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अद्भुत प्रकृति... आसमान में दिखाई दी बादलों से ऊपर जाती हुई रोशनी, वैज्ञानिकों ने जारी की तस्वीर

बिजली सिर्फ बादलों से नीचे नहीं आती. ऊपर भी जाती है. लेकिन पहली बार इनकी इतनी खूबसूरत तस्वीर मिली है. ये घने बादलों के नीचे रोशनी तो करते हैं पर इनकी लहर ऊपर की ओर जाती है. आइए जानते हैं कि बादलों से अंतरिक्ष की तरफ जाने वाली ये उलटी बिजली क्या चीज है.

ये देखिए कैसे बादलों के ऊपर ये रोशनी बनी और अंतरिक्ष की ओर चली गई. (फोटोः क्रिस होम्स) ये देखिए कैसे बादलों के ऊपर ये रोशनी बनी और अंतरिक्ष की ओर चली गई. (फोटोः क्रिस होम्स)
aajtak.in
  • स्टॉकहोम,
  • 13 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 1:14 PM IST
  • हैरान कर देने वाले नजारे की सबसे स्पष्ट फोटो
  • वायुमंडल के ठीक ऊपर दिखाई पड़ी ये बिजली

दुनिया की सबसे ताकतवर ऊर्जा प्राकृतिक तूफान के समय दिखाई पड़ती है. अलग-अलग तरह की. तूफानों से ही पैदा होती हैं. वहीं खत्म हो जाती हैं. इसमें ही पैदा होती है बिजली (Lightning). तूफान के समय बादलों के ऊपर और नीचे का वातावरण चार्ज हो जाता है. बिजलियां नीचे तो कई बार देखने को मिलती है. कड़कते हुए. गिरते हुए. फैलते हुए और चमकते हुए. लेकिन बादलों के ऊपर जाती हुई बिजली कम देखने को मिलती है. 

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ये बादलों से बनते हुए अंतरिक्ष की ओर जाती है. इससे पहले वायुमंडल में एक गोलाकार खाली स्पेस बन जाता है. 

वैज्ञानिकों ने हाल ही में ऐसे ही एक तूफान के दौरान बादलों से अंतरिक्ष की तरफ जाती हुई बिजली के रहस्यमयी जेट को देखा. किस्मत अच्छी थी कि इसकी तस्वीर भी मिल गई. यही तस्वीर हम आपको दिखा रहे हैं. हैरानी की बात ये है कि इस प्रक्रिया के बारे में वैज्ञानिकों को बहुत ज्यादा फिलहाल नहीं पता है. वो अभी इसपर स्टडी कर ही रहे हैं. ऐसे बड़े रहस्यमयी जेट को पिछली बार 2018 में ओकलाहोमा के ऊपर देखा गया था. 

ये रहस्यमयी जेट फिर अंतरिक्ष की ओर अपनी लंबाई बढ़ाते हुए तेजी से चला जाता है.

जॉर्जिया टेक रिसर्च इंस्टीट्यूट के फिजिसिस्ट और इंजीनियर लेवी बॉग्स ने कहा कि हमने बड़ी मुश्किलों से बादलों से ऊपर जाती हुई इस रहस्यमयी रोशनी का थ्रीडी नक्शा बनाया. फोटो ली. इसके लिए हमने सैटेलाइट्स और राडार के डेटा का उपयोग किया. उनका एनालिसिस किया. यह तस्वीर ली गई थी 14 मई 2018 को. इसके लिए Watec Camera का उपयोग किया गया था. यह कैमरा अंधेरे में भी तस्वीर ले सकता है. 

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इस तस्वीर में स्पष्ट तौर पर देख सकते हैं कि ये बिजली कैसे बनती, चलती और खत्म हो जाती है. (फोटोः क्रिस होम्स)

यह रोशनी जमीन से करीब 8 किलोमीटर ऊपर मौजूद तूफानी बादलों से निकली थी. इस रोशनी की ऊंचाई करीब 80 किलोमीटर थी. यानी यह अंतरिक्ष के दरवाजे यानी कारमान लाइन (Karman Line) तक पहुंच गई थी. यहीं पर धरती का वायुमंडल खत्म होता है और अंतिरक्ष शुरू हो जाता है. इस रोशनी ने 300 कोलम्ब्स इलेक्ट्रिक चार्ज पैदा किया था. जबकि साधारण बिजली 5 कोलम्ब्स तक चार्ज पैदा करती है. इसका तापमान 4700 डिग्री सेल्सियस था. इसके बारे में स्टडी रिपोर्ट हाल ही में Science Advances जर्नल में प्रकाशित हुई है. 

कुछ समय पहले वैज्ञानिकों ने आसमान में लाल रंग की बिजली कड़कते वैज्ञानिकों ने देखा था. ये बिजली वायुमंडल के ऊपर कड़क रही थी. लेकिन इसे स्प्राइट (Sprite) कहा जाता है. यह बेहद संवेदनशील और तीव्र थंडरस्टॉर्म की वजह से होता है. जहां सामान्य आकाशीय बिजली बादलों से धरती की तरफ गिरती है. स्प्राइट अंतरिक्ष की ओर भागते हैं. ये वायुमंडल के ऊपरी हिस्से तक चले जाते हैं. इनकी ताकत और तीव्रता बहुत ज्यादा होती है. लेकिन ये बेहद दुर्लभ होते हैं.

ये हैं आसमान के ऊपर वायुमंडल के ऊपरी लेयर बनने वाले स्प्राइटस यानी लाल बिजली. 

लाल रंग की कड़कती बिजली यानी स्प्राइट कुछ मिलिसेकेंड्स के लिए ही दिखते हैं. इसलिए इन्हें देखना और इनकी स्टडी करना बेहद मुश्किल होता है. इसके व्यवहार की वजह से इसका नाम स्प्राइट रखा गया है. यह स्ट्रैटोस्फेयर से निकलने वाले ऊर्जा कण हैं जो तीव्र थंडरस्टॉर्म की वजह से पैदा होने वाले विद्युत प्रवाह से बनते हैं. यहां पर अधिक प्रवाह जब बादलों के ऊपर आयनोस्फेयर (Ionosphere) में जाता है, तब ऐसी रोशनी देखने को मिलती है. यानी जमीन से करीब 80 किलोमीटर ऊपर. इनकी औसत लंबाई-चौड़ाई 48 किलोमीटर तक रहती है. 

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स्प्राइट्स सिर्फ थंडरस्टॉर्म से ही नहीं पैदा होते. ये ट्रांजिएंट ल्यूमिनस इवेंट्स (TLEs) की वजह से भी बनते हैं. जिन्हें ब्लू जेट्स कहते हैं. ये अंतरिक्ष से नीचे की तरफ आती नीले रंग की रोशनी होती है, जिसके ऊपर तश्तरी जैसी आकृति बनती है. ये वायुमंडल रखने वाले सभी ग्रहों और तारों में भी देखने को मिल सकती है. बृहस्पति ग्रह (Jupiter) के वायुमंडल में ऐसे ही स्प्राइट्स की तस्वीर नासा के वॉयेजर-1 स्पेसक्राफ्ट ने साल 1979 में ली थी. ये ब्लू जेट्स थे. 

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