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मंगल ग्रह पर दर्ज किया गया अब तक का सबसे बड़ा भूकंप, शोध से लगा पता

हाल ही में किए गए शोध से वैज्ञानिकों को मंगल ग्रह पर एक बड़े भूकंप (Marsquake) का पता लगा है. वैज्ञानिकों का मानना है कि पूरे सोलर सिस्टम में इससे बड़ा इम्पैक्ट अभी तक नहीं देखा गया है. इसकी वजह से मंगल ग्रह पर 492 फीट चौड़ा और 70 फीट गहरा क्रेटर बन गया है. इससे मंगल को समझने में मदद मिलेगी.

पूरे सौर मंडल में ये अब तक का सबसे बड़ा इम्पैक्ट है (Photo: NASA JPL/Caltech-University of Arizona) पूरे सौर मंडल में ये अब तक का सबसे बड़ा इम्पैक्ट है (Photo: NASA JPL/Caltech-University of Arizona)
aajtak.in
  • वॉशिंगटन,
  • 02 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 1:00 PM IST

24 दिसंबर, 2021 को, 4 तीव्रता के भूकंप ने लाल ग्रह को हिलाकर रख दिया था. अब, वैज्ञानिकों ने पता लगा लिया है कि आखिर ये हुआ क्यों था. नासा के मार्स रिकोनिसेंस ऑर्बिटर (NASA's Mars Reconnaissance Orbiter) द्वारा पहले और बाद में ली गई तस्वीरों ने इस बात की पुष्टि की है कि यह एक उल्कापिंड (Meteoroid) की वजह से हुआ था. पूरे सौर मंडल में यह अब तक का सबसे बड़ा मीटरॉइट इम्पैक्ट था. 

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यह इम्पैक्ट क्रेटर 492 फीट चौड़ा और 70 फीट गहरा है और मंगल ग्रह के भूमध्य रेखा के पास स्थित है. इसके अलावा, बर्फ के बोल्डर-आकार के टुकड़े जो झटके से उखड़ गए और दिखने लगे, ये मंगल पर अब तक पाई गई सबसे कम ऊंचाई वाली बर्फ है. इस इम्पैक्ट और इसके बाद की घटनाओं के बारे में जर्नल साइंस (Science) में प्रकाशित दो स्टीज़ में बताया गया है. 

70 फीट गहरा है ये गड्ढा (Photo: NASA-JPL)

मालिन स्पेस साइंस में ऑर्बिटल साइंस एंड ऑपरेशंस ग्रुप की अगुआई करने वाली लिली पोसियोलोवा (Liliya Posiolova) का कहना है कि इस इम्पैक्ट की तस्वीर ऐसी है जिसे पहले कभी नहीं देखा गया. ये एक बहुत बड़ा क्रेटर है, जिसके आस पास बर्फ दिख रही है.

वैज्ञानिकों ने पहली बार 11 फरवरी, 2022 को मार्स रिकोनिसेंस ऑर्बिटर पर लगे दो कैमरों की मदद से क्रेटर को देखा था. इन कैमरों में से एक, पूरे ग्रह की रोजाना तस्वीरें लेता है, इसलिए वैज्ञानिकों ने इम्पैक्ट वाले इलाके की पिछली तस्वीरें निकालीं और पक्का किया कि 24 दिसंबर को भूकंप के दौरान ये क्रेटर बना था.

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भूकंप विज्ञान को समझने में मददगार होती हैं ये घटनाएं (Photo: NASA-JPL)

नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (JPL) के मुताबिक, उल्कापिंड 39 फीट से ज्यादा बड़ा नहीं था. शोधकर्ताओं के मुताबिक, जमीनी स्तर पर इस क्रेटर से मंगल के भूगर्भ के बारे में नई जानकारी मिल सकती है. शोध की सहलेखक और ऑस्ट्रेलिया में कर्टिन यूनिवर्सिटी में डॉक्टरेट कर रही एंड्रिया राजसिक (Andrea Rajšić) का कहना है कि इम्पैक्ट की घटनाएं भूकंप विज्ञान में बहुद मददगार होती हैं. यह लाल ग्रह की आंतरिक संरचना को समझने का शानदार तरीका है.

क्रेटर के मलबे के आसपास की बर्फ, ग्रह पर पहले से देखी गई बर्फ की तुलना में मंगल ग्रह की भूमध्य रेखा के करीब है. शोधकर्ताओं का कहना है कि यह मंगल ग्रह के भविष्य के मिशनों के लिए अहम हो सकता है, क्योंकि इससे संकेत मिलता है कि उपसतह पर जमी बर्फ उम्मीद से बहुत ज्यादा हो सकती है.

 

जेपीएल के मुताबिक, जो अंतरिक्ष यात्री एक दिन मंगल ग्रह की सतह पर पहुंचेंगे, उन्हें पीने के लिए, कृषि के लिए और रॉकेट प्रोपलेंट के लिए पानी की ज़रूरत होगी. और अब नासा को पता है कि मंगल पर बर्फ का भंडार, यहां के सबसे गर्म स्थानों तक फैला हुआ है. - उम्मीद है कि अब यहां आने वाले अंतरिक्ष यात्रियों का काम थोड़ा आसान हो जाएगा.

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