Advertisement

4 साल बाद दिवाली से एक दिन पहले लॉन्च होगा भारत का सबसे भारी रॉकेट, ले जाएगा ब्रिटेन के 36 सैटेलाइट

ISRO का सबसे भारी रॉकेट लॉन्च के लिए तैयार है. यह श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर के लॉन्चपैड पर तैनात कर दिया गया है. यह रॉकेट अपनी बड़ी सी नाक में ब्रिटिश कंपनी का सैटेलाइट ले जा रहा है. इस बार की लॉन्चिंग काफी महत्वपूर्ण होने वाली है. क्योंकि इससे पहले इस रॉकेट से 2019 में लॉन्चिंग हुई थी.

ये है ISRO का सबसे भारी रॉकेट LVM3 जिसे एसेंबलिंग यूनिट से लॉन्च पैड पर ले जा रहा है. (फोटोः ISRO) ये है ISRO का सबसे भारी रॉकेट LVM3 जिसे एसेंबलिंग यूनिट से लॉन्च पैड पर ले जा रहा है. (फोटोः ISRO)
ऋचीक मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 15 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 4:20 PM IST

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) दिवाली से एक दिन पहले अपना सबसे भारी रॉकेट लॉन्च करने जा रहा है. इस रॉकेट से ब्रिटिश स्टार्ट अप कंपनी वन वेब (OneWeb) का सैटेलाइट अंतरिक्ष में छोड़ा जाएगा. यह सैटेलाइट दुनिया के अंतरिक्ष से इंटरनेट की सुविधा प्रदान करने वाला है. इस कंपनी में भारत की भारती एंटरप्राइज़ कंपनी शेयर होल्डर है. यानी एयरटेल वाली कंपनी. 

Advertisement

इसरो के इस रॉकेट का नाम है लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (LVM3). जिसे पहले जियोसिंक्रोनस लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (GSLV Mk III) के नाम से जानते थे. इस रॉकेट में वनवेब के 36 सैटेलाइट्स जा रहे हैं. पूरे मिशन का नाम है- LVM3-M2/OneWeb India-1 Mission. लॉन्चिंग 23 अक्टूबर 2022 की सुबह सात बजे श्रीहरिकोटा के स्पेसपोर्ट से होगी. इसरो के अधिकारियों ने बताया कि रॉकेट के क्रायो स्टेज, इक्विपमेंट बे एसेंबली पूरी हो चुकी है. सैटेलाइट्स को रॉकेट के ऊपरी हिस्से में लगा दिया गया है. आखिरी जांच चल रही है. 

LVM3 रॉकेट को लॉन्चपैड पर ले जाते समय ड्रोन से की गई फोटोग्राफी. विहंगम स्पेसपोर्ट. (फोटोः ISRO)

वनवेब के साथ इसरो की डील हुई है. वह ऐसी दो लॉन्चिंग करेगा. यानी 23 अक्टूबर की लॉन्चिंग के बाद एक और लॉन्चिंग होगी. जो माना जा रहा है कि अगले साल जनवरी में संभावित है. इन सैटेलाइट्स को धरती के निचली कक्षा में तैनात किया जाएगा. ये ब्रॉडबैंड कम्यूनिकेशन सैटेलाइट्स हैं. जिनका नाम वनवेब लियो (OneWeb Leo) है. LVM3 रॉकेट की ये पहली व्यावसायिक उड़ान है. 

Advertisement
रॉकेट के ऊपरी हिस्से में सेट कर दिए गए हैं 36 सैटेलाइट्स. रॉकेट लॉन्च पैड पर हो चुका है तैनात. (फोटोः ISRO)

इससे पहले साल 2019 में इस रॉकेट से चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2), 2018 में GSAT-2, 2017 में GSAT-1 और उससे पहले साल 2014 में क्रू मॉड्यूल एटमॉस्फियरिक री-एंट्री एक्सपेरीमेंट (CARE) लेकर गया था. ये सारे मिशन देश के थे. यानी सरकारी थे. पहली बार कोई निजी कंपनी का सैटेलाइट इस रॉकेट में जा रहा है. अब तक इस रॉकेट से चार लॉन्चिंग की गई हैं. चारों की चारों सफल रही है. यह इसकी पांचवीं लॉन्चिंग है. 

ये है देश का सबसे भारी रॉकेट LVM3. देखिए इसकी पूरी तस्वीर. (फोटोःISRO)

LVM3 रॉकेट की मदद से हम 4 टन यानी 4000 किलोग्राम वजन तक के सैटेलाइट्स को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) तक पहुंचाया जा सकता है. यह रॉकेट तीन स्टेज का है. दो सॉलिड मोटर स्ट्रैप ऑन लगे हैं. कोर स्टेज लिक्विड प्रोपेलेंट भरा रहता है. इसके अलावा एक क्रायो स्टेज है. आमतौर पर इस रॉकेट की लॉन्चिंग करने पौने चार सौ करोड़ रुपये का खर्च आता है. इस रॉकेट की लंबाई 142.5 फीट है. व्यास 13 फीट है. इसका कुल वजन 6.40 लाख किलोग्राम है. 

LVM3 की मदद से अगर GTO में सैटेलाइट छोड़ना है तो 4000 किलोग्राम वजन तक के सैटेलाइट्स छोड़े जा सकते हैं. अगर सैटेलाइट्स को लोअर अर्थ ऑर्बिट में डालना है तो 10 हजार किलोग्राम तक के सैटेलाइट्स को ले जा सकता है. इस रॉकेट की मदद से अगले साल के पहली तिमाही में चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) की लॉन्चिंग की जा सकती है. इतना ही नहीं अगले साल के अंत तक गगनयान (Gaganyaan) के पहले मानवरहित उड़ान का परीक्षण भी इसी रॉकेट के मॉडिफाइड वर्जन से किया जा सकता है. 

Advertisement

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement