
हमारे शरीर में कुछ कोशिकाएं ऐसी होती हैं, जो बुढ़ापे से जुड़ी बीमारियों में अपना योगदान देती हैं. इन कोशिकाओं को 'ज़ॉम्बी कोशिकाएं' (Zombie cells) कहा जाता है. ये सेल्स छोटे और रहस्यमयी अणु (Molecules) बनाती हैं जो सामान्य कोशिकाओं में नहीं देखते. ये अणु क्या काम करते हैं, यह एक रहस्य बना हुआ है, लेकिन अब, वैज्ञानिक इस रहस्य को सुलझाने के करीब हैं.
ज़ॉम्बी सेल्स को सेनेसेंट सेल्स (Senescent cells) भी कहा जाता है. ये सेल्स कभी मरती नहीं हैं, लेकिन खराब होने या तनाव की वजह से ये विभाजित होना बंद कर देती हैं. अब ये ऐसे अणुओं का स्राव करती हैं जो इम्यून सिस्टम को प्रभावित करते हैं. सभी जॉम्बी सेल्स खराब नहीं होतीं, कुछ खराब हो चुके टिश्यू को रिपेयर भी करती हैं. लेकिन जैसे-जैसे शरीर की उम्र बढ़ती है, ये सेल्स इकट्ठा होती हैं और सूजन बढ़ाती हैं, जिससे कैंसर, अल्जाइमर और पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस जैसी उम्र से जुड़ी बीमारियां बढ़ती हैं. इन अणुओं को हटाने के लिए जॉम्बी सेल्स 'क्रिप्टिक ट्रांसक्रिप्शन' नाम की एक प्रक्रिया से गुजरती हैं.
राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान (NIH) के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑन एजिंग में मॉलिक्यूलर बायोलॉजिस्ट पायल सेन का कहना है कि उन्हें संदेह है कि इन छोटे अणुओं का उत्पादन सेल के संसाधनों को कम कर सकता है, जिससे यह उम्र के साथ कम हो जाती हैं और ठीक से काम नहीं करती. साथ ही, सेल RNA के अंदर निर्देशों का इस्तेमाल करके छोटे प्रोटीन बना सकती है, जो सेल के सामान्य कार्यों को प्रभावित करता है.
ज़ॉम्बी कोशिकाएं क्रिप्टिक ट्रास्क्रिप्शन से क्यों गुजरती हैं और ये उम्र के बढ़ने पर कैसे प्रभाव डालता है, यह वैज्ञानिकों की उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को समझने, जीवन काल बढ़ाने और उम्र से जुड़ी बीमारियों को रोकने में मदद कर सकता है. हाल ही में नेचर एजिंग जर्नल में प्रकाशित शोध में पायल सेन और उनकी टीम ने इस घटना से जुड़े सवालों के जवाब सामने लाने का काम किया है.
टीम ने इंसानों की जॉम्बी सेल्स में 350 से ज़्यादा 'क्रिप्टिक साइटों' की खोज की है. इसका मतलब ये है कि उन्होंने जीन फ्रैग्मेंट का पता लगाया है जिससे अजीब आरएनए बने हैं. उन्होंने इन साइटों पर 'एपिजेनेटिक' बदलावों की भी पहचान की, जो युवा और स्वस्थ कोशिकाओं में मौजूद नहीं थे. इनसे पता चल सकता है कि क्रिप्टिक ट्रांसक्रिप्शन क्यों होता है. इस शोध के नतीजे बताते हैं कि जॉम्बी सेल्स क्रिप्टिक ट्रांसक्रिप्शन से इसलिए गुजरती हैं, क्योंकि समय के साथ उनकी जीन एक्सप्रेशन को कंट्रोल करने की क्षमता कम हो जाती है.