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What is Color Smoke: संसद में फैला रंगीन धुआं क्या है... शरीर पर इससे कैसा नुकसान हो सकता है?

देश की नई संसद में लोकसभा सत्र के दौरान सुरक्षा में चूक हुई. एक आदमी दर्शकदीर्घा से कूदा और उसने रंगीन धुएं उड़ाए. जिसे कलर स्मोक (Color Smoke) कहते हैं. यह कलर स्मोक बनता कैसे है? क्या इससे शरीर पर किसी तरह का नुकसान होता है? आइए जानते हैं इसके बारे में...

संसद में फोड़ा गया कलर स्मोक और नीचे पड़ा उसका डिब्बा. संसद में फोड़ा गया कलर स्मोक और नीचे पड़ा उसका डिब्बा.
ऋचीक मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 13 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 11:44 AM IST

अक्सर आपने देखा होगा कि प्रदर्शनों में, होली में या फिर किसी तरह के विरोध में लोग कलर स्मोक (Color Smoke) का इस्तेमाल करते हैं. जैसे लोग जन्मदिन में पार्टी पॉपर (Party Popper) फोड़ते हैं. जो कलर स्मोक संसद में मिला है, वह आसानी से किसी भी बर्थडे गिफ्ट स्टोर पर मिल जाता है. कीमत भी बहुत ज्यादा नहीं होती. साइज के हिसाब से कीमत. या फिर क्वालिटी के हिसाब से. 

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मुद्दा ये है कि ये बनता कैसे है? इसे बनाने के दो तरीके हैं. एक आम नागरिकों के इस्तेमाल के लिए. दूसरा सैनिकों के लिए. सैनिकों के लिए ये कलर स्मोक रेस्क्यू मिशन में काम आता है. या फिर मिशन पूरा होने के बाद अपने हेलिकॉप्टर या जहाज को ये बताने के लिए उनकी टीम किस जगह पर है. या फिर एयरशो के दौरान एक्रोबेटिक विमानों से निकलने वाले अलग-अलग रंग. ये कलर स्मोक कई रंगों में आते हैं. 

सेना के लिए इस्तेमाल किया जाने वाले कलर स्मोक को आमतौर पर पोटेशियम क्लोरेट ऑक्सीडाइजर, लैक्टोस या डेक्सट्रिन को ईंधन के तौर पर, डाई (जिस रंग की चाहिए), इसके अलावा सोडियम बाइकॉर्बोनेट ताकि कलर स्मोक को ठंडा किया जा सके. क्योंकि जब ये फूटता है, तब ये गर्म होता चला जाता है. इससे हाथ जलने की आशंका रहती है. 

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आम नागरिकों के लिए भी बनता है स्मोक बम

आम नागरिकों के लिए जो कलर स्मोक इस्तेमाल होता है, उसमें पोटैशियम नाइट्रेट, चीनी, बेकिंग सोडा, ऑर्गैनिक डाई, कार्डबोर्ड ट्यूब, डक्ट पाइप, पेन या पेंसिल, आतिशबाजी का फ्यूज, रूई की गेंद और सॉसपैन की जरूरत पड़ती है. ये आसानी से घर पर भी बनाया जा सकता है. लेकिन ये करने की सलाह न सरकार देती है. न ही कोई निजी संस्था. 

और कहां-कहां होता है इस्तेमाल? 

दंगा रोकने के लिए, जिसमें जलन वाले केमिकल मिलाए जाते हैं. कृषि में ताकि कीटनाशकों का छिड़काव किया जा सके. इनका इस्तेमाल क्लाउड सीडिंग के लिए भी किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए कलर स्मोक बम में कई बदलाव करने पड़ते हैं. 

कलर स्मोक बम फोड़ते समय ये सावधानियां जरूरी 

- स्मोक बम फूटते समय गर्म होता है, इसलिए इसे किसी भी ज्वलनशील पदार्थ से दूर रखना चाहिए.
- कई बार ज्यादा प्रेशर होने की वजह से इसमें विस्फोट होने की आशंका रहती है.     
- इसे हमेशा खुली जगह पर चलाना चाहिए. जहां पर हवा पर्याप्त मात्रा में हो. 
- जब भी इसका इस्तेमाल करें, इसे पानी से बुझाएं या फायर एक्सटिंग्यूशर से. 
- अगर तेजी से विस्फोट हो जाए तो हाथ, चेहरा या अन्य अंग जल सकते हैं. 
- कलर स्मोक बम से निकलने वाले धुएं से आंखों में जलन हो सकती है. 

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कितने रंगों के आते हैं कलर स्मोक बम? 

- चार तरह का लाल रंग. 
- पांच तरह का पीला रंग. 
- चार तरह का हरा रंग.
- तीन तरह का नीला रंग.
- दो तरह का बैंगनी रंग. 
- एक तरह का नारंगी रंग. 

सेना में स्मोक ग्रैनेड्स और स्मोक बम भी बनते हैं 

सेना के स्मोक ग्रैनेड्स या स्मोक बम पाइरोटेक्नीक कंपोजिशन से बनते हैं. इनका मुख्य मकसद होता है इतना धुआं निकालना कि दुश्मन को कुछ दिखाई न दे. ये खासतौर से जिंक क्लोराइड स्मोक से बनाए जाते हैं. या फिर व्हाइट फॉस्फोरस से. इनके धुएं से क्लोरीन जैसी बद्बू, फॉसजीन, कार्बन मोनोऑक्साइड या क्लोरीन निकलता है. 

कलर स्मोक से शरीर पर पड़ने वाला असर

अगर आप सीधे तौर पर कलर स्मोक के संपर्क में आते हैं, तो आपको सांस लेने में तकलीफ हो सकती है. आवाज खराब हो सकती है. सांस तेज या धीमी हो सकती है. कफ बन सकता है. ज्यादा देर तक संपर्क में रहने पर नाक से खून भी आ सकता है. इसकी वजह से पल्मोनरी इडेमा यानी फेफड़ों में पानी जमा हो सकता है. शरीर की त्वचा का रंग बदल सकता है. ये कैंसर पैदा करने की वजह भी बन सकते हैं. 

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