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ISRO ने किया कमाल, माइक्रोग्रैविटी कंडीशन में अंकुरित किए लोबिया के बीज

इसरो ने शनिवार को कहा कि पीएसएलवी-सी60 पीओईएम-4 प्लेटफॉर्म पर अंतरिक्ष में भेजे गए लोबिया के बीज मिशन के लॉन्च के चार दिनों के अंदर माइक्रोग्रैविटी परिस्थितियों में अंकुरित हो गए हैं. पीएसएलवी-सी 60 पीओईएम-4 पर वीएसएससी के क्रॉप्स प्रयोग में 4 दिनों में लोबिया के बीजों को सफलतापूर्वक अंकुरित किया है. जल्द ही इनमें पत्तियां निकलने की उम्मीद है.

माइक्रोग्रैविटी कंडीशन में अंकुरित हुए लोबिया के बीच. माइक्रोग्रैविटी कंडीशन में अंकुरित हुए लोबिया के बीच.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 05 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 6:28 AM IST

इसरो ने एक बार फिर से कमाल कर दिखाया है. इसरो ने अंतरिक्ष में लोबिया के बीजों को अंकुरित किया है. वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि जल्द ही इनमें पत्ती निकल सकती हैं. 

इस बारे में जानकारी देते हुए इसरो ने शनिवार को कहा कि पीएसएलवी-सी60 पीओईएम-4 प्लेटफॉर्म पर अंतरिक्ष में भेजे गए लोबिया के बीज मिशन के लॉन्च के चार दिनों के अंदर माइक्रोग्रैविटी परिस्थितियों में अंकुरित हो गए हैं.

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अंतरिक्ष एजेंसी ने माइक्रोग्रैविटी स्थितियों में पौधों के विकास का अध्ययन करने के लिए विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) द्वारा आयोजित ऑर्बिटल प्लांट स्टडीज (सीआरओपीएस) प्रयोग के लिए कॉम्पैक्ट रिसर्च मॉड्यूल के हिस्से के रूप में आठ लोबिया के बीज भेजे थे.

'जल्द पत्तियां निकलने की उम्मीद'

इसरो ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "अंतरिक्ष में जीवन का अंकुरण हुआ है! पीएसएलवी-सी 60 पीओईएम-4 पर वीएसएससी के क्रॉप्स प्रयोग में 4 दिनों में लोबिया के बीजों को सफलतापूर्वक अंकुरित किया है. जल्द ही इनमें पत्तियां निकलने की उम्मीद है."

PSLV-C 60 मिशन ने 30 दिसंबर की रात को दो स्पैंडेक्स उपग्रहों को कक्षा में स्थापित किया था. POEM-4 प्लेटफ़ॉर्म को ले जाने वाले रॉकेट का चौथा चरण मंगलवार से 350 किमी की ऊंचाई पर 24 ऑनबोर्ड प्रयोगों के साथ पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा है.

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क्रॉप्स प्रयोग का उद्देश्य ये समझना है कि स्पेस की अलग परिस्थितियों में पौधे कैसे विकसित होते हैं जो भविष्य के लंबे वक्त तक चलने वाले स्पेस मिशनों के लिए जरूरी है.

इस एक्सपेरिमेंट में सक्रिय थर्मल विनियमन के साथ नियंत्रित वातावरण में लोबिया के आठ बीज उगाना शामिल है, ऐसी स्थितियों का अनुकरण करना जो विस्तरित स्पेस यात्रा के दौरान पौधों का सामना कर सकते हैं.

CROPS की परिकल्पना एक अलग वातावरण में वनस्पतियों को बढ़ाने और बनाए रखने के लिए इसरो की क्षमताओं को विकसित करने और विकसित करने के लिए एक बहु-चरण मंच के रूप में की गई है.

इस मिशन को एक फुली ऑटोमेटिक सिस्टम के रूप में डिजाइन किया गया है, जिसमें पांच से सात दिन के एक्सपेरिमेंट की योजना बनाई गई है. जिसमें बीज अंकुरण और पौधे के पोषण को प्रदर्शित करने के लिए योजना बनाई गई है.

इसरो ने बताया कि लोबिया के बीजों को सक्रिय थर्मल नियंत्रण के साथ एक बंद बक्से वाले वातावरण में रखा गया है. अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि पौधों की वृद्धि और निगरानी के लिए कैमरा इमेजिंग, ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड सांद्रता, सापेक्ष आर्द्रता, तापमान और मिट्टी की नमी की निगरानी समेत निष्क्रिय माप उपलब्ध हैं.

चेजर सैटेलाइट का अलग सेल्फी वीडियो पोस्ट

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इसरो ने स्पेस डॉकिंग प्रयोग के चेजर सैटेलाइट का एक अलग "सेल्फी वीडियो" भी पोस्ट किया जो 470 किमी की ऊंचाई पर पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा है.

चेज़र सैटेलाइट के मंगलवार को स्पेस में टारगेट सैटेलाइट के साथ जुड़ने की उम्मीद है. ये एक उपलब्धि है जो भारत को रूस, अमेरिका और चीन के बाद इस अत्याधुनिक तकनीक में महारत हासिल करने वाला चौथा देश बना देगी.

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