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पृथ्वी पर 2022 रहा 5वां सबसे गर्म साल, बीते 8 वर्षों में पड़ी भीषण गर्मी

यूरोपीय संघ (European Union) की कोपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (Copernicus Climate Change Service) की रिपोर्ट के मुताबिक, 2014 के बाद से, 8 सबसे गर्म साल रिकॉर्ड किए गए हैं. इन सालों में 2016 अब तक का सबसे गर्म साल रहा है, जबकि 2022 पांचवां सबसे गर्म साल रहा है.

2016 अब तक का सबसे गर्म साल रहा है (Photo: AP) 2016 अब तक का सबसे गर्म साल रहा है (Photo: AP)
aajtak.in
  • वॉशिंगटन,
  • 15 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 9:39 PM IST

पिछले साल दुनियाभर में जबरदस्त गर्मी थी. खास तौर पर, यूरोप, चीन और अन्य इलाकों में तापमान काफ़ी ज़्यादा रहा. यूरोप में जलवायु पर शोध करने वाले जानकारों ने बताया है कि इस गर्मी की वजह से वजह से साल 2022,अब तक के इतिहास का पांचवां सबसे गर्म साल रहा. 

यूरोपीय संघ (European Union) की कोपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (Copernicus Climate Change Service) के वैज्ञानिकों ने रिपोर्ट दी है कि 2014 के बाद से, 8 सबसे गर्म साल रिकॉर्ड किए गए हैं. इनमें साल 2016 अब तक का सबसे गर्म साल बना हुआ है.

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1981–2010 बेसलाइन की तुलना में 2022 का औसत तापमान (Photo: Copernicus-ECMWF)

नासा (NASA) और नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (National Oceanic and Atmospheric Administration- NOAA) ने भी 2022 के लिए वैश्विक तापमान का विश्लेषण जारी किया और उसमें भी यही बातें सामने आई हैं. नासा ने भी साल 2022 और 2015 को एक साथ पांचवां सबसे गर्म साल माना, जबकि NOAA ने साल 2022 को छठा सबसे गर्म साल माना है.

NOAA के वैज्ञानिक रसेल वोस (Russell Vose) का कहना है कि रैंक आपको कहानी का सिर्फ़ एक हिस्सा बताते हैं. ज़्यादा ज़रूरी यह है कि पिछले 8 साल, यानी 2015 से 2022 अब तक के सबसे गर्म साल हैं. उन्होंने कहा कि पिछले चार दशकों से, हर एक दशक अपने से पहले के दशकों की तुलना में ज़्यादा गर्म रहा है.

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यूरोप में सबसे ज्यादा गर्मी के दौरान तापमान के रिकॉर्ड टूट गए (Photo: Copernicus-ECMWF)

कुल मिलाकर, दुनिया अब 19वीं सदी के दूसरे भाग की तुलना में 1.2 डिग्री सेल्सियस ज़्यादा गर्म है, जब जीवाश्म ईंधन के जलने से पूरे ग्रह पर तापमान बढ़ गया था और कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन बहुत ज़्यादा हो गया था. 

कोपरनिकस सर्विस (Copernicus service) के डायरेक्टर कार्लो बूनटेम्पो (Carlo Buontempo) का कहना है कि प्री इंडस्ट्रियल एज (pre-industrial age) के बाद तापमान में जो बढ़ोतरी शुरू हुई उसमें साल 2022 का पांचवा सबसे गर्म साल होना, न तो अप्रत्याशित है और न ही आश्चर्यजनक. उन्होंने कहा कि अब तो सबसे दुर्लभ घटना वह होगी जब किसी साल को सबसे ठंडा कहा जा सकेगा. 

19वीं सदी के दूसरे भाग की तुलना में 1.2 डिग्री सेल्सियस ज़्यादा गर्म है दुनिया (Photo: Reuters)

पर्यावरण डेटा (Environmental data) का विश्लेषण करने वाली संस्था बर्कले अर्थ (Berkeley Earth) के शोधकर्ता ज़ेके हॉसफादर (Zeke Hausfather) का कहना है कि हम इस ग्रह के ज़्यादा तापमान वाले दौर में हैं और ये दौर बहुत लंबा चलने वाला है. उन्होंने कहा कि अगर आप 1970 के बाद से तापमान को ध्यान में रखते हुए एक सीधी रेखा खींचते हैं, तो 2022 लगभग उस स्थान पर आ जाता है जहां आप तापमान के सबसे ज़्यादा होने की अपेक्षा करते हैं. बर्कले अर्थ ने भी इस हफ़्ते अपना विश्लेषण जारी किया है. उन्होंने भी साल 2022 को पांचवां सबसे गर्म साल कहा है. 

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लगातार तीसरे साल ला नीना (La Niña) के बने रहने के  बावजूद, पिछला साल सबसे गर्म रहा. ला नीना, एक जलवायु पैटर्न है.
यह भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर (equatorial Pacific Ocean) में समुद्र की सतह के सामान्य से अधिक ठंडे तापमान से चिन्हित होता है और वैश्विक तापमान को दबाने की प्रवृत्ति रखता है.

साल 2022 को पांचवां सबसे गर्म साल कहा गया है (Photo: AFP)

कोपरनिकस के वैज्ञानिकों का कहना है कि यूरोप में 2022, अब तक का सबसे गर्म साल था. कई गर्म लहरें पूरे महाद्वीप में चल रही थीं, जिसकी वजह से कई शहरों में रिकॉर्ड तापमान दर्ज किया गया. अलग-अलग शोधों से पता चला है कि किसी और जगह की तुलना में, यूरोप में गर्मी की लहरों की फ्रीक्वेंसी (frequency) और तीव्रता (intensity) में काफ़ी तेजी आई है, जो कि बढ़ते तापमान की वजह से है. हालांकि इसकी वजह, वायुमंडलीय और महासागरीय संचलन में बदलाव को भी माना जा सकता है.

 

इतने गर्म साल का प्रभाव दुनिया भर में कई जगहों पर महसूस किया गया. साल 2022 में, पूर्वी और मध्य चीन, पाकिस्तान और भारत समेत कई जगहों पर लंबी और तीव्र गर्मी की लहरों का अनुभव किया गया. पाकिस्तान में तो मानसून की बाढ़ ने देश के अधिकांश हिस्सों में तबाही मचा दी. उधर पश्चिमी संयुक्त राज्य अमेरिका (Western United States) में गर्मी और उसके साथ आने वाले सूखे ने जंगलों की आग भड़का दी थी.

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