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सनलाइट की कमी बनी चुनौती... इसरो के SpaDex मिशन को मार्च तक करना होगा इंतजार

SpaDeX मिशन के चेज़र सैटेलाइट (SDX01) के पास 4.5 किलोग्राम प्रोपेलेंट मौजूद है, जो दो बार डॉकिंग और अनडॉकिंग के लिए काफी है. हालांकि, वर्तमान ऑपरेशनल विंडो 20 जनवरी को बंद हो जाएगी. इसके बाद अगली उपयुक्त डॉकिंग विंडो 25 मार्च को खुलेगी, जिससे 65 दिनों का अंतराल रहेगा.

इसरो के SpaDex मिशन को मार्च तक करना होगा इंतजार इसरो के SpaDex मिशन को मार्च तक करना होगा इंतजार
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 15 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 8:50 PM IST

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (SpaDeX) मिशन को पूरा करने में कुछ बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है. इस मिशन में दो सैटेलाइट्स को ऑटोमेटिक डॉक करना है, लेकिन सनलाइट की कमी और सीमित समय-सीमा के कारण डॉकिंग की प्रोसेस मार्च 2025 तक टल सकती है.

इसरो के अध्यक्ष वी. नारायणन ने इस चुनौतीपूर्ण स्थिति को लेकर कहा कि 'हम जल्दबाजी में नहीं हैं. हमारा ध्यान मिशन को सफलतापूर्वक और सुरक्षित रूप से पूरा करने पर है. सैटेलाइट्स में पर्याप्त ईंधन है, इसलिए देरी कोई समस्या नहीं है.'

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डॉकिंग विंडो 20 जनवरी को होगी बंद
SpaDeX मिशन के चेज़र सैटेलाइट (SDX01) के पास 4.5 किलोग्राम प्रोपेलेंट मौजूद है, जो दो बार डॉकिंग और अनडॉकिंग के लिए काफी है. हालांकि, वर्तमान ऑपरेशनल विंडो 20 जनवरी को बंद हो जाएगी. इसके बाद अगली उपयुक्त डॉकिंग विंडो 25 मार्च को खुलेगी, जिससे 65 दिनों का अंतराल रहेगा.

सनलाइट बनी चुनौती
मिशन में देरी का मुख्य कारण सूर्य की रोशनी की कमी है. लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) में सैटेलाइट्स की स्थिति के चलते सोलर पैनल्स जरूरी ऊर्जा उत्पन्न नहीं कर पा रहे हैं. पूर्व इसरो वैज्ञानिक मनीष पुरोहित ने कहा, "पृथ्वी की घूर्णन गति के कारण हर ऑर्बिट के बाद सैटेलाइट्स का ट्रैकिंग जटिल हो जाता है. सैटेलाइट्स 7 किमी/सेकंड की रफ्तार से चलते हुए 90 मिनट में एक ऑर्बिट पूरा करते हैं, जिससे ग्राउंड स्टेशन के पास सिर्फ 15-20 मिनट का संपर्क समय होता है."

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SpaDeX मिशन भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसका उद्देश्य स्वचालित रेंडेजवस और डॉकिंग तकनीक को विकसित करना है. यह टेक्निक भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों, जैसे चंद्रमा और उससे आगे के मिशनों के लिए जरूरी होगी. इस मिशन की सफलता से भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हो जाएगा, जिन्होंने इस उन्नत तकनीक में महारत हासिल की है. वर्तमान में अमेरिका, रूस और चीन इस तकनीक में अग्रणी हैं.

SpaDeX मिशन की सफलता के बाद इसरो की योजना 2040 तक चंद्रमा की कक्षा में क्रू स्पेस स्टेशन स्थापित करने और 2028 तक चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव से सैंपल-रिटर्न मिशन पूरा करने की है. इसरो की टीम मिशन को लेकर पूरी तरह सतर्क और आश्वस्त है. गहन परीक्षण और सिमुलेशन के साथ, इसरो SpaDeX मिशन की सफलता के लिए तैयार है. विशेषज्ञों और अंतरिक्ष प्रेमियों को मार्च 2025 में इस ऐतिहासिक प्रयास के सफल होने की उम्मीद है.

Report: Sibu Tripathi

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