IST

वैज्ञानिक इस नारकीय ग्रह (Hell Planet) पर शोध कर रहे हैं. यहां बादलों से लावा बरसता है, पिघली हुई धातुओं के महासागर हैं और इस ग्रह का कोर हीरों से भरा है. शोधकर्ताओं का कहना है कि यह ग्रह हमेशा इतना भयानक नहीं था, लेकिन सूरज इसे अपनी तरफ खींच रहा है. सूरज के करीब जाने के बाद से यह ग्रह बेहद गर्म हो गया.

Advertisement

इस ग्रह का नाम 55 कैनरी ई (55 Cancri e) है और इसका उपनाम 'जेनसेन(Janssen)' रखा गया है. यह चट्टानी ग्रह हमसे 40 प्रकाश-वर्ष दूर है. पृथ्वी सूर्य की परीक्रमा जितने करीब से करती है, यह अपने तारे कोपरनिकस (Copernicus) की परिक्रमा, पृथ्वी से 70 गुना करीब से करता है. इसका मतलब है कि इसका एक साल सिर्फ 18 घंटे का होता है. 

पृथ्वी से 40 प्रकाश-वर्ष दूर है जेनसेन (Photo: NASA)

नेचर एस्ट्रोनॉमी जर्नल में प्रकाशित शोध से पता चलता है कि जेनसेन हमेशा ऐसा नहीं था. यह ग्रह एक बाइनरी पेयर के हिस्से के रूप में एक लाल ड्वार्फ तारे के साथ, कोपरनिकस की परिक्रमा करता है. ड्वार्फ तारे के पास चार अन्य ग्रह भी हैं. और चूंकि यह ग्रह हमेशा गर्म रहा, तो हो सकता है कि कोपरनिकस, लाल ड्वार्फ और जैनसेन के साथी ग्रहों के गुरुत्वाकर्षण में बदलाव के बाद, ही ग्रह की स्थिति इतनी खराब हुई हो.

Advertisement

न्यूयॉर्क के फ्लैटिरॉन इंस्टीट्यूट सेंटर फॉर कम्प्यूटेशनल एस्ट्रोफिजिक्स (CCA) की रिसर्च फलो और शोध की मुख्य लेखक लिली झाओ (Lily Zhao) का कहना है कि हमने पता लगाया है कि यह मल्टी-प्लैनेट-सिस्टम इस स्थिति में कैसे आया. शोधकर्ता इसपर शोध करना चाहते थे, ताकि यह आकलन किया जा सके कि इसके ग्रह कैसे विकसित हुए और यह हमारे फ्लैट, पैनकेक जैसे सौर मंडल से अलग कैसे है. 

पहले इस ग्रह की स्थिति इतनी नारकीय नहीं थी (Photo: maxresdefault)

इस सिस्टम का अध्ययन करने के लिए, शोधकर्ताओं ने एरिजोना में लोवेल डिस्कवरी टेलीस्कोप का इस्तेमाल किया. इससे प्रकाश के स्तर में आए मामूली बदलाव को मापा गया, क्योंकि जेनसेन ग्रह, कोपरनिकस और पृथ्वी के बीच आ गया था. कोपरनिकस भी स्पिन कर रहा था, इसलिए वैज्ञानिकों ने टेलीस्कोप के एक्सट्रीम प्रिसिजन स्पेक्ट्रोमीटर (EXPRES) का इस्तेमाल किया और यह पता लगाया कि किसी भी समय, ग्रह तारे के किस हिस्से को रोक रहा है.

 

इससे वैज्ञानिक कोपर्निकस की भूमध्य रेखा के चारों ओर ग्रह की असामान्य रूप से करीबी कक्षा को रीकंस्ट्रक्ट कर पाए. उन्हें लगता है कि सिस्टम में गुरुत्वाकर्षण के मिसलिग्न्मेंट के बाद, यह सूर्य के करीब खिंच गया. यह सोलर सिस्टम में अन्य ग्रहों की तुलना में एक अजीब ऑर्बिट है, जिसकी ऑर्बिट कोपरनिकस और पृथ्वी के बीच से क्रास भी नहीं करती हैं.

Advertisement

खगोलभौतिकविदों का कहना है कि वे हमारे जैसे ग्रहों की खोज के लिए अपने शोध का विस्तार करना चाहते हैं. साथ ही, यह जानना चाहते हैं कि वे कैसे विकसित हुए.

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement