
कनाडा में एक शहर है वाटरलू (Waterloo), इस जगह का एक इतिहास है. कहा जाता है कि वाटरलू की खूनी जंग में हजारों लोगों की जान गई थी. इस जंग में नेपोलियन (Napoleon) हार गया था. लेकिन इस जगह पर मानव अवशेष नहीं मिले. हजारों लोगों की मौत हुई लेकिन सुराग किसी का नहीं मिला, आखिर कहां गए मानव अवशेष ?
यूनिवर्सिटी ऑफ ग्लासगो सेंटर फॉर वॉर स्टडीज एंड कॉन्फ्लिक्ट आर्कियोलॉजी (University of Glasgow Centre for War Studies and Conflict Archaeology) के प्रोफेसर पोलार्ड (Pollard) ने कहा है कि यूरोपीय युद्धक्षेत्र, हड्डियों का एक आसान स्रोत रहा होगा, जिससे हो सकता है कि बोन-मील बनाया गया हो, जो एक असरदार फर्टिलाइज़र है.
पोलार्ड का कहना है कि 1820 के दशक के बाद, कम से कम तीन अखबारों में खाद बनाने के लिए यूरोपीय युद्धक्षेत्रों से मानव हड्डियों के आयात का जिक्र किया गया है.
पोलार्ड के मुताबिक, यह युद्ध 18 जून, 1815 को खत्म हुआ, इसके बाद वाटरलू एक टूरिस्ट प्लेस की तरह हो गया. लोग यहां तबाही का मंजर देखने के लिए आते थे. कुछ लोग मरे हुए लोगों के शरीर पर मौजूद मूल्यवान चीजें ले जाते थे. मानव दांतों को ले जाया जाता था और उससे डेन्चर बना लिए जाते थे. लेकिन बाकी बची हड्डियों की बाजार में अलग कीमत थी.
जर्नल ऑफ कॉन्फ्लिक्ट आर्कियोलॉजी (Journal of Conflict Archaeology) में प्रकाशित एक नए पेपर में कहा गया है कि हालिया पुरातात्विक जांच के आधार पर, ऐसा लगता है कि इंसानों की ये कब्रें, लोगों के लिए किसी मौके की तरह थीं, क्योंकि ये मानव हड्डियां फॉस्फेट फर्टिलाइज़र (phosphate fertilizer) का अहम स्रोत हेती हैं.
ऐतिहासिक दस्तावेजों के मुताबिक, तीन जगहों पर सामूहिक कब्रें थीं, जिनमें करीब 13,000 लाशों को दफ्न किया गया था. लेकिन पोलार्ड का मानना है कि अब वहां खोदने से कुछ नहीं मिलेगा, क्योंकि इन्हीं दस्तावेजों ने हड्डियों का धंधा करने वालों के लिए खजाने के नक्शे की तरह काम किया. इन लोगों ने यहां से हड्डियां निकालकर ब्रिटिश द्वीपों पर भेज दीं.
यह नतीजे वाटरलू की लड़ाई के खत्म होने के ठीक 207 साल बाद आए हैं, लेकिन रहस्य अभी तक निश्चित नहीं है. पोलार्ड को उम्मीद है कि आने वाले सालों में इसपर एक जियो फिज़िकल सर्वे किया जाएगा. जिससे कब्र स्थलों का पता लगेगा, साथ ही यह भी सामने आएगा कि वहां खोदने से क्या मिलता है.
— IFLScience (@IFLScience) June 18, 2022
पोलार्ड का कहना है कि अगर मानव अवशेषों को वहां से हटा भी दिया गया होगा, तो कम से कम इसके भी सबूत वहां से मिलेंगे.