
अपने सौर मंडल से बाहर एक ऐसा ग्रह मिला है, जो आकार में बृहस्पति (Jupiter) के बराबर है. लेकिन हैरानी इस बात की है उसका वजन ज्यूपिटर से 13 गुना ज्यादा है. यही बात वैज्ञानिकों को हैरान कर रही है. इस ग्रह का नाम रखा गया है TOI-4603b.
बृहस्पति से 13 गुना ज्यादा वजन यानी उसका घनत्व धरती से तीन गुना ज्यादा है. या यू कहें बृहस्पति के घनत्व से 9 गुना ज्यादा. यह अपने तारे यानी सूरज से नजदीक है. वह अपने सूरज का एक चक्कर 7.25 दिनों में पूरा करता है. यानी वहां का एक साल सिर्फ सवा सात दिन का है.
इस ग्रह की यही खासियतें वैज्ञानिकों की समझ पर ताला डाल रही हैं. इस ग्रह के बारे में एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स लेटर्स में रिपोर्ट पब्लिश की गई है. इसकी खोज की है भारतीय वैज्ञानिक अकांक्षा खंडेलवाल ने. जो फिजिकल रिसर्च लेबोरेटरी में काम करती है. अकांक्षा कहती हैं कि यह अब तक के इतिहास में खोजा गया सबसे बड़ा और सबसे ज्यादा घनत्व वाला ग्रह है.
छोटे ग्रह का वजन भी ज्यादा हो सकता है
अकांक्षा ने बताया कि इस ग्रह ने हमारी धारणा को बदल दिया. हम अब यह नहीं कह सकते कि आकार में छोटा या बड़ा ग्रह इतनी ज्यादा वजन या घनत्व का हो सकता है. क्योंकि किस ग्रह के केंद्र में किस तरह का परमाणु विस्फोट चल रहा है. यानी न्यूक्लियर फ्यूजन. इसकी वजह से ही ग्रह का तापमान और दबाव बनता-बिगड़ता है.
धरती से तीन गुना ज्यादा घनत्व है इसका
TOI-4603b ग्रह का वजन हमारे सौर मंडल में मौजूद बृहस्पति ग्रह से 10 से 13 गुना ज्यादा है. इस तरह के वजनी ग्रहों को हम ड्वार्फ की श्रेणी में डालते हैं. क्योंकि इनमें इतना वजन होता है कि ये हाइड्रोजन फ्यूजन करा सकें. इनके कोर ड्यूटीरियम को भी फ्यूज कर सकते हैं. यह हाइड्रोजन का हैवी आइसोटोप होता है.
अगर धरती की औसत डेनसिटी देखें तो ये 5.51 ग्राम प्रति क्यूबिक सेंटीमीटर है. जबकि इस ग्रह का 14.1 ग्राम प्रति क्यूबिक सेंटीमीटर है. जबकि, बृहस्पति ग्रह का 1.33 ग्राम प्रति क्यूबिक सेंटीमीटर है. TOI-4603b ग्रह के नजदीक अगर किसी धातु का घनत्व है तो वह लीड है. लीड का घनत्व 11.3 ग्राम प्रति क्यूबिक सेंटीमीटर होता है.