
पृथ्वी (Earth) और मंगल (Mars) के बीच सूर्य का चक्कर लगाने वाले उल्कापिंड रीयूगू (Ryugu) पर जीवन पैदा करने वाले तत्व मिले हैं. यह उल्कापिंड सौर मंडल से भी पुराना है. यानी सौर मंडल के बनने से पहले से यह मौजूद है. जापान के हायाबुसा 2 स्पेसक्राफ्ट (Hayabusa 2 Spacecraft) ने साल 2020 में इस एस्टेरॉयड से मिट्टी का 5 ग्राम सैंपल लिया था. फिर वह धरती पर वापस आया.
जब इस मिट्टी की जांच की गई तो उसके अंदर जीवन को पैदा करने वाले तत्व मिले. इसकी मिट्टी में कार्बन के अलावा 15 अलग-अलग प्रकार के अमीनो एसिड्स मिले हैं. जो जीवन की उत्पत्ति के लिए महत्वपूर्ण हैं. ये तत्व फिलहाल जीवित नहीं हैं. लेकिन ये जीवन की उत्पत्ति कर सकते हैं. इसलिए वैज्ञानिक इन अमीनो एसिड्स को प्रीबायोटिक (Prebiotic) कह रहे हैं. यह स्टडी हाल ही में साइंस जर्नल में प्रकाशित हुई है.
जीवन देने वाले इन तत्वों में उल्कापिंड पर जीवित रहने की क्षमता है या नहीं इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है. लेकिन प्रीबायोटिक तत्वों के मिलने से यह बात तो पुख्ता हो चुकी है कि बुरे पर्यावरण में भी जीवन पनपने की व्यवस्था हो सकती हैं. बुरा पर्यावरण मतलब ज्यादा सौर लहर, गर्मी, अल्ट्रावॉयलेट इरेडिएशन, साथ ही तीव्र वैक्यूम जैसी स्थिति.
क्यूशू यूनिवर्सिटी के प्रमुख शोधकर्ता हिरोशी नाराओका ने बताया कि रीयूगू की मिट्टी से पता चलता है कि वह जीवन के तत्वों को बचाने में सक्षम है. इसका मतलब ये है कि उल्कापिंड पूरे सौर मंडल में जीवन फैलाने में मदद कर सकते हैं. या उन्होंने फैलाया होगा. इसका मतलब ये भी हो सकता है कि धरती पर भी किसी एस्टेरॉयड के जरिए जीवन आया हो.
रीयूगू उल्कापिंड उस समय बना था जब सौर मंडल बना भी नहीं था. प्रीमॉर्डियल क्लाउड (Primordial Cloud) के समय यह उल्कापिंड बना था, जब इंटरस्टेलर धूल घूम रही थी. इसका मतलब ये है कि जीवन की उत्पत्ति के लिए जरूरी तत्व सौर मंडल बनने से पहले से मौजूद था. रीयूगू एक कार्बनयुक्त उल्कापिंड है. यानी सौर मंडल में मौजूद 75 फीसदी उल्कापिंडों की तरह जो कार्बन से बने हैं.
इस उल्कापिंड की उत्पत्ति का समय 450 करोड़ साल पहले माना जाता है. यानी उसपर मौजूद जीवन के तत्व उतने पुराने हो सकते हैं. जापानी स्पेस एजेंसी से नासा रीयूगू का सैंपल मांगा था. उसे 5 ग्राम का 10 फीसदी सैंपल मिला था. ऐसा ही रिसर्च यूरोप में भी हो रहा है. एक और इंटरनेशनल टीम 30 माइक्रोग्राम सैंपल लेकर उसकी स्टडी कर रही है. ताकि मिट्टी में मौजूद सॉल्वेंट्स और ऑर्गेनिक मैटर की जांच कर सके.
रीयूगू की मिट्टी में कार्बन, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, सल्फर और 15 अमीनो एसिड्स मिले. इसके अलावा नाइट्रोजनयुक्त एमीन्स और कार्बोजिलिक एसिड्स भी मिले हैं. जो कि कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के मिश्रण से बनते हैं. लेकिन शोधकर्ताओं को रीयूगू की मिट्टी में शुगर या न्यूक्लियोबेसेस नहीं मिले हैं, जिनसे डीएनए और आरएनए का निर्माण होता है.