
Chandrayaan-3 की सफलता का गुणगान पूरी दुनिया में हो रहा है. लेकिन इसके हिस्सों को दिए गए नामों पर भी चर्चा चल रही है. प्रज्ञान रोवर, विक्रम लैंडर और विकास इंजन. इन हिस्सों के नामकरण के पीछे का क्या कहानी है? संस्कृत में इन सबका मतलब क्या है? क्यों दुनिया की सबसे पुरानी भाषा के शब्दों को उठाया गया है नामकरण के लिए?
ISRO चीफ श्रीधरा सोमनाथ ने कहा था कि जो भारतीय साहित्य संस्कृत में लिखा गया है, वह बेहद उम्दा और असली है. वह भी बेहद फिलॉसॉफिकल रूप में. इस भाषा में जो वाक्यों को लिखने का जो तरीका है, वह इसे विज्ञान के बेहद करीब लेकर जाता है. इस भाषा में किसी चीज की रचना एक साइंटिफिक प्रक्रिया है.
चंद्रयान (Chandrayaan) का क्या मतलब है ... चंद्रयान-3 स्पेसक्राफ्ट को संस्कृत में चंद्रमा पर जाने वाला यान कहा गया है. यह नाम चंद्रमा पर जाने वाले यान और मिशन के लिए सबसे बेहतरीन और उपयुक्त था.
प्रज्ञान (Pragyan)... यह एक छह पहियों का रोवर है. जो चांद की सतह पर चल रहा है. उसकी सतह की जांच कर रहा है. संस्कृत में इसका मतलब होता है - बुद्धमत्ता. अंग्रेजी में Wisdom कहते हैं.
विक्रम (Vikram)... चंद्रयान-3 का लैंडर जो चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरा. संस्कृत में विक्रम का मतलब होता है बहादुर. वीर. साथ ही यह नाम इसरो के फाउंडर और फादर ऑफ इंडियन स्पेस प्रोग्राम विक्रम साराभाई से भी मिलता है.
विकास (Vikas)... यह असल में एक लिक्विड फ्यूल इंजन है, जो चंद्रयान-3 के तीन स्टेज वाले रॉकेट एलवीएम 3 में लगा था. जिसका मतलब होता है आगे बढ़ना. विकास इंजन ही चंद्रयान-3 के रॉकेट का कोर इंजन था. इसे विक्रम अंबालाल साराभाई के नाम का शॉर्ट फॉर्म भी माना जाता है.
ऐसा नहीं है कि सिर्फ चंद्रयान-3 के तीन-चार कंपोनेंट ही संस्कृत नाम वाले थे. इससे पहले देश के पहले मंगल मिशन का नाम मंगलयान (Mangalyaan) था. यह 2013 में लॉन्च किया गया था. लगातार 2022 तक काम करता रहा. पिछले साल इसकी बैट्री खत्म होने की वजह से इससे संपर्क खत्म हो गया.
2 सितंबर 2023 को भारत का पहला सूर्ययान यानी आदित्य-L1 लॉन्च होने वाला है. आदित्य का संस्कृत में मतलब सूरज होता है. इसकी लॉन्चिंग श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से होगी. इतना ही नहीं इसके बाद भी भारतीय एस्ट्रोनॉट्स को अंतरिक्ष में ले जाने वाले यान का नाम भी संस्कृत से लिया गया है.
उसे नाम दिया गया है गगनयान (Gaganyaan) है. यानी आसमान में जाने वाला यान. इसमें तीन एस्ट्रोनॉट्स को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा. यानी धरती की निचली कक्षा में. इसकी लॉन्चिंग 2025 में संभव है. उससे पहले इसके मानवरहित कैप्सूल में व्योममित्र (Vyommitra) नाम की रोबोट भेजी जाएगी.
व्योममित्र शब्द भी संस्कृत का है. जिसका अर्थ है अंतरिक्ष का मित्र. व्योममित्र के पैर नहीं है. बस धड़, सिर, हाथ हैं. यह इंसानों की तरह बोल लेती हैं. इंसानों की तरह शक्ल है. यह अंतरिक्ष में इंसानी शरीर पर होने वाले वाले प्रभावों की स्टडी के लिए गगनयान के पहले मानवरहित मिशन में भेजी जाएगी.