Advertisement

Banned Pollutants Found: लंबे समय से बैन पॉल्यूटेंट पृथ्वी की सबसे गहरी जगह पर मिले, शोध से पता लगा

हाल ही में किए गए एक शोध से चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं. शोध के मुताबिक, प्रशांत महासागर में 26,246 फीट की गहराई तक प्रदूषण फैल चुका है. 20वीं सदी के दौरान छोड़े गए मानव निर्मित पॉल्यूटेंट का करीब 60 प्रतिशत हिस्सा गहरे समुद्र की तली में स्टोर है. इन पॉल्यूटेंट पर सालों पहले बैन लगा दिया गया था.

अटाकामा ट्रेंच में पाए गए मानव निर्मित प्रदूषक (Photo: Getty) अटाकामा ट्रेंच में पाए गए मानव निर्मित प्रदूषक (Photo: Getty)
aajtak.in
  • वॉशिंगटन,
  • 01 मई 2023,
  • अपडेटेड 8:38 PM IST

हाल ही में पृथ्वी की सबसे गहरी और सबसे दूरस्थ जगहों  में से एक, अटाकामा ट्रेंच (Atacama Trench) में मानव निर्मित प्रदूषकों (Human-made pollutants) को खोजा गया है, जो प्रशांत महासागर (Pacific Ocean) में 26,246 फीट की गहराई तक है. इस तरह की दूरस्थ जगहों में पॉलीक्लोराइनेटेड बाइफिनाइल्स (Polychlorinated biphenyls- PCBs) का पाया जाना यह बताता है कि पृथ्वी पर कोई भी जगह प्रदूषण से मुक्त नहीं है.

Advertisement

1930 से 1970 के दशक में PCBs का बड़ी मात्रा में उत्पादन हुआ था, ज्यादातर उत्तरी गोलार्ध में. और इन्हें बिजली के उपकरणों, पेंट, कूलेंट और कई तरह की चीजों में इनका इस्तेमाल किया गया. 1960 के दशक में यह साफ हो गया था कि इससे समुद्री जीवन को नुकसान पहुंच रहा था, और इसलिए 1970 के दशक के मध्य में उनके इस्तेमाल पर वैश्विक तौर पर प्रतिबंध लगा दिया गया.

PCBs को टूटने में कई सालों का समय लगता है. ये पानी के साथ लंबी दूरी तय कर सकते हैं और उन जगहों से बहुत दूर जा सकते हैं जहां उन्हें पहली बार इस्तेमाल किया गया था. ये समुद्र के पानी, हवा और नदियों के ज़रिए एक जगह से दूसरी जगह घूमते रहते हैं.

हाल ही में अटाकामा ट्रेंच में एक शोध किया गया, जो दक्षिण अमेरिका के तट के करीब 6,000 किलोमीटर तक फैला है. इस ट्रेंच का सबसे गहरा प्वाइंट मोटे तौर पर उतना ही गहरा है जितना ऊंचा हिमालय है. यहां से 2,500 से 8,085 मीटर तक अलग-अलग गहराई की पांच साइटों से तलछट इकट्ठा की गई. हर नमूने को सतह की तलछट से लेकर मिट्टी परत तक, पांच परतों में काटा और उन सभी परतों में PCB पाया गया.

Advertisement

सतह पर जो पानी होता है वह पोषक तत्वों से भरपूर होता है, ऐसा समुद्र की गहराइयों में रहने वाले छोटे-छोटे जीवों की वजह से होता है, जिन्हें प्लवक (Plankton) कहते हैं. जब प्लैंक्टन मर जाते हैं, तो उनकी कोशिकाएं तले में डूब जाती हैं और अपने साथ पीसीबी जैसे प्रदूषकों को भी नीचे की तरफ ले जाती हैं. लेकिन पीसीबी पानी में ठीक से नहीं घुलते और इसके बजाय वे वसा से भरपूर ऊतकों और जीवित या मृत जीवों के टुकड़ों या प्लैंकटन से चिपक जाते हैं.

चूंकि समुद्री तलछट में मृत पौधों और जानवरों के बहुत सारे अवशेष होते हैं, यहां पीसीबी जैसे प्रदूषकों की भारी मात्रा पाई जाती है. 20वीं सदी के दौरान छोड़ा गया करीब 60 प्रतिशत पीसीबी, गहरे समुद्र के तलछट में स्टोर है.

 

शोध में पाया गया कि अटाकामा ट्रेंच में सबसे गहरी जगहों पर जैविक कार्बन कम गहराई वाली जगहों की तुलना में ज़्यादा डीग्रेडेड थी. सबसे ज़्यादा गहराई पर, तलछट में ऑरगैनिक कार्बन के हर ग्राम में पीसीबी की उच्च सांद्रता थी.

शोधकर्ताओं का कहना है कि हम निश्चित रूप से यह कह सकते हैं कि वर्तमान में वैश्विक स्तर पर इस्तेमाल किए जा रहे 350,000 से ज़्यादा कैमिकल्स पर्यावरण को प्रदूषित कर रहे हैं और इंसानों के लिए खतरनाक हैं. पॉल्यूटेंट्स जो दुनिया की सबसे गहरी समुद्री खाई के नीचे दबे हुए पाए गए हैं, वे कहीं नहीं जा रहे हैं.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement