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अटलांटिक में 8 करोड़ साल पहले रहता था विचित्र जीव, आधा स्क्विड-आधा घोंघा

अटलांटिक महासागर में 8 करोड़ साल पहले एक बेहद विचित्र जीव रहता था. इंसान जितना लंबा यह जीव आधा स्क्विड और आधा घोंघे जैसा था. वर्तमान स्क्विड की तरह इसका शरीर खुला हुआ नहीं था. बल्कि इसके ऊपर एक मोटा घुमावदार खोल होता था. इसके सूंड से लेकर घुमावदार खोल तक इसकी लंबाई करीब 6 फीट होती थी. एक नई स्टडी में यह जानकारी सामने आई है.

इंग्लैंड और मेक्सिको में मिले नए जीवाश्म से वैज्ञानिकों ने किया नया खुलासा. (फोटोः गेटी) इंग्लैंड और मेक्सिको में मिले नए जीवाश्म से वैज्ञानिकों ने किया नया खुलासा. (फोटोः गेटी)
aajtak.in
  • लंदन/न्यू मेक्सिको सिटी,
  • 11 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 4:08 PM IST
  • इंग्लैंड और मेक्सिको में मिले नए जीवाश्म.
  • अब तक 154 अमोनाइट जीवाश्म मिल चुके हैं.
  • वैज्ञानिक अब खोल रहे इसके विकास की परतें.

अटलांटिक महासागर में 8 करोड़ साल पहले एक बेहद विचित्र जीव रहता था. इंसान जितना लंबा यह जीव आधा स्क्विड और आधा घोंघे जैसा था. वर्तमान स्क्विड की तरह इसका शरीर खुला हुआ नहीं था. बल्कि इसके ऊपर एक मोटा घुमावदार खोल होता था. इसके सूंड से लेकर घुमावदार खोल तक इसकी लंबाई करीब 6 फीट होती थी. एक नई स्टडी में यह जानकारी सामने आई है. 

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इन जीवों को अमोनाइट्स (Ammonites) कहा जाता है. ये खोलवाले सीफैलोपोड्स (Shelled Cephalopods) हैं, जो 6.6 करोड़ साल पहले विलुप्त हो गए. दुनिया का सबसे बड़ा अमोनाइट जीवाश्म 1895 में जर्मनी में मिला था. यह करीब 5.7 फीट का था. विज्ञान की भाषा में इसे पारापुजोसिया सेपेराडेन्सिस (Parapuzosia seppenradensis) कहते हैं. हाल ही में इसी आकार के जीवाश्म मिले हैं. अब वैज्ञानिक ये खोज रहे हैं कि आखिरकार इन जीवों का आकार इतना बड़ा क्यों था. 

मेक्सिको की एक सूखी नदी में चॉक की परत में दबा अमोनाइट्स का जीवाश्म. (फोटोः गेटी)

10 नवंबर 2021 को जर्नल PLOS One में एक नई स्टडी प्रकाशित हुई है. जिसमें 154 अमोनाइट जीवाश्म मिले हैं. इसके अलावा 100 नए और छोटे जीवाश्म भी मिले हैं. इनकी खोज इंग्लैंड और मेक्सिको में हुई है. वैज्ञानिकों ने बताया कि  पारापुजोसिया सेपेराडेन्सिस (Parapuzosia seppenradensis) की एक अन्य प्रजाति 8 करोड़ साल पहले अटलांटिक महासागर में रहती थी. जिसे पारापुजोसिया लेप्टोफाइला (Parapuzosia leptophylla) कहते थे. ये सिर्फ 3.2 फीट चौड़े होते थे. 

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बावेरियन नेचुरल हिस्ट्री कलेक्शंस के रिसर्चर और जूरा म्यूजियम की हेड ऑफ साइंस क्रिस्टीन इफरिम ने कहा कि जर्मनी में हमारे पास यह विश्व प्रसिद्ध जीवाश्म है. अब हम इसकी सारी कहानी दुनिया को सुना सकते हैं. इन फेमस अमोनाइट्स को उत्तरी मेक्सिको के पीड्रास नेग्रास से 40 किलोमीटर दूर स्थित मंस्टर म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री में ये जीवाश्म रखे हैं. इन जीवाश्मों की खोज एक प्राचीन सूखी हुई नदी की तलहटी में चॉक और लाइमस्टोन पत्थरों की परत के बीच हुई थी. ये जीवाश्म 0.3 से लेकर 4.8 फीट तक चौड़े थे. 

अब तक अमोनाइट्स के 154 से ज्यादा जीवाश्म मिल चुके हैं दुनियाभर से.  (फोटोः गेटी)

क्रिस्टीन इफिरम ने कहा कि छोटे जीवाश्म से लेकर बड़े जीवाश्मों के अध्ययन से हमें अमोनाइट्स के जीवन चक्र की पूरी जानकारी मिल जाएगी. हमें अभी तक यह पता चल पाया है कि अमोनाइट्स पांच अलग-अलग स्टेज में विकसित हुए थे. क्योंकि इनका घुमावदार खोल बेहद धीरे-धीरे विकसित होता था. खोल के बदलाव के साथ ही शरीर में भी बदलाव देखने को मिलता था. 

ये जीवाश्म सैंटोनियन काल (Santonian Age) के समय के थे. यानी 8.63 करोड़ से लेकर 8.36 करोड़ साल का प्राचीन समय. इस समय के अमोनाइट्स 6 फीट तक लंबे होते थे. लेकिन उसके बाद 8.36 करोड़ साल से लेकर 7.21 करोड़ साल के बीच मिलने वाले अमेनाइट्स की लंबाई औसत 3.2 फीट तक होती थी. जैसे-जैसे समय बदलता गया, इन जीवों का आकर छोटा होता चला गया. क्रिस्टीना कहती हैं कि आज भी अटलांटिक महासागर के नीचे और आसपास अमोनाइट्स के जीवाश्म मिल जाते हैं. 

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इंग्लैंड और मेक्सिको में मिले अमोनाइट्स के जीवाश्म वयस्क जीवों के थे. वैज्ञानिकों का अनुमान है कि प्राचीन समय में इंग्लैंड और मेक्सिको की जगह मौजूद समुद्र में अमोनाइट्स प्रजनन करने के लिए जमा होते रहे होंगे. ये प्रजनन पूरा करने के बाद ज्यादा दिनों तक जिंदा नहीं रहते थे. आधुनिक स्क्विड और कटलफिश की कुछ प्रजातियां आज भी ऐसा ही करती हैं. वो प्रजनन करने के बाद मर जाती है. आमतौर पर नर. बच्चे पैदा करने के बाद मादा भी ज्यादा दिन जिंदा नहीं रहती. 

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