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40 सेकेंड में देखिए 100 करोड़ सालों में कैसे हिलती रही धरती, टकराकर बनते रहे हमारे महाद्वीप?

100 करोड़ साल में धरती के सभी महाद्वीप बने. आप सिर्फ 40 सेकेंड के वीडियो में धरती के सभी महादीपों का बनना देख लेंगे. कैसे टेक्टोनिक प्लेटों के हिलने से हमारी ये दुनिया बनी? कैसे हमारा आज का वर्ल्ड मैप बना? टेक्टोनिक प्लेट्स टकराते रहे, छितराते रहे फिर समय ऐसा आया कि आपस में जुड़ते गए... नक्शा बनता चला गया.

पहाड़, नदियां, जमीन या मैदानी इलाके सब टेक्टोनिक प्लेटों के हिलने, भिड़ने और अलग होने से बने हैं. पहाड़, नदियां, जमीन या मैदानी इलाके सब टेक्टोनिक प्लेटों के हिलने, भिड़ने और अलग होने से बने हैं.
aajtak.in
  • सिडनी,
  • 10 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 8:27 PM IST

पृथ्वी के चारों तरफ सिर्फ पानी और जमीन नहीं है. नीचे टेक्टोनिक प्लेटें (Tectonic Plates) भी हैं. यानी धरती का ऊपरी हिस्सा जो हिलता है. एकदूसरे से टकराता है. एक प्लेट दूसरे को दबाती है. इसकी वजह से भूकंप आते हैं. सुनामी आती है. यह प्रक्रिया 100 करोड़ सालों से लगातार चलती जा रही है. इन टेक्टोनिक प्लेटों के खिसकने की वजह से इनके ऊपर मौजूद जमीन यानी हमारे महाद्वीप टूटे, बिखरे और फिर बने.  कुछ समय बाद अलग-अलग मौजूद ये महाद्वीप फिर से जुड़ जाएंगे और सुपर कॉन्टीनेंट बनाएंगे. लेकिन क्या 100 करोड़ सालों के टेक्टोनिक प्लेटों के खिसकने का नजारा आपको सिर्फ 40 सेकेंड में देखने को मिले, तो कैसा रहेगा?

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टेक्टोनिक प्लेट्स धरती के अंदर अलग-अलग जगहों पर घूमती रहती हैं. असल में ये टेक्टोनिक प्लेट्स हैं क्या? टेक्टोनिक प्लेट्स धरती के अंदर मौजूद पत्थरों के बड़े-बड़े स्लैब यानी टुकड़े हैं. इनके घूमने की वजह से जलवायु बदल जाता है. लहरों का पैटर्न बदल जाता है. जानवरों का मूवमेंट बदल जाता है. ज्वालामुखी फटते हैं. धातुओं का निर्माण होता है. यानी टेक्टोनिक प्लेटों के हिलने से सिर्फ भूकंप नहीं आता. ये धरती पर मौजूद एक लाइफ सपोर्ट सिस्टम हैं. जो पृथ्वी को लगातार नया जीवन प्रदान करते हैं. उस पर रहने वाले जीवों को भी. चाहे वह सतह पर हों या फिर समुद्र में. 

यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी के पीएचडी शोधकर्ता और जियोसाइंटिस्ट माइकल टेटले ने कहा पहली बार टेक्टोनिक प्लेट्स के मूवमेंट का कंप्यूटर मॉडल बनाया गया है. इसमें सभी भौगोलिक सीमाओं को शामिल किया गया है. इंसानी गणित के अनुसार धरती पर कोई भी बड़ी चीज सेंटीमीटर प्रति वर्ष के हिसाब से हिलती-डुलती है. लेकिन जब हम यहां मौजूद वीडियो को देखेंगे तो पता चलेगा कि हमारे महाद्वीप पूरी धरती पर छितराए हुए थे. आज जो अंटार्कटिका दक्षिणी ध्रुव पर मौजूद है, जहां कोई नहीं रहता. वो किसी समय भूमध्यरेखा (Equator Line) पर था. 

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जब भी ये टेक्टोनिक प्लेट्स हिलते-डुलते हैं. जब उनके ऊपर मौजूद जमीन या यूं कहें देश या महाद्वीप भी हिलते हैं. उनके आसपास की चीजें भी हिलती हैं. तब पता चलता है कि ये महाद्वीप किसी दूसरे महाद्वीप के पुराने रिश्तेदार हैं. वहीं से टूटकर अलग हुए हैं. इन टेक्टोनिक प्लेटों के खिसकने के इस वीडियो से वैज्ञानिक यह पता कर सकते हैं कि भविष्य में कौन सी जगह धरती पर रहने लायक बचेगी. कौन सी नहीं? क्या अभी जो महाद्वीप भूमध्यरेखा पर है, वो कल कहीं उत्तरी या दक्षिणी ध्रुव पर न पहुंच जाए. अमेरिका खिसक कर एशिया की तरफ और अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया की तरफ चला जाए.  

माइकल के साथी सबिन जाहिरोविक ने मिलकर टेक्टोनिक प्लेटों के खिसकने और महाद्वीपों के बनने बिछड़ने का यह वीडियो बनाया है. 100 करोड़ सालों का मूवमेंट सिर्फ 40 सेकेंड में देखने को मिलेगा. 

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