
200 करोड़ साल पहले पृथ्वी से टकराने वाले अब तक के सबसे बड़े क्षुद्रग्रह(Asteroid), के बारे में जितना सोचा गया था, यह उससे कहीं ज़्यादा विशाल हो सकता है. व्रेडफोर्ट क्रेटर (Vredefort crater) के आकार के आधार पर, जो विशालकाय निशान अंतरिक्ष चट्टान ने छोड़ा, उसका शोधकर्ताओं ने हाल ही में अनुमान लगाया है. उनका कहना है कि यह विशालकाय एस्टेरॉयड उस एस्टेरॉयड से करीब दोगुना चौड़ा हो सकता है जिसने डायनासोर का सफाया कर दिया था.
व्रेडफोर्ट क्रेटर, जोहान्सबर्ग (Johannesburg) के दक्षिण-पश्चिम में करीब 120 किलोमीटर की दूरी पर है. इसका व्यास करीब 159 किमी है और इसी वजह से यह पृथ्वी पर दिखने वाला सबसे बड़ा क्रेटर है. हालांकि, यह मेक्सिको के युकाटन प्रायद्वीप (Yucatán Peninsula) के नीचे दबे हुए चिक्सुलब क्रेटर (Chicxulub crater) से छोटा है, जिसका व्यास करीब 180 किमी है. यह करीब 6.6 करोड़ साल पहले क्रेटेशियस पीरियड के अंत में, पृथ्वी से टकराने वाले उस एस्टेरॉयड की वजह से बना था जिससे डायनासोर मारे गए थे.
लेकिन ये क्रेटर समय के साथ धीरे-धीरे मिटते हैं, जिससे वे सिकुड़ जाते हैं. सबसे हालिया अनुमान बताते हैं कि जब व्रेडफोर्ट क्रेटर 200 करोड़ साल पहले बना था, तब वह मूल रूप से 250 से 280 किमी तक बड़ा था. उस हिसाब से व्रेडफोर्ट क्रेटर को आज चिक्सुलब क्रेटर से छोटा होने के बावजूद भी पृथ्वी पर सबसे बड़ा प्रभाव छोड़ने वाला क्रेटर (largest impact crater on Earth ) माना जाता है.
पहले वैज्ञानिकों का अनुमान था कि व्रेडफोर्ट क्रेटर बहुत छोटा था- करीब 172 किमी चौड़ा. उस अनुमान के आधार पर, शोधकर्ताओं ने पहले गणना की थी कि जिस एस्टेरॉयड की वजह से ये बना, वह करीब 15 किमी बड़ा होगा और करीब 53,900 किमी/घंटा की रफ्तार से टकराया होगा. लेकिन एक नए अध्ययन में, वैज्ञानिकों ने क्रेटर को दोबारा मापा और उन्हें इस विशाल अंतरिक्ष चट्टान के आकार के बारे में नई जानकारी मिली.
जर्नल ऑफ जियोफिजिकल रिसर्च: प्लैनेट्स में ऑनलाइन प्रकाशित हुए शोध के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने व्रेडफोर्ट एस्टेरॉयड के आकार की दोबारा गणना की और पाया कि यह विनाशकारी अंतरिक्ष चट्टान 20 और 25 किमी के आस-पास रही होगी और जब यह पृथ्वी से टकराया तो इसकी रफ्तार 72,000 और 90,000 किमी/घंटे के बीच रही होगी.
बाल्टिमोर में जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी डिपार्टमेंट ऑफ फिजिक्स एंड एस्ट्रोनॉमी में डॉक्टरेट कैंडिडेट और शोध की मुख्य लेखक नताली एलेन का कहना है कि पृथ्वी पर सबसे बड़े इंपैक्ट स्ट्रक्चर्स को समझना ज़रूरी है, क्योंकि इससे शोधकर्ता ज़्यादा सटीक जियोलॉजिकल मॉडल बना सकते हैं. उन्होंने कहा कि इन क्रेटर्स के आकार की ज़्यादा सटीक अनुमान, पृथ्वी और पूरे सौर मंडल में मौजूद बाकी क्रेटर पर भी प्रकाश डाल सकता है.
पृथ्वी पर आई थी प्रलय
डायनासोर को खत्म करने वाला क्षुद्रग्रह, करीब 6.6 करोड़ साल पहले पृथ्वी से टकराया था, तब प्इससे होने वाली तबाही बहुत बड़ी थी. क्रेटेशियस पीरियड खत्म होने की वजह से बड़े पैमाने पर जंगल में आग लगी और एसिड की बारिश हुई, समुद्र में मीलों ऊंची लहरें आई, जिसकी सुनामी ने आधे ग्रह को अपनी चपेट में ले लिया. वायुमंडल में राख और धूल पहुंची, जिससे जलवायु में भारी बदलाव आया. दिसंबर 2021 में, साइंटिफिक रिपोर्ट्स जर्नल में प्रकाशित एक शोध के मुताबिक, इस घटना से पृथ्वी पर लगभग 75% जीवन का सफाया हो गया था.
व्रेडफोर्ट क्रेटर के मूल आकार की दबोहार की गई गणना के आधार पर, नए शोध से पता चलता है कि व्रेडफोर्ट क्षुद्रग्रह, डायनासोर को मारने वाले एस्टेरॉयड से लगभग दोगुना बड़ा था. शोधकर्ताओं का कहना है कि शायद पृथ्वी के इतिहास में सबसे बड़ी एनर्जी रिलीज़ तभी हुई थी.
शोध के सह-लेखक मिकी नकाजिमा (Miki Nakajima) का कहना है कि चिक्सुलब प्रभाव से अलग, व्रेडफोर्ट प्रभाव ने बड़े पैमाने पर तबाही या जंगल में आग जैसा कोई प्रभाव नहीं छोड़ा, क्योंकि माना जाता है कि 200 करोड़ साल पहले केवल एक-कोशिका वाले जीव ही थे और कोई पेड़ मौजूद नहीं था. हालांकि, इस प्रभाव ने वैश्विक जलवायु को चिक्सुलब प्रभाव की तुलना में ज़्यादा प्रभावित किया होगा.