
इंडोनेशिया (Indonesia) का सबसे ऊंचा ज्वालामुखी माउंट सेमेरू (Mount Semeru) 4 दिसंबर 2022 को अचानक फट पड़ा. 12 हजार फीट ऊंचे पहाड़ की चोटी से इतनी तेज लावा, गर्म राख और गैसें निकलीं कि वो ज्वालामुखी की घाटी में स्थित गांवों में खेतों तक पहुंच गईं. लावा की नदियां बह गईं.
माउंट सेमेरू कई दिनों से ज्वालामुखी धीरे-धीरे सुलग रहा था. लेकिन मॉनसूनी बारिश की वजह से उसका लावा डोम (Lava Dome) टूट गया. जिससे गर्म राख, गैस और लावा की नदियां कई किलोमीटर दूर तक तेजी से बहती हुई आईं. आप यहां नीचे दिए गए वीडियो में भी देख सकते हैं.
इंडोनेशिया के नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट एजेंसी के प्रवक्ता अब्दुल मुहारी ने कहा कि ज्वालामुखी के आसपास मौजूद कई गांव राख की ढेर में छिप गए हैं. धुएं और राख की वजह से आसमान काला हो गया है. दिन में भी लोगों को लाइट जलानी पड़ रही है. लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया है. अब भी राहत एवं बचाव कार्य जारी है.
माउंट सेमेरू (Mount Semeru) राजधानी जकार्ता से 800 किलोमीटर दूर दक्षिणपूर्व स्थित जावा में है. जावा में कई ज्वालामुखी हैं. जो सक्रिय हैं. लेकिन माउंट सेमेरू सबसे खतरनाक और सबसे ऊंचा ज्वालामुखी है. सिर्फ इंडोनेशिया में 121 सक्रिय ज्वालामुखी मौजूद हैं. पिछले साल भी माउंट सेमेरू में विस्फोट हुआ था. तब उसके लावा, गर्म गैस और राख की चपेट में आने से 51 लोगों की मौत हो गई थी. 10 हजार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाना पड़ा था.
इस बार के विस्फोट से निकली राख, गर्म गैस और लावा की नदियां पहाड़ के नीचे 8 किलोमीटर तक बहकर आईं. स्थानीय लोगों को 20 किलोमीटर दूर स्थित स्कूल में टिकाया गया है. जहां पर सरकार की तरफ से खाना-पानी और दवाएं वगैरह दिए जा रहे हैं. इस समय ज्वालामुखी के डेंजर जोन में करीब 3 हजार मकान हैं. यहां रहने वाले सभी लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया है.
माउंट सेमेरू (Mount Semeru) के विस्फोट के बाद राख और धुएं के बादल करीब 5000 फीट की ऊंचाई तक फैल गए थे. इसके बाद लावा नीचे की ओर बहते हुए पास की नदी बेसुक कोबोकान में जा मिला. इस घटना के तत्काल बाद ही आसपास के लोगों को हटा दिया गया. इस समय ज्वालामुखी से संबंधित खतरे के अलर्ट को सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंचा दिया गया है. यानी लोगों को ज्वालामुखी के आसपास न जाना है. अगर कोई है तो उसे सुरक्षित स्थान पर चले जाना चाहिए.
पृथ्वी पर 1500 एक्टिव यानी सक्रिय ज्वालामुखी है. दुनिया में सबसे ज्यादा सक्रिय यानी एक्टिव ज्वालामुखी इंडोनेशिया में हैं. यहां पर कुल 121 ज्वालामुखी हैं. जिसमें से 74 ज्वालामुखी सन 1800 से सक्रिय हैं. इनमें से 58 ज्वालामुखी साल 1950 से सक्रिय हैं. यानी इनमें कभी भी विस्फोट हो सकता है. सात ज्वालामुखियों में तो 12 अगस्त 2022 के बाद से लगातार विस्फोट हो ही रहा है. ये हैं- क्राकटाउ, मेरापी, लेवोटोलोक, कारांगेटांग, सेमेरू, इबू और डुकोनो.
