
ISRO ने गगनयान मिशन के लिए एक और बड़ी सफलता हासिल की है. शुक्रवार को ISRO ने बताया कि इस मिशन के पहले सॉलिड मोटर सेगमेंट को प्रोडक्शन प्लांट से लॉन्च कॉम्प्लेक्स तक पहुंचाया गया है. यह भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन को पूरा करने की दिशा में एक बड़ा कदम है.
हाल ही में ISRO ने भारतीय नौसेना के साथ गगनयान के लिए 'वेल डेक रिकवरी ट्रायल्स' भी पूरे किए. वेल डेक एक ऐसा हिस्सा होता है जिसमें पानी भरकर बोट्स या स्पेसक्राफ्ट को अंदर लाया जाता है.
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर ISRO ने लिखा, 'गगनयान प्रोग्राम के लिए बड़ी उपलब्धि! पहला सॉलिड मोटर सेगमेंट लॉन्च कॉम्प्लेक्स तक पहुंच चुका है. भारत का मानव अंतरिक्ष मिशन अब एक कदम और करीब है!'
गगनयान मिशन क्या है?
गगनयान भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन है. इस मिशन में तीन लोगों की टीम को अंतरिक्ष में 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर तीन दिन के लिए भेजा जाएगा. फिर इन्हें सुरक्षित भारत के समुद्र में उतारा जाएगा. इस प्रोजेक्ट का मकसद यह दिखाना है कि भारत इंसानों को सुरक्षित अंतरिक्ष में भेजने और वापस लाने में सक्षम है. ISRO इस पर लगातार काम कर रहा है.
गगनयान मिशन भारत के अंतरिक्ष प्रोग्राम के लिए एक बड़ा सपना है, जो अब धीरे-धीरे पूरा होता दिख रहा है. गगनयान प्रोजेक्ट का उद्देश्य मानव अंतरिक्ष उड़ान की क्षमता को सफलतापूर्वक प्रदर्शित करना है. यह उपलब्धि भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को एक नई ऊंचाई पर ले जाने की दिशा में महत्वपूर्ण है.
गगनयान का पहला मिशन इस साल, दूसरा अगले साल
गगनयान का पहला मिशन यानी G-1 इसी महीने लॉन्च हो सकता है. इसके छह महीने बाद G-2 अगले साल हो सकता है. या फिर दोनों मिशन अगले साल के शुरुआती छह महीनों में हो सकते हैं. गगनयान मिशन के पांच चरण होंगे. पहला यानी G-1 मानवरहित, अनप्रेशराइज्ड होगा. G-2 मानवरहित, प्रेशराइज्ड और ह्यूमेनॉयड रोबोट के साथ होगा. G-3 मानवरहित वैक्लपिक टेस्ट उड़ान है. ये सारी उड़ानें 2025 तक पूरी होंगी.
इसके बाद H-1 मानवयुक्त फ्लाइट होगी. इसमें भारतीय अंतरिक्षयात्री स्पेस में जाएंगे. ये मिशन एक दिन का होगा. ये मिशन 2025 या 2026 तक पूरी होगी. दूसरी फ्लाइट H-2 मानवयुक्त होगी. इसमें भी एस्ट्रोनॉट्स होंगे और यह मिशन तीन दिन का होगा. इसका समय अभी तक तय नहीं है. इसके बाद गगनयान का G-4 फ्लाइट होगा, जिसमें गगनयान कैप्सूल में सामान रखकर उसे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) भेजा जाएगा. ये उड़ान 2026-30 के बीच होगा. जबकि G-5 कार्गो उड़ान भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BSS) के लिए होगा.