
सितंबर 2023 का महीना, पूर्वी ग्रीनलैंड में मौजूद डिक्सन जॉर्ड (Dicson Fjord) में 650 फीट ऊंची लहर उठी. ये लहर आगे-पीछे हो रही थी. जैसे आप कटोरे में पानी लेकर उसे दाएं-बाएं हिलाओ. इसकी वजह से धरती की ऊपरी परत यानी क्रस्ट में रहस्यमयी भूकंप आ रहे थे. इन भूकंपों को 9 दिन तक लगातार महसूस किया गया.
इन भूकंपों की लहर पूरी दुनिया में गई. वैज्ञानिक हैरान थे कि आखिर ये भूकंप आ कहां से रहे हैं. इनके पैदा होने की वजह क्या है. सैटेलाइट और ग्राउंड इमेजरी से पता चला कि डिक्सन जॉर्ड के पास एक ऊंचे पहाड़ का ऊपरी हिस्सा जलवायु परिवर्तन की वजह से असंतुलित हो गया. इसके नीचे मौजूद ग्लेशियर अंदर ही अंदर तेजी से पिघल कर टूट रहा था. यह स्टडी 12 सितंबर 2024 को साइंस जर्नल में प्रकाशित हुई है.
यह भी पढ़ें: 30% ज्यादा बारिश, 22 दिन एक्सट्रीम रेनफॉल... लोगों के लिए तूफानी साबित हुआ ये अगस्त
जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ डेनमार्क एंड ग्रीनलैंड (GEUS) के जियोलॉजिस्ट क्रिस्टियन स्वेनविग ने कहा कि ये हैरान करने वाली घटना थी. किसी को कोई आइडिया नहीं था कि ये भूकंप के सिग्नल आ कहां से रहे हैं.
ये है इस भूकंप के आने की कहानी
असल में हुआ ये था कि डिक्सन जॉर्ड में मौजूद ग्लेशियर नीचे से पिघल रही थी. उसके सामने जो पानी मौजूद है, उसमें दो हिस्से हैं. पहली परत ठंडे साफ पानी की. लेकिन गहराई में गर्म नमकीन पानी. इससे ग्लेशियर से बर्फ के बड़े-बड़े टुकड़े टूटकर जॉर्ड में गिर रहे थे. इसकी वजह से पानी की ऊंची लहरें उठ रही थीं. करीब 650 फीट ऊंची.
यह भी पढ़ें: बदल गया है India का फ्लड मैप? पहले बिहार-यूपी में होती थी तबाही, अब इन राज्यों में 'जलप्रलय'
पानी की इतनी ऊंची लहर जब किसी बड़े इलाके में आगे पीछे होगी, तो उसका असर धरती के ऊपरी परत पर पड़ेगा. जिससे भूकंप नापने वाली मशीनों को लगेगा कि कहीं लगातार भूकंप आ रहा है. इसलिए लगातार 9 दिनों तक भूकंप नापने वाले मॉनिटरिंग स्टेशन पर भूकंप की लहरें दिखती रहीं. यह पूरी दुनिया तक फैल रही थीं.
जॉर्ड में आई मेगा सुनामी की वजह एक और थी. इसके ऊपर मौजूद पहाड़ की चोटी असंतुलित होकर नीचे गिरी. जिससे 25 मिलियन क्यूबिक मीटर पत्थर और बर्फ नीचे आया. ये करीब ओलंपिक में बनने वाले 10 हजार स्वीमिंग पूल के बराबर का इलाका है. ये सीधे जॉर्ड में गिरे. जिससे सुनामी को और ताकत मिल गई.
यह भी पढ़ें: भारत की 'सीक्रेट मिसाइल' का सफल परीक्षण, एक सेकेंड में डेढ़ km की स्पीड से करती है हमला
क्या होते हैं जॉर्ड?
ग्रीनलैंड में ऊंचे पहाड़ों के बीच मौजूद घाटी को जॉर्ड कहते हैं. ये समंदर के पानी से जुड़ी होती हैं. साथ ही इनके ऊपर पहाड़ों पर भारी मात्रा में ग्लेशियर होते हैं. जो बेहद विशालकाय होते हैं. इनके टूटने से जॉर्ड में बड़ी सुनामी आती है.