सिर्फ 12 दिन बचे हैं... धरती के नजदीक आ रहा विशालकाय धूमकेतु

आज से 12 दिन बाद धरती की तरफ आ रहा है एक बेहद बड़ा धूमकेतु. इसे पहली बार 2017 में सौर मंडल के बाहर देखा गया था. छह साल की यात्रा करने के बाद यह धूमकेतु अब 14 जुलाई 2022 को धरती के नजदीक पहुंचेगा. आइए जानते हैं इससे पृथ्वी को किसी तरह का खतरा तो नहीं है.

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14 जुलाई 2022 को K2 कॉमेट धरती के नजदीक से निकलेगा. (प्रतीकात्मक फोटोः पीटर श्मिट/पिक्साबे) 14 जुलाई 2022 को K2 कॉमेट धरती के नजदीक से निकलेगा. (प्रतीकात्मक फोटोः पीटर श्मिट/पिक्साबे)
aajtak.in
  • पासाडेना,
  • 02 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 8:22 PM IST
  • छह साल पहले सौर मंडल के बाहर दिखा था
  • तब से लगातार पृथ्वी की ओर चला आ रहा है

साल 2017 में एक विशालकाय धूमकेतु सौर मंडल के बाहर खोजा गया था. तब से अब तक वह सिर्फ सौर मंडल में आता जा रहा है. अब सिर्फ 12 दिन ही बचे हैं जब वह धूमकेतु धरती के नजदीक आएगा. यानी 14 जुलाई 2022 को यह धूमकेतु हमारी पृथ्वी के बेहद नजदीक आ जाएगा. इसका नाम है कॉमेट सी/2017 के2 (पैनस्टार्स) (Comet C/2017 K2, PANSTARRS). आम भाषा में इसे K2 धूमकेतु बुलाते हैं. 

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K2 धूमकेतु को साल 2017 में हबल स्पेस टेलिस्कोप (Hubble Space Telescope) ने खोजा था. तब यह हमारे सौर मंडल के बाहरी छोर पर था. उस समय यह माना गया था कि यह सबसे दूर खोजा गया धूमकेतु है. इसने मेगाकॉमेट बर्नाडिनेली-बर्नस्टीन (Comet Bernardinelli-Bernstein) की दूरी को पिछली साल ही पार किया था. 14 जुलाई को यह धरती से 27 करोड़ किलोमीटर दूर से निकलेगा. यानी धरती को इससे कोई खतरा नहीं है. लेकिन अंतरिक्ष विज्ञानियों के लिए यह हैरतअंगेज नजारा होगा. 

NASA द्वारा ली गई इस तस्वीर के ऊपरी दाएं हिस्से में आपको दिख रही सफेद रोशनी ही K2 धूमकेतु है. (फोटोः NASA)

अगर किसी को यह धूमकेतु लाइव देखना है तो वह वर्चुअल टेलिस्कोप प्रोजेक्ट की लिंक पर क्लिक करके देख सकता है. पिछले छह सालों से यह धूमकेतु लगातार धरती की ओर बढ़ता चला आ रहा है. आमतौर पर धूमकेतु जमी हुई गैस, पत्थर और धूल का एक गुच्छा होता है. जब ये सूरज के नजदीक पहुंचता है तो सूरज की गर्मी से पिघलने लगता है. इसलिए इसके पीछे सफेद रंग की पूंछ दिखती है. जमी हुई गैस और बर्फ पूंछ जैसी दिखती हैं. धूमकेतु के चारों तरफ एक बादल बनता है, जिसे कोमा (Coma) कहते हैं. 

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हैरान की बात ये है कि K2 तब से सक्रिय है, जब से वह खोजा गया था. उस समय वह शनि ग्रह और यूरेनस के आसपास की कक्षा में था. तब सूरज से उसकी दूरी 240 करोड़ किलोमीटर थी. यानी सूरज और धरती की दूरी से करीब 16 गुना ज्यादा दूरी. शुरुआती जांच में पता चला था कि इस धूमकेतु का न्यूक्लियस यानी केंद्र बहुत बड़ा है. इसकी स्टडी के लिए कनाडा-फ्रांस-हवाई टेलिस्कोप की मदद ली गई थी. 

K2 धूमकेतु का न्यूक्लियस की चौड़ाई 30 से 160 किलोमीटर के बीच हो सकती है. जबकि हबल स्पेस टेलिस्कोप ने इसकी चौड़ाई 18 किलोमीटर बताई थी. अब जब ये धरती के नजदीक आएगा तब अंतरिक्ष विज्ञानियों को इसके सही आकार का पता लगाने में मदद मिलेगी. साथ ही यह 19 दिसंबर तक धरती पर मौजूद टेलिस्कोप की नजर में रहेगा, जब तक यह सूरज के पीछे छिप नहीं जाता. 

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