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शख्स जिसे सोना समझ रहा था, वो दूसरी दुनिया की 460 करोड़ साल पुरानी बेशकीमती चीज निकली

ऑस्ट्रेलिया के डेविड होल साल 2015 से सोना समझकर एक पत्थर संभाले हुए थे. जब उन्हें वैज्ञानिकों ने बताया कि ये कई किलो सोने से ज्यादा कीमती पत्थर है. तब उनकी लॉटरी लग गई. डेविड को यह पत्थर ऑस्ट्रेलिया के उस इलाके से मिला था, जहां पर सोने की खदानें हैं. लेकिन यह पत्थर इस दुनिया का था ही नहीं.

ये है वो बेशकीमती पत्थर जिसे डेविड होल सोना समझ रहे थे. ये किसी और दुनिया से धरती पर आया है. (फोटोः विक्टोरिया म्यूजियम) ये है वो बेशकीमती पत्थर जिसे डेविड होल सोना समझ रहे थे. ये किसी और दुनिया से धरती पर आया है. (फोटोः विक्टोरिया म्यूजियम)
आजतक साइंस डेस्क
  • मेलबर्न,
  • 24 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 1:11 PM IST

साल 2015 में ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में मैरीबोरो रीजनल पार्क (Maryborough Regional Park) में डेविड होल मेटल डिटेक्टर से प्राचीन वस्तुओं और खनिजों की खोज कर रहे थे. तभी उन्हें एकलाल रंग का बेहद भारी पत्थर मिला. जिसमें से पीले रंग झांक रहा था. चारों तरफ पीली मिट्टी जमा थी. डेविड ने उसे धुला तो वह सोने की तरह चमक रहा था.   

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मैरीबोरो में 19वीं सदी में सोने के बड़े खदान थे. अब भी कई बार लोगों को छोटे-मोटे सोने के पत्थर मिल जाते हैं. डेविड ने इस पत्थर को काटने, तोड़ने, फोड़ने का हर संभव प्रयास कर लिया. लेकिन यह पत्थर टूटा नहीं. एसिड से भी जलाया. पर वो सोना था ही नहीं. कई सालों तक डेविड जब उसे तोड़-फोड़ नहीं पाए तो मेलबर्न म्यूजियम ले गए. 

डेविड होल का पत्थर और उसका कटा हुआ एक छोटा हिस्सा. (फोटोः मेलबर्न म्यूजियम)

वहां उसकी जांच हई तो पता चला कि यह एक दुर्लभ उल्कापिंड है, जो किसी दूसरी दुनिया से ऑस्ट्रेलिया पर गिरा. मेलबर्न म्यूजियम के जियोलॉजिस्ट डरमोट हेनरी ने बताया कि यह बेहद कीमती है. इसकी कीमत नहीं लगाई जा सकती. क्योंकि इसमें जो धातु है वो धरती पर मिलते ही नहीं है. जो धातु मिलते ही नहीं, उनकी कीमत कैसे पता कर सकते हैं? 

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460 करोड़ साल पुराना पत्थर लगा हाथ

डरमोट हेनरी ने बताया कि मैंने कई पत्थरों की जांच की है. कई बार उल्कापिंडों की भी. 37 सालों से इस म्यूजियम में काम कर रहा हूं. हजारों पत्थरों की जांच कर चुका हूं. लेकिन आजतक ऐसा पत्थर नहीं मिला. आजतक सिर्फ दो बार ही उल्कापिंड मिले हैं. इनमें से एक ये है. जब इसकी जांच की गई तो पता चला कि यह 460 करोड़ साल पुराना पत्थर है. इसका वजन 17 kg है. इसे काटने के लिए हमें डायमंड आरी की मदद लेनी पड़ी. 

चमकते हुए कणों का भंडार है ये पत्थर

आप इस पत्थर में ढेर सारे चमकते हुए कणों को देख सकते हैं. (फोटोः मैरीबोरो म्यूजियम)

उस उल्कापिंड में भारी मात्रा में लोहा है. यह एक H5 Ordinary Chondrite है. काटने पर इसके अंदर छोटे-छोटे क्रिस्टल्स दिखे, जो अलग-अलग खनिजों के थे. इन्हें कॉन्डरूल्स (Chondrules) कहते हैं. उल्कापिंड अंतरिक्ष की सटीक जानकारी देते हैं. इनमें तारों के चमकते हुए कण होते हैं. 

अभी नहीं पता कौन सी दुनिया से आया

डरमोट ने बताया कि अभी यह नहीं पता कर पाए हैं कि यह उल्कापिंड आकाशगंगा के किस हिस्से से यहां आया. हमारे सौर मंडल में क्रोन्ड्राइट पत्थरों के कई घेरे हैं. हो सकता है कि ये मंगल और बृहस्पति ग्रह के बीच उल्कापिंडों के चक्कर लगाते हुए समूह से आया हो. 

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ये बात तो पुख्ता, ये सोने से बहुत महंगा

एक बात इसकी जांच से पुख्ता हो गई है कि ये उल्कापिंड सोने से ज्यादा कीमती है. 2003 में ऑस्ट्रेलिया के इस इलाके में सबसे बड़ा उल्कापिंड मिला था. वह 55 kg का था. अब तक विक्टोरिया इलाके में 17 उल्कापिंड मिले हैं. ये उल्कापिंड के बारे में प्रोसीडिंग्स ऑफ द रॉयल सोसाइटी ऑफ विक्टोरिया जर्नल में स्टडी प्रकाशित हुई है. 

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