
6 फरवरी 2024 की सुबह करीब 13 किलर व्हेल्स यानी ओर्का (Killer Whales/Orcas) जापान के होकाइदो परफेक्टर के राउसू कस्बे में जमी बर्फ में फंस गईं. ये तैरती हुई बर्फ कहीं ऊंची तो कहीं नीची है. ये स्थिति समंदर के ऊपर भी है और नीचे भी. इसलिए ये मछलियां इस बर्फजाल से बाहर निकल नहीं पा रही हैं.
राऊसू कोस्ट गार्ड स्टेशन के मुताबिक यह घटना 6 फरवरी की सुबह साढ़े आठ बजे के आसपास की है. पहले 10 व्हेल्स फंसी थीं. बाद में उसमें तीन और आकर फंस गईं. ये सारी व्हेल मछलियां तैरते हुए मोटी-पतली बर्फ की परतों के बीच फंस गई हैं. इनका Video स्थानीय मछुआरों ने बनाया जो किसी तरह से उस इलाके में मछलियां पकड़ने गए थे.
जिस बर्फजाल में ये मछलियां फंसी हैं, उसकी लंबाई-चौड़ाई एक किलोमीटर से ज्यादा है. ये मछलिया समंदर में तट से एक किलोमीटर दूर हैं. समस्या ये है कि इस समय यहां का समंदर तैरते हुए मल्टी-लेवल बर्फ की परत से ढंका हुआ है. व्हेल्स तक जाकर उन्हें निकालना आसान रेस्क्यू नहीं होगा. इससे अलावा तट से उत्तर-पूर्व में 2 किलोमीटर दूर समंदर में 17 किलर व्हेल्स फंसी मिली थीं. लेकिन वो बाहर निकलने में किसी तरह से सफल हो गईं. ये फंसी हुई हैं.
मौसम विभाग ने सलाह दी है कि अगले 24 घंटों में समंदर की गर्मी की वजह से ये बर्फ थोड़ी और फैलेगी. तब ये मछलियां खुद से बाहर निकल पाएंगी. नहीं तो डर है कि 2005 जैसी घटना वापस हो सकती है. इसी इलाके में तब दर्जनों व्हेल मछलियां बर्फ में फंस गई थीं. जिन्हें निकालना मुश्किल था. इसलिए ज्यादातर मछलियां मारी गईं.
एक स्थानीय मछुआरे ने व्हेल्स की स्थिति जानने के लिए ड्रोन से वीडियो बनाया. उसने कहा कि किलर व्हेल्स की हालत अच्छी नहीं दिख रही है. उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही है. उनके साथ तीन से चार बेबी किलर व्हेल्स भी हैं. टोक्यो यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट प्रो. मारी कोबायशी ने बताया कि किलर व्हेल्स यानी ओर्का का इस तरह फंसना ठीक नहीं है.
प्रो. मारी ने कहा कि तैरती हुई बर्फ का जाल इतनी आसानी से नहीं टूटता. न ही पिघलता है. क्योंकि उसे बाहर की ठंडी हवा मजबूत करती है. अंदर का पानी भी साथ में जमता जाता है. ऐसे में व्हेल्स को सांस लेने या बाहर निकलने के लिए पर्याप्त जगह नहीं मिल रही होगी. ये बेहद सामाजिक प्राणी होते हैं. समूह में रहते हैं. परिवार का ख्याल रखते हैं.
बड़ी किलर व्हेल्स अपने बच्चों को छोड़कर कहीं नहीं जाएंगी. अगर कोई बच्चा तैराकी कम जानता होगा, तब तो परिवार के बड़े सदस्य उसे कहीं छोड़कर नहीं जाएंगे. भले ही उन सबकी जान वहीं चली जाए.