Advertisement

जंग में दुश्मन के हर ड्रोन को चित कर देगा भारत का चील

अब पाकिस्तानी ड्रोन्स को सीमा पर ही मार गिराएंगे भारतीय सेना के चील. इंडियन आर्मी को जल्द ही एंटी ड्रोन चील मिलने वाली है. चील को मेरठ के रीमाउंट वेटरीनरी कोर में ट्रेनिंग दी जा रही है. ये ड्रोन्स को मार गिराने की ट्रेनिंग कर रहे हैं. इन चीलों और ट्रेन्ड डॉग्स उत्तराखंड के औली में युद्धाभ्यास में शामिल होंगे.

ड्रोन पर हमला करती चील. (प्रतीकात्मक फोटोः AFP) ड्रोन पर हमला करती चील. (प्रतीकात्मक फोटोः AFP)
ऋचीक मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 28 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 1:20 PM IST

पाकिस्तान या चीन के ड्रोन्स को मार गिराने के लिए अब एंटी ड्रोन गन्स की जरुरत नहीं पड़ेगी. भारतीय सेना के लिए चीलों को प्रशिक्षित किया जा रहा है. इन्हें एंटी ड्रोन हथियार बनाया जा रहा है. एंटी ड्रोन चीलों और डॉग्स की ट्रेनिंग मेरठ के रीमाउंट वेटरीनरी कोर में हो रही है. ये दोनों जानवर एकदूसरे के साथ मिलकर एंटी ड्रोन मिशन में भाग लेंगे. 

Advertisement

उत्तराखंड के औली में होने वाले भारतीय-अमेरिकी संयुक्त युद्धाभ्यास में इन दोनों जानवरों की ट्रेनिंग का प्रदर्शन किया जाएगा. बहुत जल्द ट्रेनिंग पूरी होते ही ये चील भारतीय सेना को मिल जाएंगे. इसके बाद इन चीलों और डॉग्स को सीमा के पास सैन्य पोस्ट पर तैनात किया जा सकता है. जहां से दुश्मन ड्रोन्स को देखते ही ये हमला कर देंगे. उन्हें मार गिराएंगे. इन चीलों की ट्रेनिंग काफी दिनों से चल रही थी, जो बेहद जल्द पूरी होने वाली है. 

चील अपने नुकीले पंजों औऱ ताकतवर पंखों के सहारे ड्रोन्स को मार गिरा सकते हैं. (प्रतीकात्मक फोटोः AFP)

चीलों की खासियत ये है कि ऊंचाई पर उड़ते हैं. निगाहें तेज होती हैं. दूर तक देख सकते हैं. दुश्मन पर मिसाइल की तरह हमला करते हैं. यानी दुश्मन चाहकर भी अपने ड्रोन को चील के हमले से बचा नहीं पाएगा. दूसरी तरफ डॉग्स के कान तेज होते हैं. वो बेहद बारीक आवाज सुन लेते हैं. जिन्हें इंसान नहीं सुन पाता. डॉग्स आवाज की तरफ तेजी से हमला कर सकते हैं. जब भी दुश्मन का ड्रोन भारतीय सीमा में घुसेगा चील उसे अपने नुकीले पंजों और ताकतवर पंखों से मार गिराएंगे. 

Advertisement

अक्सर यह खबर आती है कि देश की पश्चिमी सीमा पर पाकिस्तान की ओर से ड्रोन सीमाई गांवों और पोस्ट के ऊपर उड़ते हैं. उन्हें कई बार गोली मार दी जाती है. कई बार वो वापस चले जाते हैं. आतंकियों ने भी ड्रोन का इस्तेमाल शुरू कर दिया है. ऐसे में ड्रोन्स को मार गिराने के अलावा कोई चारा नहीं बचता. इस स्थिति में एंटी ड्रोन चील भारतीय सेना का हवाई कमांडो साबित होगा. 

ड्रोन के साथ सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि ये राडार की नजर में नहीं आते. कई बार ये इतने नीचे उड़ते हैं कि इन्हें राडार कैच नहीं कर पाता. छोटे-मोटे ड्रोन्स बाजार में उपलब्ध भी हैं. इन्हें कोई भी आसानी से उड़ा सकता है. उनसे निगरानी, जासूसी या हवाई हमला कर सकता है. इन ड्रोन्स की मदद से हथियारों, ड्रग्स आदि की स्मगलिंग भी होती है. इसलिए चील की मदद से ऐसे ड्रोन्स को मार गिराने की योजना कारगर साबित होगी.  

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement