
वैज्ञानिक लंबे समय से अन्य ग्रहों पर जीवन की खोज कर रहे हैं. हाल ही में, शोधकर्ताओं को किसी ग्रह पर नहीं, बल्कि अंतरिक्ष के एक बादल में जीवन के लिए ज़रूरी माने जाने वाले कंपाउंड मिले हैं.
तारे बनाने वाले बादल में अणुओं के एक समूह में ऐसे कंपाउंड पाए गए हैं जिन्हें जीवन के निर्माण के लिए ज़रूरी माना जाता है. इन अणुओं से अमीनो-एसिड बन सकते हैं जो जेनेटिक मैटीरियल का तैयार करते हैं. माना जाता है कि इसी की वजह से पृथ्वी पर पहले सूक्ष्मजीव विकसित हुए थे.
ये प्रीबायोटिक अणु (Prebiotic molecules) पर्सियस मॉलिक्यूलर क्लाउड (Perseus Molecular Cloud) के अंदर मौजूद एक स्टार क्लस्टर में पाए गए हैं जिसे IC348 कहा जाता है. माना जा रहा है कि इस क्लस्टर में युवा तारे हो सकते हैं जिनकी उम्र 20 से 30 लाख साल के बीच है. आपको बता दें कि हमारे सूर्य की उम्र करीब 460 करोड़ साल है.
शोधकर्ताओं का कहना है कि यह बादल ऑर्गैनिक कैमिस्ट्री की एक असाधारण प्रयोगशाला है. ये शुद्ध कार्बन के जटिल अणु हैं जो अक्सर जीवन के लिए बिल्डिंग ब्लॉक्स के रूप में काम करते हैं.
पर्सियस क्लाउड, जिनमें इन अणुओं की खोज की गई वह 500 प्रकाश-वर्ष चौड़ा है. यह सौर मंडल के सबसे नज़दीक, सिर्फ 1,000 प्रकाश-वर्ष दूर है. बादल के अंदर स्टार क्लस्टर में पाए जाने वाले कई नए तारे गैस और धूल की डिस्क से घिरे हुए हैं. इन प्रोटोप्लेनेटरी डिस्क्स और गुरुत्वाकर्षण के खिंचाव से मिलकर ग्रह, चंद्रमा, एस्टेरॉएड और धूमकेतु बनते हैं.
ऐसी साइट पर और स्टार क्लस्टर IC348 के इतने करीब प्रीबायोटिक अणुओं के मिलने से पता चलता है कि जैसे ही युवा ग्रह बनते हैं, वे ऐसे पदार्थ जमा करते हैं जिनमें अणु होते हैं, जिनसे बाद में जटिल कार्बनिक अणुओं का निर्माण होता है.
शोधकर्ताओं ने NASA के रिटायर हो चुके स्पिट्जर स्पेस टेलीस्कोप द्वारा जुटाए गए डेटा का इस्तेमाल करके अपनी खोज की. वे आने वाले समय में और भी शक्तिशाली जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) का इस्तेमाल करने के बारे में सोच रहे हैं.
शोधकर्ताओं का कहना है कि JWST की स्पेक्ट्रोस्कोपिक क्षमता से इन सभी अणुओं के स्थानिक वितरण (spatial distribution) के बारे में ज़्यादा जानकारी मिल सकती है. इन कंपाउंड के बारे में शोध में विस्तार से बताया गया है जिसे MNRAS में प्रकाशित किया गया है.