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Korolev Crater: मंगल पर बर्फ से भरा है विशालकाय गड्ढा, 2 किमी गहरा है ये खूबसूरत क्रेटर

मंगल ग्रह (Mars) पर कई हैरान करने वाली चीजें हैं. इनमें से एक है कोरोलेव क्रेटर (Korolev crater) जो दूर से बेहद खूबसूरत पैच की तरह दिखता है. इस गड्ढे की गहराई 2 किमी है और यह 82 किलोमीटर तक फैला है. कलर एंड स्टीरियो सरफेस इमेजिंग सिस्टम (CaSSIS) ने 2018 में ऑर्बिट से इसकी पहली तस्वीर भेजी थी.

82 किलोमीटर तक फैला है कोरोलेव क्रेटर (Photo: ESA) 82 किलोमीटर तक फैला है कोरोलेव क्रेटर (Photo: ESA)
aajtak.in
  • वॉशिंगटन,
  • 26 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 3:45 PM IST

क्या आप जानते हैं कि मंगल ग्रह पर एक बहुत खूबसूरत पैच है. वैसे तो ये एक बहुत बड़ा गड्ढा है, जो दूर से किसी पैच की तरह दिखता है. लेकिन इसकी तस्वीरें इतनी खूबसूरत हैं कि लगता है कि किसी दूसरी दुनिया की हों. वाकई मंगल दूसरी दुनिया ही है. आज बात करेंगे कोरोलेव क्रेटर (Korolev crater) की.

ये मार्स एक्सप्रेस हाई रेजोल्यूशन स्टीरियो कैमरा (Mars Express High Resolution Stereo Camera- HRSC) से ली गई तस्वीरें हैं. कोरोलेव क्रेटर की इस तस्वीर की खास बात यह है कि इसमें पांच अलग-अलग 'स्ट्रिप्स' शामिल हैं, जिन्हें मिलाकर एक तस्वीर बनाई गई है. हर स्ट्रिप, अलग ऑर्बिट से ली गई है. 

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  क्रेटर के केंद्र में पूरे साल करीब 1.8 किमी तक बर्फ का एक टीला बना रहता है (Photo: ESA)

आपको बता दें कि कोरोलेव क्रेटर, मंगल के उत्तरी निचले इलाकों में है और यह 82 किलोमीटर तक फैला है. यह मंगल ग्रह का एक ऐसा गड्ढा है जो बहुत अच्छी तरह से संरक्षित है. यह पूरी तरह बर्फ से भरा हुआ है. इसके केंद्र में पूरे साल करीब 1.8 किलोमीटर तक मोटी पानी की बर्फ का एक टीला बना रहता है. 

यह हमेशा बर्फ रहती है, उसके पीछे एक दिलचस्प वजह जिसे 'कोल्ड ट्रैप'(Cold Trap) के तौर पर जाना जाता है. इसके नाम से ही पता चलता है कि यह इलाका पूरी तरह से बर्फीला है. क्रेटर करीब दो किलोमीटर गहरा है. 

CaSSIS द्वारा भेजी गई इस क्रेटर की यह पहली तस्वीर है  (Photo: ESA)

कोरोलेव क्रेटर के सबसे गहरे हिस्से, जिनमें बर्फ होती है, वे प्राकृतिक कोल्ड ट्रैप की तरह काम करते हैं. यानी जहां बर्फ का टीला है वहां पर चलने वाली हवा ठंडी हो जाती है और नीचे की तरफ आ जाती है, जिससे ठंडी हवा की एक परत बन जाती है जो बर्फ के ठीक ऊपर आ जाती है.

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यह परत ढाल की तरह काम करती है. यह बर्फ को गर्म होने और गायब होने से रोकती है, यानी बर्फ को हमेशा स्थिर रहने में मदद करती है. 

क्रेटर का नाम मुख्य रॉकेट इंजीनियर और अंतरिक्ष यान डिजाइनर सर्गेई कोरोलेव (Sergei Korolev) के नाम पर रखा गया था. इन्हें सोवियत स्पेस टेक्नोलॉजी का जनक भी कहा जाता है.

 

कोरोलेव ने स्पुतनिक प्रोग्राम सहित कई जाने माने मिशनों पर काम किया. स्पुतनिक वह पहला आर्टिफिशियल सैटेलाइट था जो पृथ्वी के चारों ओर ऑर्बिट में भेजा गया था. उन्होंने कई रॉकेटों पर भी काम किया जो सफल सोयुज लॉन्चर से पहले बने थे. 

एक्सोमार्स ट्रेस गैस ऑर्बिटर पर कलर एंड स्टीरियो सरफेस इमेजिंग सिस्टम (CaSSIS) उपकरण, ने 28 अप्रैल 2018 को मंगल ग्रह पर काम करना शुरू किया था. कोरोलेव क्रेटर की यह रंगीन तस्वीर इस उपकरण की पहली तस्वीर थी, जिसे अंतरिक्ष से पृथ्वी पर भेजा गया था. CaSSIS ने क्रेटर के उत्तरी रिम के 40 किलोमीटर लंबे हिस्से की तस्वीर ली थी, जिसमें इसके पेचीदा आकार और संरचना साफ देखी जा सकती है, साथ ही इसके चमकीले बर्फीले जमाव को भी साफ तौर पर देखा जा सकता है.

 

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