Advertisement

अमेरिका ने चांद पर भेजीं इंसानी अस्थियां, मून मिशन को लीड कर रहा ये भारतवंशी

52 साल बाद अमेरिका फिर चांद पर जा रहा है. नासा की मदद से एक प्राइवेट कंपनी एस्ट्रोबॉटिक टेक्नोलॉजी ने पेरेग्रिन लैंडर को लॉन्च कर दिया है. इस मिशन के पीछे एक भारतवंशी का दिमाग है. पेरेग्रिन के 23 फरवरी को चांद पर लैंड करने का है.

52 साल बाद अमेरिका चांद पर लैंडर उतारने जा रहा है. 52 साल बाद अमेरिका चांद पर लैंडर उतारने जा रहा है.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 08 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 9:53 PM IST

भारत के चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के कुछ महीनों बाद अमेरिका फिर से चांद में अपनी दिलचस्पी दिखा रहा है. अब अमेरिका फिर से चांद पर लैंडर उतार रहा है. ये लैंडर प्राइवेट कंपनी एस्ट्रोबॉटिक टेक्नोलॉजी (Astrobotic Technology) का है. और इसे पेरेग्रिन (Peregrine) नाम दिया गया है. लैंडर का नाम बाज के नाम पर रखा गया है, जो दुनिया में सबसे तेज रफ्तार से उड़ने वाला पक्षी है.

Advertisement

52 साल बाद अमेरिका का ये पहला मून मिशन है. आखिरी बार 1972 में अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा (NASA) ने अपोलो-17 (Apollo-17) लॉन्च किया था. 

पेरेग्रिन लैंडर को सोमवार को वल्कन रॉकेट (Vulcan rocket) से लॉन्च कर दिया गया है. इस रॉकेट को लॉकहीड मार्टिन और बोइंग ने मिलकर बनाया है. 

न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, ये मिशन नासा के कमर्शियल लूनार पेलोड सर्विस प्रोग्राम (CLPS) का हिस्सा है. इस प्रोग्राम का मकसद चांद पर पेलोड भेजने की लागत को कम करना है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, नासा ने एस्ट्रोबॉटिक को लैंडर बनाने के लिए 10.8 करोड़ डॉलर का फंड दिया था. भारतीय करंसी में ये रकम लगभग 900 करोड़ रुपये बैठती है.

बताया जा रहा है कि इस लैंडर पर दुनियाभर के बच्चों के 80 हजार से ज्यादा मैसेजेस भी लिखे हुए हैं. इसके पेलोड में माउंट एवरेस्ट के कुछ टुकड़े भी शामिल हैं. पर सबसे ज्यादा खास बात ये है कि इस पूरे मिशन की कमान एक भारतीय मूल के नागरिक के पास है. इस मून मिशन के डायरेक्टर शरद भास्करन हैं. शरद भास्करन इस समय एस्ट्रोबॉटिक टेक्नोलॉजी में मिशन डायरेक्टर हैं. इस मिशन में जो लैंडर चांद पर जा रहा है, उसे डिजाइन करने वाली टीम को भास्करन ने ही लीड किया है.

Advertisement

कौन हैं शरद भास्करन?

शरद भास्करन भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक हैं. वो लंबे समय से अमेरिका में बसे हैं. उन्होंने टेक्सास यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीएससी की डिग्री हासिल की है. 

पिट्सबर्ग स्थित एस्ट्रोबॉटिक टेक्नोलॉजी से वो 2016 से जुड़े हुए हैं. यहां वो मिशन डायरेक्टर हैं. इससे पहले उन्होंने लॉकहीड मार्टिन में भी कई दशकों तक काम किया है.

उनकी लिंक्डइन प्रोफाइल के मुताबिक, एस्ट्रोबॉटिक टेक्नोलॉजी में वो मिशन ऑपरेशन और स्पेसक्राफ्ट असेंबली के डेवलपमेंट के अलावा बजट, शेड्यूल, रिस्क और मिशन रिसोर्सेस को भी मैनेज करते हैं.

मिशन में इंसानी अस्थियां भी जाएंगी चांद पर

सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, इस मून मिशन में 20 पेलोड चांद पर भेजे जा रहे हैं. इनमें से पांच नासा के हैं, जबकि बाकी के 15 पेलोड अलग-अलग प्राइवेट कंपनियों के हैं.

इस मिशन में मानव अस्थियां भी चांद पर जा रही हैं. ये अस्थियां दो प्राइवेट कंपनियां- एलिसियम स्पेस और सेलेस्टिस भेज रहीं हैं. दरअसल, ये कंपनियां मानव अस्थियों को चांद पर भेजतीं हैं, ताकि उन्हें अमर किया जा सके. इसके लिए सेलेस्टिस कंपनी कम से कम 10 हजार डॉलर लेती है.

मानव अस्थियों के अलावा चांद पर कुछ चुनिंदा इंसानों के डीएनए सैंपल भी भेजे जा रहे हैं. सीएनएन के मुताबिक, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज वॉशिंगटन, ड्वाइट आइजनहॉवर और जॉन एफ. कैनेडी के डीएनए सैंपल भी शामिल हैं. कुल मिलाकर डीएनए सैंपल के 265 कैप्सूल चांद पर भेजे जाएंगे. 

Advertisement

जिन लोगों के डीएनए सैंपल भेजे जा रहे हैं, उनमें एस्ट्रोनॉट फिलिप चेपमैन भी शामिल हैं. चेपमैन को अपोलो मिशन के तहत चांद पर भेजने के लिए चुना गया था. हालांकि, ये मिशन लॉन्च नहीं हुआ. 2021 में चेपमैन की मौत हो गई थी.

कब तक चांद पर पहुंचेगा पेरेग्रिन लैंडर?

पेरेग्रिन लैंडर के 23 फरवरी को चांद की सतह पर लैंड करने की उम्मीद है. अगर लैंडिंग सफल हो जाती है तो 52 साल बाद अमेरिका चांद पर पहुंचेगा. लैंड करने के बाद पेरेग्रिन लैंडर 192 घंटे तक काम करेगा.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement