
1971 के युद्ध के अंत में जब लेफ्टिनेंट जनरल एएके नियाजी ने भारतीय सेना के सामने हथियार डाले. तब एक सीनियर IAF अधिकारी ने पूछा कि आपने सरेंडर क्यों किया? नियाजी ने अधिकारी की वर्दी पर लगे विंग्स की ओर इशारा करते हुए कहा कि तुम्हारी वजह से, भारतीय वायुसेना की वजह से.
कहानी शुरू होती है बांग्लादेश के विभाजन से. बांग्लादेश को पश्चिमी पाकिस्तान से अलग करने के लिए भारत उसकी मदद कर रहा था. ये बात पाकिस्तान को पसंद नहीं थी. पाकिस्तान ने बांग्लादेश में भयानक तबाही मचाई. सामूहिक संहार किया. बांग्लादेश में भारतीय जवान पश्चिमी पाकिस्तानी फौजियों को मार रहे थे.
अक्टूबर में भारतीय सैनिकों ने गरीबपुर में दो पाकिस्तानी फाइटर जेट्स को मार गिराया था. इस जगह हो रहे युद्ध को इतिहास में बोयरा की जंग (Battle of Boyra) के नाम से पुकारते हैं. पाकिस्तान समझ गया था कि अब भारत से युद्ध होकर रहेगा. लेकिन भारत इसकी शुरुआत नहीं कर रहा था.
पाकिस्तान ने शुरू किया ऑपरेशन चंगेज खान
पाकिस्तान के राष्ट्रपति याहया खान को जनरल अयूब खान की साजिश पसंद आई. जिसमें अयूब खान ने कहा कि पूर्वी पाकिस्तान की सुरक्षा पश्चिम के हाथ में है. प्लान था कि भारत के बड़े पश्चिमी इलाके को कब्जे में लेकर फिर बांग्लादेश को छुड़वाने की बात की जाए. जनरल टिक्का खान ने भारत पर हमले की योजना बताई. जिसे ऑपरेशन चंगेज खान नाम दिया गया.
पाकिस्तानी हमले के समय इंदिरा गांधी कलकत्ता में थीं
3 दिसंबर 1971 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी कलकत्ता में एक रैली संबोधित कर रही थीं. उन्होंने कहा कि भारत शांति चाहता है. लेकिन युद्ध करना पड़ा तो पीछे नहीं हटेंगे. अभी भाषण दे ही रही थीं कि उनके सचिव चिट लेकर आए. जिस पर लिखा था कि पाकिस्तानी लड़ाकुओं ने हमारे उत्तर, उत्तर-पश्चिम और पश्चिम के 9 एयरबेस बम से उड़ा दिए हैं. इनमें अमृतसर, आगरा और श्रीनगर भी शामिल हैं.
इंदिरा गांधी ने जल्दी से अपना भाषण खत्म किया. रैली से विदाई ली. लौटते समय अपने सहायक से कहा कि शुक्र है कि पहला हमला उनकी ओर से हुआ है. भारत और पाकिस्तान के बीच तीसरा युद्ध शुरू हो गया था. इसकी शुरुआत पाकिस्तान ने की थी. उस रात इंदिरा गांधी भारतीय फाइटर जेट्स की सुरक्षा में नई दिल्ली वापस आईं.
देश में हाई अलर्ट था, दिल्ली में जानबूझकर था अंधेरा
देश में हाई अलर्ट था. इंदिरा प्लेन से जब दिल्ली उतरी तो पूरी राजधानी सेना के आदेश पर अंधकार में डूबी थी. पावर कट के आदेश दिए गए थे. इंदिरा सीधे साउथ ब्लॉक के उस कमरे में गईं, जहां दुनिया भर के नक्शे रखे होते हैं. उन्हें बताया गया कि पाकिस्तानी फाइटर जेट्स ने कहां-कहां हमला किया है. कितना नुकसान हुआ है.
इंदिरा ने आधी रात को देश को संबोधित किया. पाकिस्तानी हमले और उससे जुड़े खतरों के बारे में आगाह किया. उस रात वो घर नहीं गई थीं. जनरल सैम मानेक शॉ मौके पर मौजूद थे. परेशान थे. तब इंदिरा ने कहा कि तुम हर दिन जीत नहीं सकते. अगले हमले की तैयारी करो. पहले यह जानते हैं कि पाकिस्तान ने कब, कहां और कैसे हमला किया?
ये था पाकिस्तानी हमला, ऑपरेशन चंगेज खान
3 दिसंबर 1971 की शाम साढ़े पांच बजे थे. दस मिनट में पहला हमला पठानकोट एयरबेस पर हुआ. हमला उस समय हुआ जब शिफ्ट बदल रही थी. इसमें पाकिस्तान के दो मिराज-3, 6 F-86एफ सेबर्स फाइटर जेट्स थे. जिन्हें लीड कर रहे थे विंग कमांडर एसएन जिलानी. जिलानी ने अनगाइडेड रॉकेटों और 125 kg बमों से एयरबेस के रनवे को उड़ा दिया. पाकिस्तानी एयरफोर्स आसानी से हमला करते रहे. बस उन्हें एंटी-एयरक्राफ्ट गन के हमले से बचना था.
