
अर्जुन हाथी (Arjuna Elephant) 2012 से 2019 तक मैसूर के दशहरा त्योहार के दौरान सोने का हौदा (Golden Howdah) लेकर चलता था. अर्जुन को कर्नाटक के पश्चिमी घाट में मौजूद काकानाकोटे के पास से ऑपरेशन खेड्डा (Khedda Operation) के दौरान 1968 से पकड़ा गया था. इसके बाद उसे ट्रेनिंग देकर महावत ने उसे दशहरा में मार्च करना सिखाया.
अर्जुन से पहले दशहरा में सोने का हौदा लेकर चलने का काम ड्रोण हाथी का था. ड्रोण की तबियत खराब होने के बाद अर्जुन को 750 किलोग्राम वजनी हउदा उठाने की जिम्मेदारी दी गई. इस हौदा में मां चामुंडेश्वरी देवी की मूर्ति यात्रा पर निकलती है. कुछ ही दिन बाद अर्जुन को 'निशान' का दर्जा दिया गया.
2019 के बाद जब इसकी उम्र बढ़ गई तो यह काम अभिमन्यु हाथी को दिया गया. अर्जुन 6040 किलोग्राम वजनी 9.8 फीट ऊंचा हाथी था. इसकी मौत को लेकर अलग-अलग कहानियां चल रही हैं. पहली कहानी ये कहती है कि अर्जुन की मौत जंगली हाथी के साथ लड़ाई के बाद हुई है. उस समय जंगली हाथी को पकड़ने के लिए वन विभाग के अधिकारी सर्च ऑपरेशन चला रहे थे.
ये ऑपरेशन सकलेशपुरा के पास येसलूर में चल रहा था. इसके आसपास के इलाकों में अलुरू, बेलुरू और यसलुरू में भी ऑपरेशन चल रहा था. इसी दौरान जंगली हाथी ने अर्जुन के ऊपर हमला किया. अर्जुन के पेट में काफी चोट लगी. जिसकी वजह से उसकी मौत हो गई. अर्जुन के साथ वहां पर चार और हाथी थे. लेकिन जंगली हाथी के हमले से बाकी तीन जंगल में भाग गए. लेकिन अर्जुन जंगली हाथी से भिड़ गया. इसी के बाद उसकी मौत हो गई.
दूसरी कहानी ये चल रही है कि अर्जुन के महावत विनू ने कहा कि अर्जुन के पैर पर गोली के निशान थे. जो वन विभाग की तरफ से चली गोली के हैं. वन विभाग के अधिकारियों ने गलती से उसे गोली मार दी. जिसकी वजह से वह जंगली हाथी का सामना नहीं कर पाया.
अगर गोली मारने वाली बात सही मानी जाए तो एक महीने के अंदर वन विभाग की दूसरी बड़ी गलती है. जिसमें बेंगलुरु में एक तेंदुए को मारा गया था. उसमें भी वन विभाग की गलती सामने आ रही थी. ट्विटर पर अर्जुन की मौत को लेकर काफी चर्चा हो रही है. लोग दुख जता रहे हैं. वन विभाग की लापरवाही पर तंज कस रहे हैं.