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क्या आपको पता है धरती पर कितनी चीटियां रहती है? 200 लाख करोड़... ऐसे की गई गिनती

पृथ्वी पर करीब 800 करोड़ इंसान रहते हैं. चीटियां कितनी रहती हैं? कभी सोचा है आपने? वैज्ञानिकों ने चीटियों की आबादी का पता लगा लिया है. ये इतनी ज्यादा हैं कि गिनती करना मुश्किल हो रहा है. यह संख्या गिनने में आपका सिर घूम जाएगा. लेकिन इतना पता है कि इंसानों की जनसंख्या से कई हजार गुना ज्यादा हैं.

वैज्ञानिकों ने दुनियाभर में 489 स्टडीज़ का अध्ययन किया. उसके बाद चीटियों की जनसंख्या पता चली. (फोटोः पेक्सेल) वैज्ञानिकों ने दुनियाभर में 489 स्टडीज़ का अध्ययन किया. उसके बाद चीटियों की जनसंख्या पता चली. (फोटोः पेक्सेल)
aajtak.in
  • सिडनी,
  • 20 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 3:43 PM IST

कभी आपने चीटियों की आबादी के बारे में सोचा है. कितनी चीटियां पृथ्वी पर रहती हैं. गारंटी के साथ कह सकते हैं कि किसी ने भी इस बारे में नहीं सोचा होगा. लेकिन अब वैज्ञानिकों ने दरती पर मौजूद चीटियों की आबादी का पता लगा लिया है. लगभग संख्या भी निकाल ली है. संख्या इतनी ज्यादा है कि जीरो गिनते-गिनते हालत खराब हो जाएगी. सिर घूम जाएगा. इतना तो पता चल गया है कि इंसानों या किसी अन्य जानवर की तुलना में कई हजार या लाख गुना ज्यादा हैं. 

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चीटियां धरती पर कई जरूरी काम करती हैं. इनकी सामाजिक संरचना हमें कई बातें सिखाती है. (फोटोः पिक्साबे)

वैज्ञानिकों ने एक स्टडी की है. जिसमें की गई गिनती के मुताबिक पूरी दुनिया में 20 क्वॉड्रिलियन (20 Quadrillion) चीटियां हैं. सामान्य भाषा में 200 लाख करोड़. अगर संख्या और जीरो देखना है तो आप खुद गिन लीजिए. धरती पर 20,000,000,000,000,000 चीटियां मौजूद हैं. ये चीटियां मिलकर 1.20 करोड़ टन ड्राई कार्बन बनाती हैं. इतना कार्बन तो धरती पर मौजूद सभी पक्षी और स्तनधारी जानवर मिलकर नहीं बनाते. ड्राई कार्बन का वजन पृथ्वी पर मौजूद इंसानों के वजन का पांचवां हिस्सा है.  

आप ये भूल जाइए कि धरती को इंसान चलाते हैं. प्रकृति को इंसान संतुलित करते हैं. बहुत साल पहल प्रसिद्ध बायोलॉजिस्ट एडवर्ड ओ विल्सन ने कीड़ों को लेकर कहा था कि छोटे जीव ही पूरी दुनिया को संचालित करते हैं. लगता है कि उनका कहना सही है. चीटियां प्रकृति का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा हैं. ये मिट्टी में हवा का स्तर बनाए रखती हैं. बीजों को इधर से उधर लेकर जाती हैं. ऑर्गैनिक पदार्थों को तोड़ती हैं. जीवों के लिए रहने लायक स्थान बनाती हैं. इसके अलावा फूड चेन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं. 

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जमीन का उपजाऊ बने रहना, उनमें हवा का पास होना... इन्हीं चीटियों की बदौलत है. (फोटोः अनस्प्लैश)

15,700 से ज्यादा प्रजातियां मौजूद हैं चीटियों की

चीटियों की आबादी और उनके द्वारा निकाले गए ड्राई कार्बन की मात्रा जांचने से पता चलता है कि पृथ्वी पर कितना जलवायु परिवर्तन हो रहा है. धरती पर चीटियों की 15,700 प्रजातियां और उप-प्रजातियां मौजूद हैं. कई तो ऐसी हैं जिनकी प्रजाति को अभी कोई नाम नहीं दिया गया है. इनकी सामाजिक संरचना, आपसी तालमेल, लयबद्ध तरीके से काम को अंजाम देना और एकदूसरे की फिक्र कई सारी चीजों को सिखाती हैं. ये पूरी दुनिया में इकोसिस्टम को बनाने और संतुलित करने में मदद करती हैं. 

कई भाषाओं में लिखी गई स्टडीज़ को पढ़ा गया

कई बार ये पता करने की कोशिश की गई कि पृथ्वी पर कितनी चीटियां हैं. पर सही तरीका और सबूतों के अभाव में सही आंकड़ा पता नहीं चल पाया. वैज्ञानिकों गैर-इंग्लिश साहित्य का भी अध्ययन किया. उन्होंने स्पैनिश, फ्रेंच, जर्मन, रूसी, मैंडेरिन और पुर्तगाली भाषा में भी दस्तावेजों की स्टडी की. कुल मिलाकर चीटियों की आबादी पर की गई 498 स्टडीज को वैज्ञानिकों ने पढ़कर फिर यह चीटियों की गणना की. 

जंगल, पहाड़, शहर, गांव या रेगिस्तान. चीटियां आपको हर जगह मिल जाएंगी. ये पूरी दुनिया में रहती हैं. (फोटोः पिक्साबे)

चीटियां तो विश्व में हर जगह रहती हैं, गिनती मुश्किल थी

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समस्या ये भी थी कि चीटियों की गणना आसानी से नहीं हो सकती. क्योंकि ये किसी एक निश्चित स्थान पर तो रहती नहीं हैं. ये जंगल, रेगिस्तान, घास के मैदान, गांव और शहर कहीं भी रहती हैं. इनके सैंपल जमा करना मुश्किल काम था. लेकिन 489 स्टडीज को करने के बाद जो विश्लेषण किया गया, उसमें चीटियों की यह आबादी निकल कर आई है. जो पिछली स्टडीज में बताई गई जनसंख्या से 20 गुना ज्यादा है. 

इस स्टडी को करने के लिए दुनिया भर की आधा दर्जन यूनिवर्सिटीज और वैज्ञानिक संस्थाओं के साइंटिस्ट जुटे. क्योंकि अगर इंसानों की आबादी को सही सलामत रखना है तो चीटियों की संख्या जानना जरूरी है. क्योंकि चीटियों की गणना से धरती पर हो रहे बड़े जलवायु बदलावों का पता करना आसान है. वजह ये है कि दुनियाभर में इंसानी हरकतों की वजह से कीड़ों की आबादी कम हो रही है. उनका घर खत्म हो रहा है. इसकी वजह है- जमीन का सही उपयोग नहीं होना. रसायनों का उपयोग. घुसपैठी प्रजातियां और जलवायु परिवर्तन. 

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