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जापानी स्टार्टअप ispace ने स्पेसएक्स के रॉकेट से पहली बार चंद्रमा के लिए भेजा लैंडर Hakuto-R

अब निजी कंपनियां भी चांद पर जा रही है. जापानी स्टार्टअप ispace ने चंद्रमा पर हाकुतो-आर (Hakuto-R) नाम का मिशन भेजा है. जापान ने पहली बार कोई मून लैंडर भेजा है. इस मिशन को फ्लोरिडा के केप केनवरल से स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट से लॉन्च किया गया.

केप केनवरल से फाल्कन-9 रॉकेट से लॉन्च किया गया जापान का मून मिशन हाकुतो-आर मून लैंडर मिशन. (फोटोः एपी) केप केनवरल से फाल्कन-9 रॉकेट से लॉन्च किया गया जापान का मून मिशन हाकुतो-आर मून लैंडर मिशन. (फोटोः एपी)
aajtak.in
  • केप केनवरल,
  • 13 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 8:13 PM IST

जापान ने पहली बार कोई मून लैंडर चंद्रमा की ओर भेजा है. वह भी निजी कंपनी का बनाया हुआ. निजी कंपनी के रॉकेट से लॉन्च किया गया. जापान के स्पेस स्टार्टअप ispace Inc's ने अपने हाकुतो-आर (Hakuto-R) मिशन को चंद्रमा के लिए रवाना कर दिया है. इस मिशन को स्पेसएक्स (SpaceX) के फॉल्कन-9 रॉकेट (Falcon-9 Rocket) से भेजा गया. लॉन्चिंग फ्लोरिडा के केप केनवरल से की गई. 

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इस मिशन की लॉन्चिंग दो बार टाली गई थी. क्योंकि स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट की जांच चल रही थी. जैसे ही रॉकेट अंतरिक्ष की ओर गया, अमेरिका और टोक्यो दोनों जगहों पर वैज्ञानिकों, निजी कंपनी के अधिकारियों ने जोरदार तालियां बजाईं. क्योंकि ये पहली बार था जब किसी देश का निजी स्पेसक्राफ्ट चंद्रमा की ओर रवाना हुआ है. 

इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन की राष्ट्रीय स्पेस एजेंसियों ने ही चंद्रमा पर अपना लैंडर पहुंचाया है. भारत ने चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) मिशन के तहत यह प्रयास किया था. लेकिन ऑर्बिटर तो सफल रहा. पर विक्रम लैंडर (Vikram Lander) चंद्रमा की सतह पर हार्ड लैंडिंग की वजह से खराब हो गया था. अगर जापान का यह मिशन सफल होता है तो अमेरिका के साथ उसका संबंध और बेहतर हो जाएगा. 

इस समय चीन तेजी से स्पेस इंडस्ट्री में आगे बढ़ रहा है. उसे काउंटर करने के लिए जापान और अमेरिका की दोस्ती काम आएगी. इस समय रूस के रॉकेट मौजूद नहीं थे क्योंकि उसने यूक्रेन पर हमला कर रखा है. तब जापानी स्टार्टअप ने स्पेसएक्स से संपर्क साधा. जापान के लिए यह मौका बेहद खास है. अभी कुछ दिन पहले ही जापानी अरबपति युसाकू माएजावा ने आठ लोगों को चंद्रमा पर फ्लाईबाई कराने का फैसला लिया था. यह यात्रा अगले साल होगी. 

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हाकुतो का मतलब होता सफेद खरगोश. यह एक जापानी लोककथा का पात्र है, जो चंद्रमा पर रहता है. यह प्रोजेक्ट कामर्शियली लॉन्च होने से पहले गूगल लूनर एक्सप्राइज भी जीत चुका है. जापान में अगला साल ईयर ऑफ रैबिट हैं. इस स्पेसक्राफ्ट को जर्मनी में असेंबल किया गया है. यह चंद्रमा की सतह पर अगले साल अप्रैल के अंत तक उतरेगा. लैंडिंग से पहले हाकुतो-आर लैंडर चंद्रमा की कक्षा में नासा के एक छोटा सैटेलाइट छोड़ेगा. जो एटलस क्रेटर पर पानी की खोज करेगा. 

लैंडर का नाम M1 है. इसमें दो रोबोटिक रोवर हैं. इनका आकार बेसबॉल के बराबर है. इसके अलावा इनके साथ संयुक्त अरब अमीरात का चार पहिए का राशिद एक्सप्लोरर है. ये एक रोवर है. इसके साथ एक प्रायोगिक सॉलिड स्टेट बैटरी जा रही है. जिसका परीक्षण चंद्रमा की सतह पर किया जाएगा. राशिद रोवर दुबई के शासक शेख मोहम्मद बिन राशिद अल-मखतूम के नाम पर है. उन्होंने यह लॉन्चिंग राशिद स्पेस सेंटर से देखी थी. 

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