
पिछले महीने जापान के पास समंदर में एक नया द्वीप बना. वह भी प्राकृतिक तरीके से. वजह थी पानी के अंदर मौजूद ज्वालामुखी का विस्फोट. यह द्वीप जापान की राजधानी टोक्यो से 1000 km दूर दक्षिण में प्रशांत महासागर में है. ज्वालामुखी फटने से इतना मलबा निकला कि उससे नया आइलैंड बन गया. जो करीब 200 मीटर लंबा है.
यह द्वीप आईवोतो (Iwoto) द्वीप से तट से थोड़ी दूर है. 6 दिसंबर 2023 को दोबारा यहां पर भयानक विस्फोट हुआ. जिसका वीडियो वायरल हो रहा है. राख और धुएं का गुबार 660 फीट ऊपर तक गया. यहां आप उसका Video देखकर इसकी भयावहता का अंदाजा लगा सकते हैं.
पहले आईवोतो को आईवोजीमा (Iwo Jima) कहते थे. यह द्वीप 1 नवंबर को प्रशांत महासागर में ज्वालामुखी विस्फोट के बाद बना है. आईवोतो पर इस समय जापान की नौसेना का एयरबेस है. जिसका इस्तेमाल द्वितीय विश्व युद्ध के समय बहुत ज्यादा होता था.
बेस पर रहने वाले नौसैनिकों ने बताया कि उन्होंने पहले तो तेज धमाकेदार आवाज सुनी. इसके बाद उन्होंने ज्वालामुखी विस्फोट के बाद इस द्वीप को समंदर में बनते देखा. जापान के मौसम विभागन ने कहा कि आईवोतो द्वीप के आसपास 21 अक्टूबर से ही भूकंप के हल्के झटके आ रहे थे. लेकिन अंडरवाटर ज्वालामुखी फटेगा इसका अंदाजा नहीं था.
फिर ज्वालामुखी विस्फोट की खबर आई. यह नया द्वीप अंडरवाटर ज्वालामुखी के क्रेटर के पास में बना है. जापानी मौसम विभाग के वैज्ञानिकों का मानना है कि ज्वालामुखी ने भारी मात्रा में पत्थर, मिट्टी और लावा क्रेटर के अंदर से उगला है, जिससे समुद्र की सतह के ऊपर ये जमा होते चले गए. बाद में समुद्र के ऊपर दिखने लगे. एक आईलैंड की तरह.
इससे पहले भी जापान के आसपास कुछ द्वीप निकले थे लेकिन वो खराब समुद्री मौसम की वजह से खत्म हो गए. अभी जहां नया द्वीप बना है, यहां पर 1986 में ऐसा एक द्वीप बना था. उसके बाद से यहां पर कोई द्वीप नहीं बना. अभी समंदर के अंदर जो ज्वालामुखी फटा था, वह लगातार फट रहा है. वैज्ञानिकों ने ज्यादा धुआं, राख, लावा के निकलने की आशंका जताई है.
इस साल के शुरूआत में ही जापान के आसपास के इलाकों की स्टडी करके नक्शा बनाया गया था. जिसमें 7000 नए आईलैंड्स खोजे गए थे. 35 साल में पहली बार इस तरह का सर्वे किया गया था. हालांकि इस नए आईलैंड के बनने से जापान की सीमाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा.