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चांद के जिस हिस्से को धरती से किसी ने नहीं देखा, Chandrayaan-3 ने भेजी उसकी Photos

Chandrayaan-3 को चांद पर कौन सी जगह उतरना है. उसकी किसी बड़े पत्थर से टक्कर न हो. वह किसी गड्ढे में न गिरे. यह तय करने वाले कैमरा ने चांद की नई तस्वीरें ली हैं. यह कैमरा चंद्रयान-3 को लैंडिंग के समय चांद की सतह पर मौजूद खतरों से बचाएगा. साथ ही सुरक्षित लैंडिंग को पुख्ता करेगा.

Chandrayaan-3 के लैंडर में लगे LHDAC ने ली हैं ये तस्वीरें, ये कैमरा लैंडर को सुरक्षित उतारेगा. (सभी फोटोः ISRO) Chandrayaan-3 के लैंडर में लगे LHDAC ने ली हैं ये तस्वीरें, ये कैमरा लैंडर को सुरक्षित उतारेगा. (सभी फोटोः ISRO)
ऋचीक मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 21 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 12:50 PM IST

चंद्रमा के फार साइड यानी उस हिस्से की तस्वीरें जारी हुईं हैं, जो कभी पृथ्वी की तरफ नहीं दिखता. ये तस्वीरें जारी हुई हैं ISRO की तरफ से. इसरो ने ट्वीट करके चांद के उस हिस्से की तस्वीरें दिखाई हैं, जो हम खुली आंखों से कभी नहीं देख सकते. 

इन तस्वीरों को लिया Chandrayaan-3 के विक्रम लैंडर में लगे लैंडर हजार्ड डिटेक्शन एंड अवॉयडेंस कैमरा (Lander Hazard Detection and Avoidance Camera - LHDAC) ने. चार तस्वीरों में अलग-अलग जगहों पर मौजूद गड्ढों की तस्वीरें हैं. कुछ गड्डे बेहद भयानक दिख रहे हैं. ऊबड़-खाबड़ हैं. तो कही लंबा मैदान दिख रहा है. 

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LHDAC कैमरा खासतौर से इसी काम के लिए बनाया गया है कि कैसे विक्रम लैंडर (Vikram Lander) को सुरक्षित चांद की सतह पर उतारा जाए. इसे इसरो के स्पेस एप्लीकेशन सेंटर (SAC), अहमदाबाद ने बनाया है. इस कैमरे के साथ कुछ और पेलोड्स भी मिलकर काम करेंगे. 

सुरक्षित लैंडिंग में ये यंत्र भी करेंगे मदद

LHDAC के साथ जो पेलोड्स लैंडिंग के समय मदद करेंगे, वो हैं- लैंडर पोजिशन डिटेक्शन कैमरा (LPDC), लेजर अल्टीमीटर (LASA), लेजर डॉपलर वेलोसिटीमीटर (LDV) और लैंडर हॉरीजोंटल वेलोसिटी कैमरा (LHVC) मिलकर काम करेंगे. ताकि लैंडर को सुरक्षित सतह पर उतारा जा सके. 

मिशन चंद्रयान-3 से जुड़ी स्पेशल कवरेज देखने के लिए यहां क्लिक करें 

जानिए कितनी स्पीड से नीचे उतरेगा लैंडर

विक्रम लैंडर जिस समय चांद की सतह पर उतरेगा, उस समय उसकी गति 2 मीटर प्रति सेकेंड के आसपास होगी. लेकिन हॉरीजोंटल गति 0.5 मीटर प्रति सेकेंड होगी. विक्रम लैंडर 12 डिग्री झुकाव वाली ढलान पर उतर सकता है. इस गति, दिशा और समतल जमीन खोजने में ये सभी यंत्र विक्रम लैंडर की मदद करेंगे. ये सभी यंत्र लैंडिंग से करीब 500 मीटर पहले एक्टिवेट हो जाएंगे. 

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लैंडिंग के बाद कौन से यंत्र काम करेंगे

इसके बाद विक्रम लैंडर में लगे चार पेलोड्स काम करना शुरू होंगे. ये हैं रंभा (RAMBHA). यह चांद की सतह पर सूरज से आने वाले प्लाज्मा कणों के घनत्व, मात्रा और बदलाव की जांच करेगा. चास्टे (ChaSTE), यह चांद की सतह की गर्मी यानी तापमान की जांच करेगा. इल्सा (ILSA), यह लैंडिंग साइट के आसपास भूकंपीय गतिविधियों की जांच करेगा. लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर एरे (LRA), यह चांद के डायनेमिक्स को समझने का प्रयास करेगा. 

यहां देख सकते हैं लैंडिंग को Live

आप नीचे दिए गए लिंक्स पर क्लिक करके लाइव देख सकते हैं... लाइव प्रसारण 23 अगस्त 2023 की शाम 5 बजकर 27 मिनट से शुरू होगा... 

ISRO की वेबसाइट...  isro.gov.in
YouTube पर... youtube.com/watch?v=DLA_64yz8Ss
Facebook पर... Facebook https://facebook.com/ISRO

या फिर डीडी नेशनल टीवी चैनल पर

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