अब सवाल ये उठता है कि आखिर यहीं पर इतने सक्रिय ज्वालामुखी क्यों हैं? इसकी तीन बड़ी वजहें हैं. पहला ये कि इंडोनेशिया जिस जगह हैं, वहां पर यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेट (Eurasian Tectonic Plate) दक्षिण की ओर खिसक रही हैं. इंडियन-ऑस्ट्रेलियन टेक्टोनिक प्लेट (Indian-Australian Plate) उत्तर की ओर खिसक रही है. फिलिपीन्स प्लेट (Philippine Plate) पश्चिम की तरफ जा रही है. अब इन तीनों प्लेटों में टकराव या खिसकाव की वजह से ज्वालामुखियों में विस्फोट होता रहता है.
असल में इंडोनेशिया को फटते हुए ज्वालामुखियों का देश भी कहा जाता है. यह देश पैसिफिक रिंग ऑफ फायर (Pacific Ring of Fire) के ऊपर बसा है. इस इलाके में सबसे ज्यादा भौगोलिक और भूगर्भीय गतिविधियां होती हैं. जिसकी वजह से भूकंप, सुनामी, लावा के गुंबदों का बनना आदि होता रहता है. इसकी वजह से कई बार जान-माल का भारी नुकसान भी होता है. इंडोनेशिया का सबसे ज्यादा सक्रिय ज्वालामुखी केलूट (Kelut) और माउंट मेरापी (Mount Merapi) हैं. ये दोनों ही जावा प्रांत में हैं.
इंडोनेशिया के ज्यादातर ज्वालामुखी 3000 किलोमीटर लंबी एक भौगोलिक चेन पर स्थित हैं. जिसे सुंडा आर्क (Sunda Arc) कहते हैं. यहां पर हिंद महासागर का सबडक्शन जोन हैं. यहां ज्यादातर ज्वालामुखी एशियन प्लेट की वजह से पैदा हुए हैं. इंडोनेशिया में सबसे भयानक ज्वालामुखी विस्फोट 1815 में हुआ था. तब माउंट तंबोरा फट पड़ा था. इसकी वजह से कई सालों तक यूरोप में गर्मी तक का मौसम नहीं आया था. क्योंकि ज्वालामुखी से निकली राख से वायुमंडल ढक गया था. 90 हजार लोग मारे गए थे. 10 हजार सीधे विस्फोट की चपेट में आने से. बाकी 80 हजार लोग फसल खत्म होने और भुखमरी से.
इसके बाद 1883 में क्राकाटोवा ज्वालामुखी फट पड़ा. विस्फोट से समुद्र तक कांप गया. सुनामी आई. 36 हजार लोगों की मौत हो गई. यह ज्वालामुखी जिस द्वीप पर है, उसका दो-तिहाई हिस्सा अपना बुरी तरह से बर्बाद हो गया. इसके बाद साल 2010 का माउंट मेरापी में हुआ विस्फोट भयानक था. इसका धुआं और राख वायुमंडल तक पहुंच गया था. सल्फर डाईऑक्साइड के बादल 12 से 15 हजार मीटर यानी 12 से 15 किलोमीटर की ऊंचाई तक पहुंच गए थे.
अब आपको बताते हैं उन चार अन्य देशों के बारे में जहां पर सबसे ज्यादा एक्टिव ज्वालामुखी है. इंडोनेशिया के बाद अगर किसी देश में सबसे ज्यादा सक्रिय ज्वालामुखी हैं. तो वह है अमेरिका. यहां पर 63, जापान में 62, रूस में 49 और चिली में 34 सक्रिय ज्वालामुखी है. यानी ये सभी ज्वालामुखी या तो फट रहे हैं. या कभी भी फट सकते हैं.