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Chandrayaan 3 Landing: कैसे काम करेगा चंद्रयान-3, मिशन की सफलता से भारत और आम लोगों को क्या-क्या होगा फायदा?

Chandrayaan-3 चांद पर उतरने के बाद क्या करेगा? इस 615 करोड़ रुपए वाले मिशन से आम इंसानों को कोई फायदा होगा. हमारे लिए ये जानने जरूरी है कि चंद्रयान-3 मिशन से देश, इसरो और आम लोगों को किस तरह का फायदा अभी होगा. कौन सा फायदा भविष्य में होगा?

चंद्रयान-3 सफलता से क्या होगा फायदा? चंद्रयान-3 सफलता से क्या होगा फायदा?
ऋचीक मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 23 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 6:18 PM IST

Chandrayaan-3 की सफलता से देश का कद बढ़ गया है. इसरो का सम्मान बढ़ा है. लोग गर्व महसूस कर रहे हैं. लेकिन इससे फायदा क्या. ये तो सिर्फ फीलिंग वाली बात हो गई. इस सफलता से देश, इसरो और आम लोगों को क्या फायदा. उन लोगों को क्या लाभ जो रोजमर्रा मेहनत करते हैं. दो जून की रोटी के लिए दिनभर खून-पसीना एक करते हैं. 

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14 जुलाई 2023 को देश के सबसे भारी रॉकेट LVM3 से चंद्रयान-3 को लॉन्च किया गया. करीब 42 दिन की यात्रा करके उसने चांद की सतह पर लैंडिंग कर दी है. चंद्रयान-3 की लैंडिंग के बाद वह क्या काम करेगा? 

विक्रम लैंडर पर चार पेलोड्स क्या काम करेंगे?

1. रंभा (RAMBHA)... यह चांद की सतह पर सूरज से आने वाले प्लाज्मा कणों के घनत्व, मात्रा और बदलाव की जांच करेगा. 
2. चास्टे (ChaSTE)... यह चांद की सतह की गर्मी यानी तापमान की जांच करेगा. 
3. इल्सा (ILSA)... यह लैंडिंग साइट के आसपास भूकंपीय गतिविधियों की जांच करेगा. 
4. लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर एरे (LRA) ... यह चांद के डायनेमिक्स को समझने का प्रयास करेगा. 

प्रज्ञान रोवर पर दो पेलोड्स हैं, वो क्या करेंगे? 

1. लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (Laser Induced Breakdown Spectroscope - LIBS). यह चांद की सतह पर मौजूद केमकल्स यानी रसायनों की मात्रा और गुणवत्ता की स्टडी करेगा. साथ ही खनिजों की खोज करेगा. 

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2. अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (Alpha Particle X-Ray Spectrometer - APXS). यह एलिमेंट कंपोजिशन की स्टडी करेगा. जैसे- मैग्नीशियम, अल्यूमिनियम, सिलिकन, पोटैशियम, कैल्सियम, टिन और लोहा. इनकी खोज लैंडिंग साइट के आसपास चांद की सतह पर की जाएगी. 

वैज्ञानिकों के लिए क्या है फायदा...

कुल मिलाकर विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर मिलकर चांद के वायुमंडल, सतह, रसायन, भूकंप, खनिज आदि की जांच करेंगे. इससे इसरो समेत दुनियाभर के वैज्ञानिकों को भविष्य की स्टडी के लिए जानकारी मिलेगी. रिसर्च करने में आसानी होगी. ये तो हो गई वैज्ञानिकों के लिए फायदे की बात. 

देश को क्या फायदा होगा...

भारत दुनिया का चौथा देश है, जिसने यह सफलता हासिल की है. इससे पहले यह कीर्तिमान अमेरिका, रूस (तब सोवियत संघ) और चीन ने स्थापित किया था.  

ISRO को क्या फायदा होगा...

इसरो दुनिया में अपने किफायती कॉमर्शियल लॉन्चिंग के लिए जाना जाता है. अब तक 34 देशों के 424 विदेशी सैटेलाइट्स को छोड़ चुका है. 104 सैटेलाइट एकसाथ छोड़ चुका है. वह भी एक ही रॉकेट से. चंद्रयान-1 ने चांद पर पानी खोजा. चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर आज भी काम कर रहा है. उसी ने चंद्रयान-3 के लिए लैंडिंग साइट खोजी. मंगलयान का परचम तो पूरी दुनिया देख चुकी है. चंद्रयान-3 की सफलता इसरो का नाम दुनिया की सबसे बड़ी स्पेस एजेसियों में शामिल कर देगी. 

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आम आदमी को होगा ये फायदा...

चंद्रयान और मंगलयान जैसे स्पेसक्राफ्ट्स में लगे पेलोड्स यानी यंत्रों का इस्तेमाल बाद में मौसम और संचार संबंधी सैटेलाइट्स में होता है. रक्षा संबंधी सैटेलाइट्स में होता है. नक्शा बनाने वाले सैटेलाइट्स में होता है. इन यंत्रों से देश में मौजूद लोगों की भलाई का काम होता है. संचार व्यवस्थाएं विकसित करने में मदद मिलती है. निगरानी आसान हो जाती है.

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