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भारत में बनाया जा रहा है भगवान शिव का हथियार- महेश्वरास्त्र, दुश्मनों के सूरज को कर देगा अस्त

भारत में बनाया जा रहा है एक गाइडेड रॉकेट, जिसे नाम दिया गया है महेश्वरास्त्र. इस नाम का हथियार भगवान शिव के पास था. कहते हैं उसमें उनकी तीसरी आंख की ताकत थी. वह किसी को भी राख कर सकता था. अब हमारे महेश्वरास्त्र से दुश्मन ने नापाक इरादों का सूरज अस्त हो जाएगा.

यह एक मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम होगा. (प्रतीकात्मक फोटो) यह एक मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम होगा. (प्रतीकात्मक फोटो)
ऋचीक मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 17 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 3:29 PM IST

भारत में अब भगवान शिव (Lord Shiva) के हथियार के नाम पर एक रॉकेट सिस्टम बनाया जा रहा है. यह एक लंबी दूरी का गाइडेड रॉकेट सिस्टम है. इसका नाम है महेश्वरास्त्र (Maheshwarastra). पौराणिक कथाओं में जिक्र है कि भोलेनाथ के पास भी ऐसा ही हथियार था. जिसमें उनकी तीसरी आंख की ताकत थी. वह किसी को भी जलाकर राख करने की क्षमता रखता था. अब जो रॉकेट बनाया जा रहा है, उसे आप देसी हिमार्स (Desi HIMARS) भी कह सकते हैं. 

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महेश्वरास्त्र को बना रही है सोलार इंडस्ट्रीज (Solar Industries). कंपनी के एक बड़े अधिकारी ने aajtak.in से खास बातचीत में बताया कि ये सही है कि हमने नाम भगवान शिव के अस्त्र से लिया है. इसकी ताकत भी वैसी ही होगी. यह गाइडेड रॉकेट सिस्टम है. हम इसके दो वर्जन बना रहे हैं. महेश्वरास्त्र-1 (Maheshwarastra-1) और महेश्वरास्त्र-2 (Maheshwarastra-2). पहले वाले का रेंज 150 किलोमीटर और दूसरे वाले का 290 किलोमीटर होगा. 

ये है महेश्वरास्त्र-1 और 2 की डिजाइन, जिसे सोलार इंडस्ट्री तैयार कर रहा है. 

अधिकारी ने यह डेढ़ साल में बनकर तैयार हो जाएंगे. फिलहाल इस प्रोजेक्ट पर 300 करोड़ रुपये लगे हैं. डेवलपमेंट तेजी से हो रहा है. इसकी गति ही इसकी सबसे बड़ी मारक क्षमता है. यह आवाज की गति से चार गुना ज्यादा गति से दुश्मन की ओर लपकेगी. यानी 5680 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार. यानी एक सेकेंड में करीब डेढ़ किलोमीटर की दूरी तय करेगा. महेश्वरास्त्र-1 को आप देसी हिमार्स कह सकते हैं. दूसरा वर्जन ब्रह्मोस मिसाइल (BrahMos Missile) की टक्कर का होगा. यानी दुश्मन को बचने का कोई चांस नहीं. 

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अभी पिनाका गाइडेड रॉकेट सिस्टम (Pinaka Guided Rocket System) और सरफेस-टू-सरफेस मिसाइल (SSM) के बीच हथियार की कमी है. पिनाका की रेंज 75 किलोमीटर है जबकि SSM की 350 किलोमीटर है. इन दोनों के बीच हथियार की कमी थी. जिसे महेश्वरास्त्र गाइडेड रॉकेट सिस्टम पूरा करेगा. अधिकारी ने बताया कि असल में यह गाइडेड मिसाइल ही हैं, लेकिन हम इन्हें रॉकेट बुला रहे हैं. 

ये दोनों ही मल्टिपल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम से दागे जाने वाले रॉकेट्स होंगे. इन्हें टैक्टिकल बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम में भी गिना जा सकता है. यह M142 HIMARS (High Mobility Artiller Rocket System) जैसा ही होगा. यानी भारत को ऐसे मल्टिपल रॉकेट सिस्टम खरीदने की जरुरत नहीं पड़ेगी. जो पहले से हैं वो अपडेट होंगे. नए अपने देश में ही बनेंगे. इससे रक्षा क्षेत्र का खर्च बचेगा और देसी कंपनियों को लाभ मिलेगा. 

डेढ़ साल बाद ट्रायल्स होंगे. यह हर मौसम में मार करने वाले रॉकेट्स होंगे. यानी आप किसी भी मौसम, किसी भी भौगोलिक क्षेत्र में इन्हें दाग सकते हैं. इनमें पारंपरिक हथियार लगाए जाएंगे. जो सैन्य टुकड़ी, बंकर, टैंक, बख्तरबंद वाहनों को उड़ाने में मदद करेगा. यह अगर पाक या चीन सीमा पर तैनात कर दी जाए तो दुश्मन की हालत पस्त हो जाएगी. 

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