पौने छह बजे पाकिस्तान के सरगोधा से विंग कमांडर हकीमुल्ला ने अमृतसर एयरबेस पर हमला किया. हकीमुल्ला के जेट पर दो 500 kg के बम थे. एक ने अमृतसर एयरबेस के रनवे का 300 मीटर हिस्सा उड़ा दिया था. कई घंटों तक यह रनवे काम के लायक नहीं बचा था. लेकिन रात में ही रनवे बन गया.
दूसरा हमला F-104 स्टारफाइटर जेट के साथ विंग कमांडर अमजद एच खान ने किया. उसने अमृतसर के राडार स्टेशन को उड़ा दिया. एक घंटे तक यह स्टेशन काम के लायक नहीं बचा. क्योंकि यहीं से पाकिस्तान के रफीकी एयरबेस के लिए यहीं से भारतीय वायुसेना के MiG-21 और सुखोई Su-7 फाइटर जेट्स ने सुबह उड़ान भरी थी.
इस हमले के 45 मिनट के अंदर पाकिस्तानी एयरफोर्स ने उत्तरलाई, हलवाड़ा, अंबाला, आगरा पर भी हमला बोल दिया. थोड़ी देर बार भुज और श्रीनगर एयरबेस पर भी हमला किया गया. उत्तरलाई का हमला तगड़ा था. छह दिनों तक एयरबेस काम लायक नहीं बचा था. अंबाला, आगरा और हलवाड़ा में थोड़ा बहुत नुकसान हुआ था. ज्यादा तबाही भुज में हुई थी. लेकिन रातभर में भुज एयरबेस का रनवे भी ठीक कर लिया गया. आधी रात हो चुकी थी. प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने रेडियो पर पूरे भारत को पाकिस्तान की कायरतापूर्ण हरकत के बारे में बताया.
भारतीय वायुसेना का ताकतवर पलटवार, मुंहतोड़ जवाब
पाकिस्तान ने साढ़े पांच बजे से हमला शुरु किया था. लेकिन 9 बजे तक भारतीय वायुसेना के 35वें स्क्वॉड्रन और 106 स्क्वॉड्रन के कैनबेरा (Canberras) फाइटर जेट पाकिस्तान के अंदर घुसकर हमले के लिए तैयार और तैनात थे. उसके अलावा 5वीं और 16वीं स्क्वॉड्रन भी तैयार थी. भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान में उनके घर में घुसकर उनके एयरबेस पर जो तबाही मचाई है, वो प्रलय से कम नहीं थी.
भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के 8 एयरबेस पर खतरनाक हमला किया. ये थे - मुरीद, मियानवाली, सरगोधा, चंधार, रिसालेवाला, रफीकी और मसरूर. 3 दिसंबर 1971 की रात भारतीय वायुसेना ने 23 लड़ाकू सॉर्टीज पाकिस्तान में की. सरगोधा और मसरूर एयरबेस तो कब्रिस्तान में तब्दील हो चुका था.
पाकिस्तानी एयरफोर्स को यहां पर दो दिनों तक टैक्सी वे से काम करना पड़ा था. इसके बाद भी भारतीय वायुसेना रुकी नहीं. उसने पाकिस्तान के पूर्वी एयरफील्ड्स यानी बांग्लादेश के तेजगांव और कुर्मीटोला एयरबेस पर हमला किया. वहां भी पाकिस्तानी एयरफोर्स का कब्जा था.
इन हमलों से पाकिस्तानी वायुसेना और सरकार की धज्जियां उड़ गईं. पाकिस्तान के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और जनरल भारत का जो पश्चिमी हिस्सा लेना चाहते थे. वो मंशा पूरी नहीं हुई. बदले में उनके यहां पर भारतीय फाइटर पायलट्स ने जो आग बरसाई, उससे उनकी रूह कांप गई.
इस हमले के बाद क्या किया भारतीय वायुसेना ने
3 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने के बाद भारतीय वायुसेना के फाइटर जेट्स ने अगले दो हफ्तों में देश के पश्चिमी इलाकों में 4 हजार सॉर्टीज लगाए. ये सॉर्टीज जम्मू, कश्मीर, पंजाब और राजस्थान में लगाए गए. ताकि पाकिस्तान फिर हमला न कर सके. क्योंकि पाकिस्तान की पलटकर हमला करने की आदत है.
पूर्वी सीमा पर 1978 सॉर्टीज लगाए गए. पूरे 1971 युद्ध के दौरान भारतीय वायुसेना ने 80 फीसदी सफलता दर के साथ पाकिस्तान की हालत पस्त कर दी. पश्चिमी सीमा पर वायुसेना ने पाकिस्तान को गूंगा-बहरा और अपंग बना दिया था. उसके सारे कम्यूनेकिशन सिस्टम तबाह कर दिए थे. ईंधन डिपो और हथियारों के गोदामों को उड़ा दिया गया था.