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Snowless Kashmir: कश्मीर में इस बार नहीं पड़ रही बर्फ... सैटेलाइट तस्वीरों से डरावना खुलासा

कश्मीर में बर्फ नहीं है. जितनी होनी चाहिए, उतनी नहीं. आम तौर पर नए साल की पूर्व संध्या पर कश्मीर के पहाड़ों पर जमकर बर्फबारी होती है. ग्लेशियर बर्फ से भर जाते हैं. लेकिन इस साल ऐसा नहीं हो रहा. हिमालय और पीरपंजाल पहाड़ों पर बर्फ या तो बहुत कम या है ही नहीं. वजह है अल-नीनो और ग्लोबल वॉर्मिंग.

पिछले साल और इस साल के नक्शे से आप समझ सकते हैं कि गुलमर्ग की हालत क्या है. दिसंबर महीने में कश्मीर में 79% कम बारिश हुई है. पिछले साल और इस साल के नक्शे से आप समझ सकते हैं कि गुलमर्ग की हालत क्या है. दिसंबर महीने में कश्मीर में 79% कम बारिश हुई है.
शुभम तिवारी/कुमार कुणाल
  • नई दिल्ली,
  • 10 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 2:29 PM IST

कश्मीर के बारे में सोचते ही बर्फ की चादरों से लिपटे ऊंचे-ऊंचे पहाड़ दिखाई देते हैं. लेकिन इस बार जो लोग कश्मीर जा रहे हैं, उन्हें जोर का झटका धीरे से लग रहा है. कुछ को जोर का ही लग रहा है. बर्फ या तो बेहद कम है. या है ही नहीं. यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) से मिली सैटेलाइट तस्वीरों को इंडिया टुडे ओपन-सोर्स इंटेलिजेंस (OSINT) ने रिव्यू किया. हैरान करने वाला खुलासा हुआ है. 

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गुलमर्ग, सोनमर्ग, पहलगाम के उत्तर में तंगमार्ग और दक्षिण में अरू घाटी... ठंडियों में कश्मीर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल बने रहते हैं. लेकिन जनवरी के 10 दिन बीत चुके हैं. अभी तक कश्मीर इलाके में चिलई कलां (Chillai Kalan) की घोषणा नहीं हुई है. यानी 40 दिन की भयानक सर्दियों वाला समय. जबकि सर्दी शुरू हुए 2 महीने हो चुके हैं. 

आमतौर पर गुरेज वैली की सड़क भारी बर्फबारी की वजह से अक्टूबर में बंद हो जाती है. लेकिन 9 जनवरी तक बांदीपोरा-गुरेज सड़क का 85 किलोमीटर का हिस्सा अब तक खुला है. क्योंकि तापमान जीरो डिग्री सेल्सियस तक तो पहुंच रहा है लेकिन बर्फबारी नहीं हो रही है. गुलमर्ग जहां पर इस समय स्की करने के लिए लोग पहुंच जाते थे. अभी वहां की ढलाने बिना बर्फ की हैं. 

फिलहाल कोई राहत दिख नहीं रही

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मौसम विज्ञानियों की माने तो कश्मीर घाटी में पूरे दिसंबर महीने 79 फीसदी कम बारिश हुई है. अभी अगले एक हफ्ते तक  माहौल ऐसा ही रहने की आशंका है. 15 जनवरी तक इस इलाके में बर्फबारी की कोई संभावना नहीं है. 

क्यों हो रहा है ऐसा? 

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की साइंटिस्ट सोमा सेन रॉय ने कहा कि यह अल-नीनो की वजह से हो रहा है. इसकी वजह से मध्य और पूर्वी प्रशांत महासागर की समुद्री सतह गर्म हो जाती है. इससे पूरी दुनिया में मौसम बदलता है. इसी की वजह से कश्मीर में बारिश और बर्फबारी प्रभावित हुई है. इस समय भारत में मजबूत वेस्टर्न डिस्टर्बेंस की कमी है. 

वेस्टर्न डिस्टर्बेंस अरब सागर से नमी लेकर आता है, उससे पहाड़ों पर बारिश होती है. लेकिन अल-नीनो की वजह से इस बार यह होता दिख नहीं रहा है. अगले कुछ दिनों तक कश्मीर और उत्तर भारत के मौसम में किसी तरह का कोई बदलाव होने वाला नहीं है. अल-नीनो पिछले साल नवंबर से शुरू हुआ है, अभी इसका असर अगले महीने तक रहेगा. 

दक्षिणपूर्व एशिया में अल-नीनो इस बार औसत से ज्यादा गर्म है. खासतौर से दिसंबर से फरवरी के महीने में. इससे इस पूरे इलाके का तापमान बढ़ा रहता है. विशेषज्ञ इसके पीछे मौसम के रुख में आए बदलाव को वजह मानते हैं. उनका कहना है कि मध्य और पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर में समुद्र सतह का तापमान औसत से ऊपर चल रहा है, जिसके कारण कश्मीर घाटी में इस साल सर्दी हल्की रहने का अनुमान है.   

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निराशा ही निराशा है पर्यटकों के बीच

कश्मीर के बिना बर्फ के पहाड़ों पर पिछले महीने दिसंबर में जाने वाले पर्यटकों को निराशा मिली है. क्योंकि वो क्रिसमस और नए साल की छुट्टियां बिताने पहुंचे थे. लेकिन बर्फ थी नहीं या कम थी. श्रीनगर निवासी बबिता रैना गुलमर्ग के बारे में कहती हैं कि यह दुनिया की सबसे खूबसूरत तकह है. मैं हर साल बर्फबारी के समय यहां आती हूं. लेकिन इस बार मैं थोड़ा निराश हुई हूं, क्योंकि यहां पर सूखा चल रहा है. नहीं तो यहां सफेद बर्फ होती. 

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