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गुफाओं में बने 20,000 साल पुराने चित्र, हो सकते हैं दुनिया के सबसे पुराने कैलेंडर

प्राचीन गुफाओं में बनाए गए 20,000 साल पुराने चित्रों का अर्थ खोजने की कोशिश की गई, जिसमें शोधकर्ताओं ने माना कि ये चित्र एक 'प्रोटो-राइटिंग सिस्टम' है जो लेखन का सबसे शुरुआती उदाहरण है. शोध से पता चला है कि हिमयुग के शिकारी एक व्यवस्थित कैलेंडर का इस्तेमाल करने वाले पहले व्यक्ति थे.

20,000 साल पुराने चित्र, लेखनी के सबसे पुराने उदाहरण हो सकते हैं (Photo: Bacon et al., Camb. Archaeol. J., 2023)) 20,000 साल पुराने चित्र, लेखनी के सबसे पुराने उदाहरण हो सकते हैं (Photo: Bacon et al., Camb. Archaeol. J., 2023))
aajtak.in
  • इंग्लैंड,
  • 11 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 10:02 AM IST

शोधकर्ताओं का कहना है कि उन्होंने गुफाओं में बनाए गए 20,000 साल पुराने चित्रों में एक 'प्रोटो-राइटिंग सिस्टम' (Proto-writing system) की खोज की है, जो लेखन का सबसे प्रारंभिक उदाहरण है. 

शोधकर्ताओं के मुताबिक, ऊपरी पुरापाषाण युग (Upper Palaeolithic era) के शिकारियों ने जीवित रहने की ज़रूरी जानकारी देने के लिए दीवारों पर चिन्ह बनाए होंगे. ये चित्र जानवरों के मेटिंग के मौसम का रिकॉर्ड दिखाते हैं, जो चंद्र महीनों (Lunar months) में व्यवस्थित दिखते हैं. 

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केंब्रिज आर्कियोलॉजिकल (Cambridge Archaeological) जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक, यह एक महत्वपूर्ण खोज है, क्योंकि यह करीब 14,000 साल पुरानी है और होमो सेपियन्स की सबसे पुरानी लेखनी है. हालांकि हम यहां अक्षरों और वाक्यों को नहीं देख रहे हैं. ये चिह्न, अर्थ की एक पूरी यूनिट है. 

 गुफाओं में इस तरह के चिन्ह मिले (Photo: Bacon et al., Camb. Archaeol. J., 2023)

टीम ने पिछले हिम युग से पूरे यूरोप में पाई गई केव पेंटिंग्स में बने बिंदुओं, रेखाओं और वाई आकृतियों के 800 से ज्यादा सीक्वेंस को देखा. इन संकेतों को अक्सर जानवरों के बगल में रखा जाता था, और जब इसे डिकोड किया जाता तो ये चिन्ह काफी अहम साबित होते थे. 

पेंटिंग के नमूनों के डेटाबेस को संबंधित जानवरों के जन्म चक्रों के हिसाब से जांचा गया, जिससे इन चिह्नों के पहले छिपे अर्थों का पता चला- वे हर जानवर के मेटिंग का समय बता रहे थे. यह माना गया था कि इन चित्रों में अक्सर दिखाई देने वाले वाई (Y) चिन्ह का मतलब 'जन्म देने' से था. इससे उस समय के लोगों को इन जानवरों के बारे में अहम जानकारी मिलती थी. इसमें जंगली घोड़े, हिरण, मवेशी और मैमथ शामिल थे.

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खोज से पता चलता है कि हिमयुग के ये शिकारी केवल जी ही नहीं रहे थे, बल्कि अतीत की घटनाओं का रिकॉर्ड भी बना रहे थे, ताकि भविष्य में उनकी मदद हो सके. ब्रिटेन में यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के गणितज्ञ टोनी फ्रीथ (Tony Freeth) कहते हैं कि लूनर कैलेंडर मुश्किल हैं, क्योंकि एक साल में केवल साढ़े बारह चंद्र महीने होते हैं, इसलिए वे एक साल में ठीक से फिट नहीं होते. 

 

शोधकर्ताओं का सुझाव है कि इन चिह्नों को सरल नोटेशन और एक पूर्ण लेखन प्रणाली (Complete writing system) के बीच एक मध्यवर्ती कदम माना जा सकता है. हालांकि, इन शोधकर्ताओं के निष्कर्ष से हर कोई आश्वस्त नहीं है.

जैसा कि हम जानते हैं कि लेखन, मेसोपोटामिया में सुमेर इलाके से 3300 BCE के आसपास उभरा. शुरुआत में अक्षरों के रूप में चित्र बनाए गए थे. लेकिन इस शोध से पता चलता है कि पत्थर पर लिखने का इतिहास और भी पुराना हो सकता है.

यूके में डरहम यूनिवर्सिटी के पुरातत्वविद् पॉल पेटिट (Paul Pettitt) का कहना है कि शोध से पता चलता है कि हिमयुग के शिकारी-संग्रहकर्ता एक व्यवस्थित कैलेंडर का इस्तेमाल करने वाले पहले व्यक्ति थे. साथ ही, वे उस कैलेंडर में खास पारिस्थितिक घटनाओं के बारे में जानकारी दर्ज करने के लिए निशान भी लगाते थे.

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