
NASA का एक डेड सैटेलाइट 19 अप्रैल 2023 को उत्तरी अफ्रीका के सहारा रेगिस्तान में गिरा. इसका नाम था RHESSI Spacecraft. वैज्ञानिकों ने 18 अप्रैल को इसके गिरने की आशंका जताई थी. साथ ही यह भी कहा था कि कहां गिरेगा उस समय नहीं बता सकते थे. लेकिन बाद में जांच करके पता किया तो इसके सहारा रेगिस्तान में गिरने की पुष्टि हुई है. सहारा रेगिस्तान में यह 26 डिग्री लॉन्गीट्यूड और 21.3 डिग्री लैटीट्यूड पर गिरा है.
RHESSI Spacecraft 273 किलोग्राम वजनी सैटेलाइट था. जिसे 21 फरवरी 20002 में सूरज की स्टडी करने के लिए भेजा गया था. रेसी स्पेस्क्राफ्ट का पूरा नाम है Reuven Ramaty High Energy Solar Spectroscopic Imager. यह बहुत बड़ा सैटेलाइट नहीं है. नासा का अनुमान था इस सैटेलाइट के कुछ हिस्से वायुमंडल से बचकर धरती पर तो गिरेंगे ही. लेकिन किसी को नुकसान पहुंचे इसकी आशंका 2467 में 1 है.
रेसी ने 2018 तक किया था काम फिर हुआ था रिटायर
RHESSI ने साल 2018 तक काम किया था. उसके बाद इसके सिस्टम ने काम करना बंद कर दिया था. फिर यह लगातार धरती की ओर खिंचता चला आया. पांच साल से यह धरती के चक्कर लगा रहा था. उसके नजदीक आता जा रहा था. सैटेलाइट के नीचे आने की घटना ये बताती है कि धरती हमेशा अंतरिक्ष में तैर रहे सैटेलाइट्स के निशाने पर रहेगी. अंतरिक्ष में ज्यादा सैटेलाइट्स होने से उनके बीच टक्कर भी बढ़ेगी.
ऐसे में धरती पर कचरा आने का खतरा बढ़ जाएगा. इस समय धरती के चारों तरफ 30 हजार से ज्यादा कचरा घूम रहा है. कुछ तो इतने छोटे हैं कि उन पर नजर नहीं रख सकते. यूरोपियन स्पेस एजेंसी के अनुसार 0.4 से लेकर 4 इंच तक के 10 लाख वस्तुएं अंतरिक्ष में धरती के चारों तरफ घूम रही हैं. लेकिन 0.4 इंच वाला कचरा 1.30 करोड़ या उससे ज्यादा भी हो सकता है. ये छोटे टुकड़े हमारे सैटेलाइट्स को फोड़ सकते हैं. उन्हें बर्बाद कर सकते हैं. स्पेस स्टेशन को नुकसान पहुंचा सकते हैं.
रेसी गया था सूरज की लहरों की स्टडी के लिए
रेसी स्पेस्क्राफ्ट को फरवरी 2002 में पेगासस एक्सएल रॉकेट से लॉन्च किया गया था. मकसद था सूरज से निकलने वाली सौर लहरों और कोरोनल मास इजेक्शन की स्टडी करना. वह भी एक यंत्र से. इसमें एक ही इमेजिंग स्पेक्ट्रोमीटर था, जो एक्स-रे और गामा रे की गणना एक साथ करता था.
अपने पूरे मिशन के दौरान रेसी स्पेसक्राफ्ट ने 1 लाख एक्स-रे इवेंट्स को कवर किया. जिनकी बदौलत नासा वैज्ञानिकों ने सूरज की बहुत सारी जानकारी जमा की. पिछले साल नवंबर में 23 टन के चीनी रॉकेट लॉन्ग मार्च 5बी का कोर स्टेज अपनी लॉन्चिंग के पांच दिन बाद गिरा था. वह चीन के स्पेस स्टेशन तियांगॉन्ग के लिए तीसरा और अंतिम मॉड्यूल लेकर गया था.