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0.05 सेकेंड में घुमाया सिर, गोली से महज 2 सेंटीमीटर दूर थे ट्रंप... लाइफ सेविंग साइंस की कहानी!

सिर्फ 0.05 सेकेंड और 2 सेंटीमीटर का अंतर था मौत और ट्रंप के बीच. दाहिनी दिशा से आ रही गोली सीधे कनपटी के आगे लगती. सिर को छेदकर पीछे की तरफ से निकल जाती. या धंसी रह जाती. लेकिन एक चार्ट देखने के लिए ट्रंप ने जैसे ही सिर घुमाया. गोली उनके कान को छेदकर निकल गई.

अगर डोनाल्ड ट्रंप अपना सिर नहीं घुमाते तो खबर कुछ और चल रही होती. अगर डोनाल्ड ट्रंप अपना सिर नहीं घुमाते तो खबर कुछ और चल रही होती.
ऋचीक मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 15 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 3:47 PM IST

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अगर अपना सिर दाहिनी तरफ न घुमाते तो शायद आज एक बुरी खबर चल रही होती. लेकिन ये किसी चमत्कार से कम नहीं है. उन्होंने 0.05 सेकेंड के अंतर पर सिर घुमाया. गोली सिर के बजाय दाहिने कान को छेद कर निकल गई. ट्रंप ने खुद भी यह बात मानी है कि मौत और उनके बीच मिलिसेकेंड्स का अंतर था. 

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अगर आप ध्यान से ट्रंप का वीडियो देखे तो वो अपने पोडियम से भाषण देते समय अपने दाहिने तरफ लगी स्क्रीन पर अवैध इमीग्रेशन का आंकड़ा देखते हैं. बस यही वो मौका था जब हमलावर ने गोली चलाई. इधर ट्रंप का सिर दाहिने घूमा और उधर गोली कान को छेदते हुए आगे निकल गई. इसके बाद ट्रंप डक कर गए. 

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इमीग्रेशन के उस चार्ट ने ट्रंप की जान बचाई. अगर ट्रंप उस चार्ट को देखने के लिए नहीं मुड़ते तो गोली उनके दाहिनी कनपटी के आगे लगती और सिर के पीछे से निकल जाती. ऐसे में ट्रंप का जीवित रहना असंभव हो जाता. असल में गोली के टारगेट तक पहुंचने के पीछे बहुत सारा साइंस काम करता है. 

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समझने का प्रयास करते हैं... 

जब भी ऐसी रैलियां होती हैं, तब सीक्रेट सर्विस के लोग कुछ खास साइंटफिक यंत्रों और तरीकों का इस्तेमाल करते हैं. ये तरीके, उनके यंत्र, उनकी प्रैक्टिस, त्वरित कार्रवाई ही वीआईपी को ऐसे हमलों से बचा पाती है. 

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एकॉस्टिक डिटेक्शन... सीक्रेट सर्विस के पास अत्याधुनिक एकॉस्टिक डिटेक्शन सिस्टम होता है. जो गोली चलने की आवाज पहचानता है. गोली की वजह से पैदा होने वाले सोनिक बूम को पहचानता है. गोली चलते ही यह यंत्र सीक्रेट सर्विस एजेंट्स को सतर्क कर देता है. वो गोली चलने की दिशा में एक्शन लेने लगते हैं. 

बैलिस्टिक ट्रैजेक्टरी एनालिसिस... सीक्रेट सर्विस के एजेंट्स गोली के आने की दिशा और गति को समझने के लिए ट्रेंड किए जाते हैं. वो गोली के आने की दिशा के मुताबिक वीआईपी की सुरक्षा करते हैं. जैसे ही गोली ट्रंप के कान पर लगकर निकलती है, एजेंट्स ये जान जाते हैं कि गोली किधर से आई. उसी तरफ से ट्रंप को पहले कवर किया जाता है. 

रिएक्शन टाइम और ट्रेनिंग...  सीक्रेट सर्विस एजेंट्स के रिफ्लेक्सेस काफी तेज होते हैं. गोली की आवाज के साथ ही वो तेजी से अपने वीआईपी को बचाने या फिर हमलावर को मारने के लिए एक्शन लेते हैं. 

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मोशन का फिजिक्स... फिजिक्स का वह नियम जो किसी भी वस्तु की गति, दिशा की समझ पैदा करता है. इन चीजों को समझ कर ही सीक्रेट सर्विस एजेंट्स गोली के आने की दिशा आदि की जानकारी हासिल कर पाते हैं. जब भी गोलियों के चलने की जांच की जाती है, तब उस समय हवा की गति, एंगल, हवा में नमी की भी जांच की जाती है. क्योंकि ये सभी प्राकृतिक फैक्टर्स भी गोली की दिशा और गति बदल सकते हैं. 

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कैसे हुआ इस हमले का खुलासा? 

पेंसिलवेनिया के बटलर में ट्रंप 05 नवंबर को होने वाले इलेक्शन के लिए कैंपेनिंग कर रहे थे. गोली की आवाज आई. गोली कान छेदकर निकली. ट्रंप ने हाथ से दाहिने कान को छूकर देखा. हाथ में खून लगा. तुरंत गोली आने की दिशा में देखते हुए झुक गए. पहली गोली के पांच सेकेंड बाद दूसरा राउंड फायर हुआ. 

सीक्रेट सर्विस एजेंट्स ने स्टेज पर जाकर ट्रंप को चारों तरफ ह्यूमन शील्ड बनाया. तब तक हथियारबंद सैनिकों ने स्टेज पर पोजिशन ले ली. कुछ ही सेकेंड के बाद छत पर मौजूद स्नाइपर ने हमलावर को गोली मार दी. हमलावर यानी 20 वर्षीय थॉमस मैथ्यू क्रुक्स. एक मिनट के बाद खून से सने गाल के साथ उठते हैं. 

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सीक्रेट सर्विस एजेंट्स के बीच से हाथ उठाकर फाइट, फाइट, फाइट कहते हैं. ट्रंप को सीधे उनकी कार में ले जाया जाता है. जांच में पता चला कि थॉमस ने जिस AR Style 556 राइफल का इस्तेमाल किया, वो वैध तरीके से खरीदी गई थी. संभवतः उसके पिता द्वारा. क्रुक्स ने हमले के लिए ट्रंप के सुरक्षा घेरे से बाहर की जगह चुनी थी. क्रुक्स ट्रंप के स्टेज से करीब 150 मीटर दूर एक इमारत की छत पर था.

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