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मिस्र में मिलीं सोने के जीभ वाली ममियां, पुरातत्वविद सुलझा नहीं पा रहे ये पहेली

मिस्र की ममियां हमेशा से ही लोगों के लिए कौतुहल का विषय रही हैं. अब इन ममियों के बारे में एक अनोखी बात पता चली है. पुरातत्वविदों को कई ऐसी ममी मिली हैं जिनमें सोने से बनी जीभ मिली हैं. जिस जगह जीभ होनी चाहिए, वहां सोने की जीभ मिलना शोधकर्ताओं के लिए पहेली बन गया है.

ममी के मुंह में सोने की जीभ साफ देखी जा सकती है (Photo: Egyptian Ministry of Tourism and Antiquities) ममी के मुंह में सोने की जीभ साफ देखी जा सकती है (Photo: Egyptian Ministry of Tourism and Antiquities)
aajtak.in
  • काहिरा,
  • 29 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 2:37 PM IST

मिस्र में मिली ममियों को लेकर हमें अक्सर बड़ी अजीबो-गरीब जानकारियां मिलती हैं. हालांकि, ममियों के साथ सोने के गहने मिलना बहुत ही सामान्य बात है. लेकिन पुरातत्वविदों को कई प्राचीन ममियों में सोने की चीभ मिली है. यानी, जहां जीभ होनी चाहिए, वहां उन्हें सोने की पत्ती मिली है. ऐसा किसी एक ममी में नहीं, बल्कि कई ममियों में मिला. अब ये सोने की जीभ पुरातत्वविदों के लिए पहेली बन गई है.

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यह खोज सेंट्रल नील डेल्टा में क्वेस्ना (Quweisna) नेक्रोपोलिस में की गई है. इस साइट की खोज 1989 में की गई थी. ऐसा माना जाता है कि इस जगह पर टॉलेमिक (Ptolemaic) और रोमन काल (Roman periods) के दौरान कब्जा कर लिया गया था, जो करीब 300 ईसा पूर्व से 640 सीई तक रहा था.

एक नहीं, कई ममियों के मुंह में मिली सोने की जीभ (Photo: Egyptian Ministry of Tourism and Antiquities)

इसी साइट के एक दूसरे हिससे में खुदाई करने पर सोने की जीभ वाली ममियां मिलीं. यहां दफनाए गए शवों के साथ अलग-अलग रूप में सोना मिला है. किसी-किसी ममी के साथ सोने के स्कारब (दुपट्टे जैसा पवित्र कपड़ा) और सोने के कमल को भी दफनाया गया था. हालांकि, सोने की जीभ मिलना, एक पहेली की तरह था. 

इससे पहले भी पुरातत्वविदों को सोने की जीभ मिल चुकी हैं. 2021 की शुरुआत में, मिस्र में 2,000 साल पुरानी एक साइट पर खुदाई की गई, जहां शोधकर्ताओं को एक खोपड़ी मिली थी. इसके मुंह में जीभ के आकार की सोने की पत्ती मिली थी, जो किसी गहने जैसी लग रही थी. इसके बाद 2021 के अंत में, एक पुरुष, एक महिला और एक बच्चे की ममी मिली थी, जिनकी जीभ भी सोने की थी. ये ममियां 2,500 साल से ज्यादा पुरानी थीं.

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पुरातत्वविदों को पहले भी सोने की जीभ मिल चुकी हैं (Photo: Egyptian Ministry of Tourism and Antiquities)

जिस समय यह खोज की गई थी, मिस्र के पर्यटन और पुरावशेष मंत्रालय ने कहा था कि सोने से बनी जीभ को ममी पर लेप लगाने वालों ने रखा होगा, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि मृत व्यक्ति दूसरे जीवन के लिए दिशा मिल सके. 

विशेषज्ञों का मानना ​​​​है कि भगवान और ज़मीन के अंदर दूसरी दुनिया के देवता ओसिरिस (Osiris) का आशीर्वाद पाने के लिए एक सोने की जीभा ज़रूरी मानी जाती थी. माना जाता है कि ओसिरिस मृत लोगों के देवता थे. प्राचीन मिस्र में पाताल को 'द साइलेंट लैंड' कहा जाता था. वहीं, ओसिरिस को 'लॉर्ड ऑफ साइलेंस' कहा जाता था. ओसिरिस को शोर पसंद नहीं था. यही वजह है कि प्राचीन मिस्र में अंतिम संस्कार के दौरान मौन रखा जाता था. मृत्यु के बाद की तैयारी के लिए जब ममी का मुंह खोला जाता था, तभी कोई संगीत या ध्वनि की जाती थी. ऐसा माना जाता है कि सोने की जीभ इसलिए लगाई जाती होंगी, ताकि ममियां बिना किसी शोर के ओसिरिस से बात कर सकें. 

सोने की जीभ को लेकर फिलहाल पुरातत्वविद सिर्फ कयास लगा रहे हैं (Photo: Egyptian Ministry of Tourism and Antiquities)

लेकिन अगर ऐसा है, तो कुछ ही ममियों में सोने की जीभ क्यों मिली? प्राचीन मिस्र में अंतिम संस्कार के लिए सोने के गहने बनाने का चलन था. कहा जाता है कि ये चमचमाता सोना देवताओं को पसंद था खासकर सूर्य देव रा (Ra) को जो शाश्वतता का प्रतीक थे. 

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रा को सभी प्राचीन मिस्र के देवताओं का राजा माना जाता था. यही जगत निर्माता थे और ओसिरिस के साथ उनकी घनिष्ठता थी. रा दिन के उस हिस्से को दर्शाते थे जब सूर्य की रोशनी हो और ओसिरिस अंधेरे को दर्शाते थे. हो सकता है कि सोने की जीभ रोशिनी की एक रेखा को दर्शाती हो. हालांकि पुरातत्वविदों का कहना है कि सबूतों के बिना, हम केवल अटकलें लगा सकते हैं.

 

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