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ब्राजील में बन रही है मच्छरों की मेगा-फैक्ट्री, अर्जेंटीना में नसबंदी...मकसद है Dengue को रोकना

ग्लोबल वार्मिंग की वजह से दुनिया में मच्छरों की आबादी तेजी से बढ़ रही है. ज़ाहिर है मच्छरों फैलने वाली बीमारियों में भी इज़ाफा हो रहा है. इससे बचने के लिए दुनिया भर में जतन किए जा रहे हैं. ब्राज़ील में मच्छरों को मॉडिफाई किया जा रहा है, तो वहीं अर्जेंटीना में मच्छरों की नसबंदी की जा रही है.

ग्लोबल वार्मिंग की वजह से बढ़ रही है मच्छरों की आबादी (Photo: Getty) ग्लोबल वार्मिंग की वजह से बढ़ रही है मच्छरों की आबादी (Photo: Getty)
aajtak.in
  • वॉशिंगटन,
  • 19 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 11:17 AM IST

वर्ल्ड मॉस्कीटो प्रोग्राम (World Mosquito Program - WMP) ने घोषणा की है कि वह अगले 10 सालों में ब्राजील के कई शहरी इलाकों में मॉडिफाई किए हुए मच्छर छोड़ेगा. इससे 7 करोड़ से ज़्यादा लोगों को डेंगू जैसी बीमारियों से बचाया जा सकेगा.  

शोधकर्ताओं ने ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कोलंबिया, इंडोनेशिया और वियतनाम जैसे देशों के चुनिंदा शहरों में छोड़े जाने वाले इन मच्छरों का परीक्षण किया है. मॉडिफाई किए गए इन मच्छरों को वोलबाचिया बैक्टीरिया (Wolbachia bacterium) से इनफेक्ट किया जाता है, जो मच्छर को वायरस फैलाने से रोकता है. इसके लिए ब्राज़ील में एक फैक्ट्री बनाई जाएगी, जो 2024 में काम करना शुरू कर देगी और हर साल 500 करोड़ मच्छरों का उत्पादन करेगी. 

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मच्छरों को पहले बैक्टीरिया से संक्रमित किया जाता है (Photo: Reuters)

मोनाश यूनिवर्सिटी के माइक्रोबायोलॉजिस्ट और WMP के प्रमुख स्कॉट ओ'नील (Scott O’Neill) का कहना है कि वोलबाचिया-संक्रमित मच्छरों का उत्पादन करने वाली यह दुनिया की सबसे बड़ी फैक्ट्री होगी. इससे हम किसी भी दूसरे देश की तुलना में कम समय में ज़्यादा लोगों को कवर कर पाएंगे. आपको बता दें कि दुनिया में डेंगू संक्रमण की सबसे ज़्यादा दर ब्राजील में ही है. यहां 2022 में डेंगू के 20 लाख से ज़्यादा मामले सामने आए थे. 

WMP स्टाफ वोल्बाचिया से संक्रमित मच्छरों को छोड़ते हुए (Photo: WMP Brasil)

ये किस तरह काम करेगा

वोल्बाचिया पिपिएंटिस (Wolbachia pipientis) बैक्टीरिया सभी कीट प्रजातियों में से आधों को संक्रमित करता है. एडीज एजिप्टी (Aedes aegypti) मच्छर, जो डेंगू, ज़ीका, चिकनगुनिया और अन्य वायरस फैलाते हैं, आम तौर पर उनमें बैक्टीरिया नहीं होता है. WMP मच्छरों को यह पता लगाने के बाद विकसित किया कि वोल्बाचिया से संक्रमित ए. एजिप्टी मच्छर से बीमारी फैलने की संभावना बहुत कम है. मच्छर जो वायरस लेकर जा रहा है, यह बैक्टीरिया उस वायरस से मुकाबला करता है. जब इन मॉडिफाई मच्छरों को जंगली ए. एजिप्टी से प्रभावित इलाकों में छोड़ा जाएगा, तो वे धीरे-धीरे बैक्टीरिया को जंगली मच्छरों की आबादी में फैला देंगे. 

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ब्राजील की रेग्यूलेटरी एजेंसियों से वोल्बाचिया-संक्रमित मच्छरों को पहले ही स्वीकृति मिल चुकी है. हालांकि, अभी तक विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से इसे हरी झंडी नहीं मिली है, अगर ऐसा होता है तो इस तकनीक को दूसरे देशों में भी इस्तेमाल किया जा सकेगा. 

 ब्राज़ील में डेंगू के सबसे ज़्यादा मामले सामने आते हैं (Photo: Getty)

अर्जेंटीना में हो रही है मच्छरों की नसबंदी

अब ये बात तो थी ब्राज़ील की, जहां डेंगू के सबसे ज़्यादा केस सामने आते हैं, अब बात करते हैं अर्जेंटीना की, जहां पिछले कुछ सालों में डेंगू का भयानक प्रकोप रहा. डेंगू रोकने के लिए अर्जेंटीना में मच्छरों को स्टर्लाइज़ (sterilizing mosquitoes) किया जा रहा है. रेडिएशन के इस्तेमाल से मच्छरों को स्टरलाइज़ किया जा रहा है, जिससे उनका डीएनए बदल जाता है.

मच्छरों से मुकाबला करने के लिए राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा आयोग (CNEA) के वैज्ञानिक 2016 से इनपर एटॉमिक स्टर्लाइज़ेशन का प्रयोग कर रहे हैं. वे हर सप्ताह 10,000 नर मच्छरों को स्टर्लाइज़ कर रहे हैं और उनका लक्ष्य है इस संख्या को बढ़ाकर 500,000 तक ले जाना. वे नवंबर में स्टर्लाइज़ किए हुए मच्छरों का पहले बैच छोड़ेंगे. 

 

वैज्ञानिकों के मुताबिक नसबंदी के बाद जब मच्छर मादा से मिलते हैं, तो मादा अंडे नहीं दे पाती. इस तरह, ऐसे नर मच्छरों के लगातार छोड़े जाने से वेक्टर मच्छरों की आबादी को कम किया जा सकता है.

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अर्जेंटीना ने इस साल डेंगू के 41,000 से ज़्यादा मामले दर्ज किए हैं, जो 2020 और 2016 के प्रकोप ​​के समान स्तर से काफी ऊपर है. राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा आयोग (CNEA) के जीवविज्ञानी मरियानेला गार्सिया अल्बा (Marianela Garcia Alba) का कहना है कि यह मच्छर हमारे देश और दुनिया में तापमान बढ़ने की वजह से ज़्यादा बढ़ रहे हैं. और इनकी आबादी दक्षिण की तरफ बढ़ती जा रही है.


 

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