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कहां है हमारे सौर मंडल का सबसे ऊंचा पहाड़, जो एवरेस्ट से भी तीन गुना बड़ा है

पृथ्वी पर सबसे ऊंचा पहाड़ माउंट एवरेस्ट है. लेकिन इससे तीन गुना बड़ा पहाड़ भी मौजूद है. सोचिए उस पहाड़ पर जाकर कैसा दिखेगा नजारा? क्या उस पहाड़ पर आजतक कोई गया है? उस पहाड़ के चारों तरफ का नजारा लाल रंग का है. असल में यह एक विशालकाय ज्वालामुखी है, जो किसी समय बहुत एक्टिव था.

तस्वीर में बाएं है मंगल ग्रह का ओलिंपस मॉन्स पहाड़ जो धरती के माउंट एवरेस्ट से करीब तीन गुना बड़ा है. तस्वीर में बाएं है मंगल ग्रह का ओलिंपस मॉन्स पहाड़ जो धरती के माउंट एवरेस्ट से करीब तीन गुना बड़ा है.
ऋचीक मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 24 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 9:19 AM IST

पृथ्वी पर सबसे ऊंचा पहाड़ माउंट एवरेस्ट (Mount Everest) है. लेकिन सौर मंडल में नहीं. जब बात सौर मंडल के अन्य ग्रहों की होती है, तो माउंट एवरेस्ट से तीन गुना ऊंचा पहाड़ मंगल ग्रह (Mars) पर मौजूद है. असल में मंगल ग्रह का यह विशालकाय पहाड़ एक ज्वालामुखी है. जो अब शांत है. एवरेस्ट से लगभग तीन गुना बड़े इस पहाड़ का नाम है ओलिंपस मॉन्स (Olympus Mons). 

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ओलिंपस मॉन्स की कुल ऊंचाई करीब 26 किलोमीटर है जबकि एवरेस्ट की ऊंचाई सिर्फ 8.8 किलोमीटर है. यह एक विशालकाय शील्ड ज्वालामुखी है. जो मंगल ग्रह के थेसिस मॉन्टेस नाम की ज्वालामुखीय इलाके से संबंधित है. इसकी ऊंचाई और क्षेत्रफल को अमेरिकी स्पेसक्राफ्ट मार्स ऑर्बिटर लेजर अल्टीमीटर से मापा गया था. इस पहाड़ की खोज अमेरिकी स्पेसक्राफ्ट मरीनर-9 (Mariner-9) ने की थी. 

ये है मंगल ग्रह पर मौैजूद ओलिंपस मॉन्स ज्वालामुखी जो सौर मंडल का सबसे ऊंचा पहाड़ है. (फोटोः NASA)

ओलिंपस मॉन्स मंगल ग्रह के पश्चिमी गोलार्ध में स्थित है. इसके ठीक ऊपर दो बड़े इम्पैक्ट क्रेटर बने हैं. यानी उसके ऊपरी हिस्से से कभी न कभी कोई अंतरिक्षीय पत्थर की टक्कर हुई होगी. एक क्रेटर 15.6 किलोमीटर व्यास का है, जिसे कारजोक क्रेटर कहते हैं. दूसरा उससे छोटा 10.4 किलोमीटर व्यास का है, इसे पांगबोचे क्रेटर कहते हैं. यह मंगल ग्रह के खुद के उल्कापिंड यानी शेरगोटाइटिस की टक्कर से बने हैं. 

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ओलिंपस मॉन्स का ढांचा इतना जटिल है कि इसकी ऊंचाई नापना कठिन काम था. यह इतना बड़ा है कि पूरे फ्रांस का करीब 70 फीसदी हिस्सा कवर कर ले. अगर मंगल ग्रह की सतह से इसकी ऊंचाई मापते हैं तो यह 21 किलोमीटर ऊंचा और सतह के नीचे मौजूद बेस से नापते हैं तो यह 26 किलोमीटर ऊंचा है. इसकी चौड़ाई 600 किलोमीटर है. यानी पहाड़ एक तरफ से दूसरी तरफ जाने में इतना किलोमीटर चलना पड़ेगा. 

ओलिंपस मॉन्स का कुल क्षेत्रफल इटली या फिलिपींस के आकार के बराबर है. (फोटोः NASA)

इस पहाड़ पर छह ऐसे काल्डेरा हैं, यानी शांत हो चुके ढह चुके क्रेटर जो अब सक्रिय नहीं हैं. इनकी गहराई 3.2 किलोमीटर है. जबकि चौड़ाई 60 से 80 किलोमीटर है. ओलिंपस मॉन्स पहाड़ 3 लाख वर्ग किलोमीटर का इलाका घेरता है. यानी आप इसे इटली या फिलिपींस के आकार के बराबर समझ सकते हैं. इस पर 70 किलोमीटर मोटी मिट्टी की परत जमी हुई है. वैज्ञानिक कहते हैं इसके इस आकार की वजह है मंगल ग्रह पर टेक्टोनिक प्लेटों का न हिलना. 

मंगल ग्रह के इस ऊंचे पहाड़ ओलिंपस मॉन्स के ऊपर वायुमंडल का दबाव 72 पास्कल है, जबकि मंगल ग्रह पर बाकी जगहों पर 600 पास्कल है. हमारी धरती पर माउंट एवरेस्ट के ऊपर वायुमंडल का दबाव करीब 32 हजार पास्कल है. यह बात तो खैर सबको पता है कि मंगल ग्रह का वायुमंडल काफी हल्का है. साथ ही गुरुत्वाकर्षण भी धरती की तुलना में कम है. इस पहाड़ को सबसे पहले 19वीं सदी में टेलिस्कोप के जरिए खोजा गया था. 

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एस्ट्रोनॉमर पैट्रिक मूर ने 1835 से 1910 के दौरान इस पहाड़ को खोजा था. उन्होंने ही बताया था कि इस पहाड़ के ऊपर बर्फ जमी थी. जिसे ओलिंपस स्नो (Olympus Snow) कहा जाता है. या फिर निक्स ओलंपिका (Nix Olympica) भी बुलाया जाता है. बाद में 1971 में अमेरिकी स्पेसक्राफ्ट मरीनर-9 ने इसकी पहाड़ की पहली फोटो ली. इसके होने की पुष्टि की. 

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