
भारतीय नौसेना (Indian Navy) की ताकत लगातार बढ़ रही है. 23 जनवरी 2023 को इंडियन नेवी को आधुनिक डीजल-इलेक्ट्रिक अटैक सबमरीन आईएनएस वागीर (INS Vagir) मिल जाएगी. इसे प्रोजेक्ट पी-75 के तहत बनाया गया है. कलवारी क्लास सबमरीन के तहत बनने वाली पनडुब्बियों में से पांचवीं सबमरीन है. इसके शामिल होने से भारतीय नौसेना की ताकत में बढ़ोतरी होगी. दुश्मन की रूह कांपेगी. क्योंकि ये खतरनाक मिसाइलों और टॉरपीडो से लैस होगी.
आईएनएस वागीर समंदर के अंदर बारूदी सुरंग बिछाने में सक्षम है. इसे 350 मीटर की गहराई में तैनात किया जा सकता है. यह स्टेल्थ तकनीकों से लैस है. जिसकी वजह से दुश्मन को इसका आसानी से पता नहीं चलेगा. इसमें एंटी-शिप मिसाइलों को भी लगाया गया है. यह पूरी तरह से स्वदेशी पनडुब्बी है. यह पनडुब्बी दुश्मन को खोजकर उस पर सटीक निशाना लगा सकती है. इसकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि ये दुश्मन के रडार की पकड़ में नहीं आएगी.
इस पनडुब्बी में ऑक्सीजन बनाने की भी क्षमता है. इसलिए यह लंबे समय तक पानी में रह सकती है. इसे मझगांव डॉक लिमिटेड ने बनाया है. इसे बनाने की शुरुआत 12 नवंबर 2020 में हुई थी. आईएनएस वागीर 221 फीट लंबी है. इसका बीम 20 फीट का है. ऊंचाई 40 फीट और ड्रॉट 19 फीट का है.
बिना आवाज के चलने वाले इंजन
इसमें चार MTU 12V 396 SE84 डीजल इंजन लगे हैं. 360X बैटरी सेल्स हैं. इसके अलावा डीआरडीओ द्वारा बनाया गया PAFC फ्यूल सेल भी है. ताकि बिना आवाज के यह तेज गति से दुश्मन की तरफ हमला कर सके. समुद्री लहरों पर यह 20 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चलती है. लेकिन जब यह समुद्र के अंदर गोते लगाती है तब इसकी गति 37 किलोमीटर प्रतिघंटा होती है.
यह समुद्र के ऊपर 15 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से एक बार में 12 हजार किलोमीटर की यात्रा कर सकती है. जबकि, पानी के अंदर यह 7.4 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से 1020 किलोमीटर की यात्रा करने में सक्षम है. आईएनएस वागीर पानी के अंदर 50 दिनों तक रह सकती है. यह अधिकतम 1150 फीट (350 फीट) की गहराई तक गोता लगा सकती है. इसमें 8 नौसेना अधिकारी और 35 सैनिक तैनात हो सकते हैं.
INS Vagir के हथियार
आईएनएस वागीर में 6x533 मिलिमीटर के टॉरपीडो ट्यूब्स हैं. जिसमें 18 SUT टॉरपीडो तैनात कर सकते हैं. ये जर्मन तकनीक के टॉरपीडो हैं जो 1967 से भरोसेमंद तरीके से दुनियाभर के कई देशों की नौसेनाओं में शामिल किए गए हैं. यह एक ड्यूल परपज हथियार है जिसे जहाज, पनडुब्बी और तटों से भी दागा जा सकता है. इनके बजाय पनडुब्बी में 30 समुद्री माइन्स भी तैनात कर सकते हैं. ये दुश्मन के जहाज या पनडुब्बी से टकराते ही फट पड़ते हैं.
इसके अलावा आईएनएस वागीर में SM.39 Exocet एंटी-शिप मिसाइलें लगा सकते हैं. ये मिसाइलें पनडुब्बी के अंदर से शांति से निकल कर सीधे दुश्मन के जहाज या युद्धपोत पर हमला करती हैं. इनकी गति 1148 किलोमीटर प्रतिघंटा होती है. यानी एक बार अगर ये लॉन्च हो गई तो दुश्मन को बचने के लिए ज्यादा समय नहीं मिलता.
इसके नाम का इतिहास
INS Vagir आज का नाम नहीं है. नई आईएनएस वागीर से पहले भारत के पास इसी नाम की पनडुब्बी साल 1973 में थी. उसने साल 2001 तक भारतीय नौसेना के लिए काम किया. असल में इसका नाम सैंडफिश की एक प्रजाति के नाम पर रखा गया है.