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Aditya L1 Sends Image: आदित्य-L1 ने ली सेल्फी, धरती और चंद्रमा की फोटो भी क्लिक की

Aditya-L1 ने सूरज की यात्रा के दौरान अपनी सेल्फी ली है. इतना ही नहीं उसने एक ऐसी फोटो भी ली है, जिसमें धरती और चंद्रमा एक साथ दिख रहे हैं. वही चंद्रमा जहां पर चंद्रयान-3 गया हुआ है. 10 तारीख को उसकी तीसरी ऑर्बिट मैन्यूवरिंग होनी है. अभी वह 18 सितंबर तक धरती के चारों तरफ चक्कर लगाएगा.

इस कॉम्बो फोटो में दो तस्वीरें हैं, बाएं आदित्य की सेल्फी है. दाहिने धरती और चंद्रमा की तस्वीर. (सभी फोटोः ISRO) इस कॉम्बो फोटो में दो तस्वीरें हैं, बाएं आदित्य की सेल्फी है. दाहिने धरती और चंद्रमा की तस्वीर. (सभी फोटोः ISRO)
ऋचीक मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 07 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 1:17 PM IST

ISRO का सूर्य मिशन आदित्य-एलवन (Aditya-L1) अपने रास्ते पर है. उसकी सेहत सही है. यह बताने के लिए उसने धरती पर रह रहे लोगों को अपनी सेल्फी भेजी है. यह भी बताया है कि उसके सारे कैमरे सही काम कर रहे हैं. उसने पृथ्वी और चांद की फोटो भी ली है. साथ ही वीडियो भी बनाया है. जिसे ISRO ने ट्वीट किया है. 

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आप यहां पर यह Video देख सकते हैं... 

Aditya-L1 अभी 18 सितंबर तक धरती के चारों तरफ चार बार ऑर्बिट बदलेगा. अगली ऑर्बिट मैन्यूवरिंग 10 सितंबर की रात होगी. एक बार आदित्य L1 तक पहुंच जाएगा. तब वह हर दिन 1440 तस्वीरें भेजेगा. ताकि सूर्य की बड़े पैमाने पर स्टडी की जा सके. यह तस्वीरें आदित्य में लगा विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (VELC) लेगा. 

वैज्ञानिकों के अनुसार पहली तस्वीर फरवरी में मिलेगी. VELC को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स ने बनाया है. इसरो के सूर्य मिशन में लगा VELC सूरज की HD फोटो लेगा. धरती के चारों तरफ ऑर्बिट इसलिए बदला जा रहा है ताकि वह इतनी गति हासिल कर ले कि वह 15 लाख km की लंबी यात्रा को पूरा कर सके. 

L1 तक की यात्रा पूरी करने के बाद आदित्य के सारे पेलोड्स ऑन किए जाएंगे. यानी उसमें जितने भी यंत्र लगे हैं, वो एक्टिव हो जाएंगे. वो सूरज की स्टडी शुरू कर देंगे. लेकिन बीच-बीच में उनके सलामती की जांच के लिए उन्हें एक्टिव किया जा सकता है. यह देखने के लिए वो ठीक से काम कर रहे हैं या नहीं. 

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5 साल का मिशन, उम्मीद ज्यादा की

ISRO वैज्ञानिकों ने आदित्य-L1 मिशन को पांच साल के लिए बनाया है. लेकिन अगर यह सही सलामत रहा तो यह 10-15 साल तक काम कर सकता है. सूरज से रिलेटेड डेटा भेज सकता है. लेकिन इसके लिए उसे पहले L1 पह पहुंचना जरूरी है. लैरेंज प्वाइंट अंतरिक्ष में मौजूद ऐसी जगह है जो धरती और सूरज के बीच सीधी रेखा में पड़ती है. धरती से इसकी दूरी 15 लाख किलोमीटर है.

सूरज और धरती की अपनी-अपनी ग्रैविटी है. L1 प्वाइंट पर ही इन दोनों की ग्रैविटी आपस में टकराती है. या यूं कहें जहां पर धरती की ग्रैविटी का असर खत्म होता है. वहां से सूरज की ग्रैविटी का असर शुरू होता है. इसी बीच के प्वाइंट को लैरेंज प्वाइंट (Lagrange Point). 

धरती और सूरज के बीच ऐसे पांच लैंरेंज प्वाइंट चिन्हित किए गए हैं. भारत का सूर्ययान लैरेंज प्वाइंट वन यानी L1 पर तैनात होगा. इससे स्पेसक्राफ्ट का ईंधन कम इस्तेमाल होता है. वह ज्यादा दिन काम करता है.  L1 सूरज और धरती की सीधी रेखा के बीच स्थित है. यह सूरज और धरती की कुल दूरी का एक फीसदी हिस्सा है. यानी 15 लाख किलोमीटर. सूरज से धरती की दूरी 15 करोड़ किलोमीटर है 

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क्या स्टडी करेगा आदित्य-L1? 

- सौर तूफानों के आने की वजह, सौर लहरों और उनका धरती के वायुमंडल पर क्या असर होता है.
- आदित्य सूरज के कोरोना से निकलने वाली गर्मी और गर्म हवाओं की स्टडी करेगा. 
- सौर हवाओं के विभाजन और तापमान की स्टडी करेगा. 
- सौर वायुमंडल को समझने का प्रयास करेगा. 

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