
2500 साल पहले आए एक भयानक भूकंप ने गंगा नदीं का रास्ता बदल दिया था. एक नई स्टडी में यह खुलासा हुआ है. यह छोटा-मोटा भूकंप नहीं था. 7.5 या 8 तीव्रता के इस भूकंप ने पूरे दक्षिण एशिया को हिला दिया था. एक नए रिसर्च में इस बात का खुलासा हुआ है. इससे पहले इस भूकंप के बारे में किसी साइंटिस्ट को नहीं पता था.
इस रिसर्च में पता चला है कि बांग्लादेश की राजधानी ढाका के पास जमीन के अंदर इस भूकंप की वजह से आज भी बहुत ज्यादा ऊर्जा छिपी है. 17 जून को Nature Communications जर्नल में यह रिपोर्ट प्रकाशित हुई है. रिपोर्ट के मुताबिक भूकंप ने गंगा नदी के एक हिस्से क 180 किलोमीटर खिसका दिया था.
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अचानक से नदी के रूट में आए बदलाव को पृथक्करण (Avulsions) कहते हैं. न्यूयॉर्क के कोलंबिया क्लाइमेट स्कूल के लैमोंट-डोहर्टी अर्थ ऑब्जरवेटरी के जियोफिजिसिस्ट माइक स्टेकलर ने कहा कि मैंने इससे पहले ऐसा कुछ नहीं देखा था. भूकंप से धरती हिलती है. लेकिन कोई नदी अपनी पूरी दिशा बदल दे, ये हैरान करने वाला है.
बांग्लादेश की कई नदियां भी मिलती हैं गंगा में
गंगा दुनिया की बड़ी नदियों में शामिल है. करीब 2500 किलोमीटर लंबी. हिमालय से शुरू होकर भारत के बड़े भूभाग से निकलते हुए बांग्लादेश में जाकर बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है. इस दौरान इससे कई नदियां मिलती हैं. बांग्लादेश में मेघना और ब्रह्मपुत्र नदियां भी मिलती हैं. जिसकी वजह से एक बहुत बड़ा डेल्टा बनता है.
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बिना भूकंप के भी नदियां बदलती हैं अपना रास्ता
सभी नदियों की तरह गंगा भी अपना रास्ता खुद बदलती है. वह भी बिना किसी भूकंप के मदद के. इसके लिए वह मिट्टी, रेत को धीर-धीरे अलग-अलग दिशा में जमा करती जाती है. बाद में रूट बदल जाता है. लेकिन इसमें कई महीने या साल लग सकते हैं. लेकिन एक तगड़ा भूकंप किसी भी नदी के मार्ग को एकदम से बदल सकता है.
सैटेलाइट तस्वीरों से पुख्ता हुई दिशा बदलने की बात
इस रिसर्च में शामिल नीदरलैंड्स के वेजनिनजेन यूनिवर्सिटी की जियोक्रोनोलॉजिस्ट लिज चैंबरलिन ने बताया कि यह बात पहले भी पुख्ता हो चुकी है कि भूकंप डेल्टा वाले इलाकों में नदियों का रास्ता मोड़ने में सक्षम होते हैं. चाहे वह गंगा जितनी बड़ी नदी क्यों ही न हो. सैटेलाइट तस्वीरों से इस बात की पु्ष्टि भी हुई है कि गंगा का रास्ता बदला है.
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गंगा के दिशा बदलने के ये हैं सबूत
ढाका के दक्षिण में करीब 100 किलोमीटर दूर गंगा नदी का पुराना रूट दिखाई दिया. उसकी जांच-पड़ताल की गई. पता चला कि यहां मिट्टी कटी है. सेसमाइट्स के बैंड हैं. रेत के वर्टिकल कॉलम है. इसका मतलब ये है कि इसी भूकंप की वजह से यह घटना घटी है. केमिकल एनालिसिस करने पर पता चला कि ये भूकंप करीब 2500 साल पहले आया था.
इन वजहों से आया होगा इतना भयानक भूकंप
वैज्ञानिकों को लगता है कि दो वजहों से भूकंप आया होगा. पहला ये कि उत्तर-पूर्व भारत में मौजूद शिलॉन्ग मैसिफ माउंटेंस से भूकंप जेनरेट हुआ हो. जिससे भारतीय टेक्टोनिक प्लेट यूरेशियन प्लेट पर चढ़ी हो. दूसरा ये कि बांग्लादेश, म्यांमार और उत्तर-पूर्वी भारत के नीचे भारतीय समंदर के अंदर सडक्शन यानी बड़ी घाटी बन गई हो.
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फिर आया वैसा भूकंप तो होगी बड़ी तबाही
ये सभी घटनाएं सेसमाइट्स मिलने वाली जगह से करीब 180 किलोमीटर दूर हैं. यह बताता है कि 7.5 या 8 तीव्रता के एक भयानक भूकंप ने गंगा नदी का रूट बदल दिया था. डर इस बात का है कि शिलॉन्ग मैसिफ और इंडो-बर्मन सबडक्शन जोन फिर से उसी ताकत का भूकंप पैदा कर सकता है. इससे 14 करोड़ लोग प्रभावित हो सकते हैं. इसकी वजह से भारी बाढ़ आ सकती है.
2008 में कोसी नदी ने भी बदला था रास्ता
साल 2008 में बिहार की कोसी नदी में भयानक बाढ़ आई थी. यह गंगा की ही एक शाखा है. इसने बाढ़ के समय अपना रास्ता 120 किलोमीटर तक बदला था. जिसकी वजह से 30 लाख लोग विस्थापित हुए थे और 250 से ज्यादा लोग मारे गए थे.
भूकंप की वजह से नदियों के रूट बदलने के और भी उदाहरण हैं
भूकंप की वजह से कई बार नदियों का रास्ता बदल जाता है. अमेरिका के न्यू मैड्रिड सीस्मिक जोन की वजह से कई नदियों का रास्ता बदल चुका है. इसके अलावा गुजरात के कच्छ के रण में फॉल्ट की वजह से आने वाले भूकंप ने नदियों और नहरों का रास्ता बदल दिया था.